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जब ड्राइव-थ्रू में घमंड की हवा निकल गई: एक छोटे बदले की बड़ी कहानी

80 के दशक के अंत में मैकडॉनल्ड्स के ड्राइव-थ्रू दृश्य में एक रुखा ग्राहक, कन्वर्टिबल में।
मैकडॉनल्ड्स के 80 के दशक के अंत के ड्राइव-थ्रू अनुभव की एक यादगार झलक, जब मोबाइल फोन नए थे और बेतकल्लुफी बढ़ रही थी। फास्ट फूड और अविस्मरणीय मुलाकातों के दिन याद हैं?

कभी-कभी हमारे रोजमर्रा के जीवन में छोटी-छोटी घटनाएँ हमें बड़ी सीख दे जाती हैं। खासकर जब बात आती है इंसानी व्यवहार और शिष्टाचार की। आज मैं आपको एक ऐसी मज़ेदार और सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें एक साधारण सा कर्मचारी एक घमंडी ग्राहक को ऐसा सबक सिखाता है कि पूरी इंटरनेट कम्युनिटी ताली बजा उठती है।

ड्राइव-थ्रू में 'मोबाइल-पर्व' का अहंकार

साल था 1988। मोबाइल फोन तब भारत में तो दूर की कौड़ी थे, लेकिन अमेरिका जैसे देशों में भी यह गिनती के लोगों के पास हुआ करते थे। ऊपर से उनका आकार – ऐसा लगता था जैसे ईंट लेकर घूम रहे हों! लेकिन घमंड तो घमंड है, जहाँ भी मिल जाए, झलक ही जाता है।

हमारी कहानी का नायक, Reddit यूज़र ‘u/Bright-Apartment-439’, उस समय मैकडॉनल्ड्स के ड्राइव-थ्रू में काम करता था। एक दिन एक साहब अपनी चमचमाती कन्वर्टिबल कार में आए। कान पर बड़ा सा मोबाइल फोन, और अंदाज ऐसा कि बाकी दुनिया का कोई वजूद ही न हो। जैसे ही वे ऑर्डर स्पीकर के पास पहुँचे, मोबाइल पर लगे-लगे बड़बड़ाते हुए अपना ऑर्डर सुना डाला और आगे बढ़ गए।

अब हमारे देश में भी ऐसे लोग कम नहीं, जो फोन पर बात करते-करते दुकानदार को सामान गिनवाते हैं, जैसे सामने वाला कोई मशीन हो। लेकिन यहाँ तो कर्मचारी भी कम चतुर नहीं था!

'कस्टमर सर्विस' का मीठा बदला

अब असली मज़ा तो तब आया जब जनाब भुगतान खिड़की तक पहुँचे, तब भी मोबाइल से चिपके हुए थे। पैसे का नोट हवा में लहरा रहे थे, पर कर्मचारी खड़ा रहा – जब तक उसकी तरफ ध्यान न दे दें। मानो कह रहा हो – “भैया, हम कोई मशीन नहीं, इंसान हैं!”

फिर तो कर्मचारी ने ऐसा खेल खेला कि जनाब का घमंड पल भर में काफूर हो गया। पहले तो उसने जानबूझकर कहा कि आपके ऑर्डर का कोई रिकॉर्ड नहीं है, फिर सामने वाले ग्राहक का ऑर्डर दोहराया। जब ग्राहक ने झल्लाकर दोबारा अपना ऑर्डर बताया, तब भी जवाब मिला – “माफ कीजिए, कंप्यूटर में ऐसा कोई ऑर्डर नहीं है।”

ग्राहक की हालत पतली! कर्मचारी ने बड़ी विनम्रता से कहा – “कृपया लाइन में वापस जाइए और दोबारा ऑर्डर दीजिए।” अब सोचिए, कितनी बार हमारे यहाँ भी लोग लाइन तोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसे मौके पर अगर कोई कर्मचारी नियम से काम करे, तो सीख तो मिलती है!

इंटरनेट की प्रतिक्रिया: 'शिष्टाचार' के नाम एक ताली

इस घटना ने Reddit पर तहलका मचा दिया। एक यूज़र ने मज़ेदार टिप्पणी की – “कम से कम उसने अपनी हार को दिल से स्वीकार किया।” (यानी ‘लड़खड़ा के भी, साहब लाइन में दुबारा लग गए!’) किसी ने कहा, “आजकल तो ऐसे लोग मिलना दुर्लभ है जो अपनी गलती मान लें।” एक बुज़ुर्ग सदस्य ने तो यहाँ तक कहा – “सिर्फ आज नहीं, हर दौर में लोग बद्तमीज़ रहे हैं, फर्क इतना है कि अब रिकॉर्डिंग बढ़ गई है।”

एक और यूज़र ने लिखा, “बहुत शानदार! काश मैं आपको इनाम दे सकता।” एक अन्य ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “उसने लाइन-टैक्स चुका दिया!” — यानी जो नियम तोड़ेगा, उसको सज़ा मिलेगी।

क्या आपने कभी दुकानों या कैफे में ऐसे बोर्ड देखे हैं – “आपकी कॉल खत्म होने के बाद ही ऑर्डर लिया जाएगा”? Reddit पर एक सदस्य ने बताया कि उनके इलाके की बेकरी में ऐसी तख्ती टंगी रहती थी, ताकि लोग पहले बातचीत पूरी करें और फिर मनुष्यों से व्यवहार करें, मशीनों से नहीं।

आज के दौर में सीख: शिष्टाचार का महत्व

हमारे देश में भी मोबाइल का भूत सिर चढ़कर बोलता है। शादी-ब्याह में, दुकानों में, रेलवे टिकट काउंटर पर – हर जगह लोग फोन पर व्यस्त रहते हैं और सामने वाले इंसान को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन याद रखिए, सामने खड़े दुकानदार, वेटर या कर्मचारी भी इंसान हैं, उनकी भी इज्जत है।

इस कहानी से एक और बात साफ होती है – कभी-कभी छोटी सी सजा, बड़ा सबक सिखा जाती है। Reddit के मूल लेखक ने भी बाद में लिखा कि जब वह ग्राहक दोबारा लाइन में आकर ऑर्डर देने लगा, तो उसने पूरी मिठास के साथ मुस्कुराकर उसका ऑर्डर लिया, जैसे कुछ हुआ ही न हो। यही तो असली ‘कस्टमर सर्विस’ है – और यही असली बदला!

निष्कर्ष: क्या आपको भी ऐसा अनुभव हुआ है?

इस घटना ने इंटरनेट पर लोगों को हँसाया भी, और सोचने पर मजबूर भी किया। अगली बार जब आप दुकान या रेस्टोरेंट में जाएँ, तो ज़रा सोचिए – क्या आपका व्यवहार सामने वाले कर्मचारी के प्रति उचित है? क्या हम भी कभी-कभी घमंड या लापरवाही में ऐसे ही बर्ताव नहीं कर जाते?

अगर आपके साथ भी ऐसी कोई दिलचस्प घटना घटी हो, या आपने कभी किसी घमंडी ग्राहक को सबक सिखाया हो, तो कमेंट में जरूर बताइए। और हाँ, अगली बार जब आप मोबाइल पर व्यस्त हों, तो ध्यान रखिए – सामने वाला भी इंसान है, मशीन नहीं!


मूल रेडिट पोस्ट: Revenge in the Drivethru