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जब डिलीवरी बॉय ने घूर-घूरकर जूसवाले को छेड़ा: एक मजेदार बदला

एक निराश खाद्य वितरण चालक, रेस्तरां के पिकअप काउंटर पर अधीरता से इंतज़ार कर रहा है।
इस सिनेमाई पल में, हम एक डोरडैश चालक की अधीरता को दिखाते हैं, जो अपने ऑर्डर के लिए इंतज़ार कर रहा है। जैसे-जैसे वे खड़े होते हैं और देखते हैं, एक कहानी सामने आती है खाद्य वितरण की चुनौतियों और इसके साथ जुड़ी मानव इंटरैक्शन की।

किसी ने सच ही कहा है – “दुकान चलाना आसान नहीं!” खासकर जब आपके सामने अजीबो-गरीब ग्राहक या डिलीवरी वाले आ जाएं। आजकल ऑनलाइन खाना मंगवाने का चलन बढ़ गया है, लेकिन कभी-कभी ये डिलीवरी वाले ऐसे-ऐसे कारनामे कर जाते हैं कि सुनकर ही हंसी आ जाए। चलिए, सुनाते हैं एक ऐसी ही कहानी जो आपको हंसने पर मजबूर कर देगी।

जूस की दुकान पर सुबह-सुबह का तमाशा

सुबह के 7:15 बजे जूस शॉप में रोज़ की तरह काम चल रहा था। तभी एक DoorDash (यहाँ समझ लीजिए – हमारे Zomato या Swiggy जैसा अमेरिका का ऐप) का डिलीवरी बॉय ‘एलेक्स’ नाम का ऑर्डर लेने आया। दुकान के कर्मचारी ने बड़ी तहजीब से बोला, “भैया, ऑर्डर तैयार होने में थोड़ा टाइम लगेगा, आप चाहें तो बैठ जाइए।”

लेकिन भैया ने बैठने के बजाय काउंटर के सामने खड़े-खड़े कर्मचारी को ऐसे घूरना शुरू किया, जैसे कोई शिक्षक परीक्षा में बच्चों की नकल पकड़ने आया हो! न कोई बात, न कोई मुस्कान – बस पूरी तन्मयता से घूरना। ऊपर से कभी-कभी साँस छोड़कर “हूंफ” भी कर रहे थे, जैसे बहुत चिढ़ गए हों।

बदले की भावना: “अब तो मैं और धीरे बनाऊंगा!”

अब बताइए, किसी के ऐसे घूरने पर किसका मन लगेगा काम में? कर्मचारी ने सोचा – “अच्छा, जनाब! आपको जल्दी है और घूरने से लगता है मैं दौड़ पड़ूंगा? अब देखिए मेरा जादू!” कर्मचारी वैसे तो जूस और स्मूदी कुछ ही मिनटों में बना लेता था, लेकिन उस दिन उसने जान-बूझकर हर चीज़ में टाइम लगाया। फल काटना, मिलाना, गिलास में डालना – सब कुछ स्लो मोशन में।

कर्मचारी का कहना था, “भैया, ये कोई रेलवे प्लेटफॉर्म नहीं जहां ट्रेन पकड़नी है! मैं अपना काम करूंगा, जितना टाइम लगेगा, लगेगा। घूरने से कुछ नहीं होगा।”

कम्युनिटी के मजेदार सुझाव: घूरने का घूरता जवाब!

इस कहानी पर Reddit कम्युनिटी ने भी शानदार कमेंट्स किए। एक यूज़र ने सलाह दी – “अगली बार ब्लेंडर ऑन करके आप भी डिलीवरी बॉय की आंखों में आंखें डालकर घूरिए, देखिए कैसे भागते हैं!” एक अन्य ने कहा – “अगर ज्यादा तंग करे तो स्मूदी पूरा बना के कूड़ेदान में डाल दो, और घूरते हुए कहो – ‘गलती से ऑर्डर उल्टा हो गया, अब अगला बनाऊंगा।’ मज़ा आ जाएगा!”

किसी ने तो मजाक में कहा – “अगर सामने वाला इंडियन लड़का है तो सीधी आंख में आंख डालना खतरे से खाली नहीं, कहीं वो समझ न बैठे कि आप उसे पसंद करने लगे हैं!” एक और ने जोड़ दिया – “भइया, भारत में तो नजरें मिलाना कभी-कभी इशारे समझ लिए जाते हैं।”

लेकिन कई लोगों ने यह भी कहा – “किसी के काम करते वक्त घूरना गलत बात है। अगर आपको काम देखना ही है तो नज़रें झुका कर, आराम से देखिए। वरना सामने वाले को अजीब लगता है।”

ग्राहक, डिलीवरी वाले और कर्मचारी: किसकी गलती?

अब सोचिए, अगर भारत में किसी जूस वाले के सामने कोई डिलीवरी बॉय इस तरह खड़ा होकर घूरे, तो क्या हो? हमारे यहाँ तो दुकानदार बोल ही देता – “भैया, आराम से बैठिए, बन रहा है। घूरने से जल्दी नहीं होगा!” या फिर कोई मजाक में पूछ लेता – “इतनी ध्यान से क्या देख रहे हो, रेसिपी चुरानी है क्या?”

डिलीवरी वालों का दर्द भी समझना जरूरी है। कई बार ऐप्स से उन पर टाइम की पाबंदी रहती है, देरी होने पर रेटिंग गिर जाती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप दुकान वालों को घूर-घूरकर परेशान करो! आखिर इंसानियत भी कोई चीज़ है।

एक कमेंट में किसी ने बड़ा ही दिलचस्प किस्सा शेयर किया – “मेरे डिलीवरी बॉय ने मुझे बताया कि वो स्टाफ को घूर-घूरकर हड़काता है ताकि ऑर्डर जल्दी मिले। मैंने तो उसे मना किया, ‘भैया, आराम से लो, जल्दी की जरूरत नहीं। कहीं स्टाफ नाराज हो गया तो खाने में नमक-मिर्च ज्यादा न डाल दे!’”

मजेदार सबक: घूरना है तो प्यार से देखो, ताव में नहीं!

हमारे समाज में भी अक्सर दुकानों पर, बैंकों में या सरकारी दफ्तरों में लोग ऐसे खड़े होकर कर्मचारियों को घूरते रहते हैं, जैसे उनकी नजरों से काम रफ़्तार पकड़ लेगा। सच्चाई तो ये है कि इससे उल्टा असर होता है – सामने वाला या तो परेशान हो जाता है या फिर जानबूझकर धीमा हो जाता है!

इसलिए अगली बार जब आप किसी दुकान या होटल में हों, तो थोड़ा धैर्य रखिए। अगर आपको काम में दिलचस्पी है, तो हल्की मुस्कान के साथ देखिए, वरना मोबाइल में व्यस्त हो जाइए। आखिरकार, “नजरें मिलाना है तो प्यार में मिलाओ, ताव में नहीं।”

निष्कर्ष: आपकी राय क्या है?

कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हर किसी को सम्मान से पेश आना चाहिए – चाहे वो डिलीवरी बॉय हो, ग्राहक या दुकान वाला। कभी-कभी छोटी-छोटी हरकतों से बड़ी-बड़ी गलतफहमियाँ और मनोरंजन दोनों पैदा हो जाते हैं।

आपका क्या अनुभव रहा है? कभी किसी ने आपको ऐसे परेशान किया हो? या आपने खुद कभी किसी को अनजाने में घूर दिया हो? नीचे कमेंट में जरूर बताइए और दोस्तों के साथ ये मजेदार किस्सा शेयर करना न भूलें!


मूल रेडिट पोस्ट: To the doordasher who stood and STARED at me the entire time I made your pickup order: