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जब ट्रक ड्राइवर की ज़िद ने उसे भारी सबक सिखा दिया: एक मज़ेदार औद्योगिक किस्सा

औद्योगिक स्थल पर भारी मशीनरी, खुदाई करने वाले और पहिएदार लोडर का प्रदर्शन करते हुए।
औद्योगिक माहौल में भारी मशीनरी का एक सिनेमाई दृश्य, विशाल खुदाई करने वालों और पहिएदार लोडरों के संचालन का रोमांच दर्शाता है, जो मेरे साहसी दिनोें की याद दिलाता है।

काम की जगह पर अक्सर तुनकमिजाज लोग मिल ही जाते हैं, जिनकी जिद और अकड़ दूसरों के लिए सिरदर्द बन जाती है। लेकिन कहते हैं न – ‘जैसी करनी, वैसी भरनी!’ आज हम आपको सुनाएंगे एक ऐसी ही मज़ेदार कहानी, जिसमें एक ट्रक ड्राइवर की हठ और मशीन ऑपरेटर की तगड़ी ‘मालिशियस कंप्लायन्स’ ने सबको हँसा-हँसा कर लोटपोट कर दिया।

बड़ी मशीनें, बड़ी जिम्मेदारी – और बड़ी जिद!

करीब बीस साल पहले एक इलेक्ट्रिकल प्रोफेशनल ने कुछ वक्त के लिए भारी मशीनें चलाने का काम पकड़ा – वो भी ऐसे इंडस्ट्रियल साइट पर, जहाँ हर दिन बिल्डिंग का मलबा ट्रकों में लादना पड़ता था। सोचिए, वोल्वो L110 जैसे बड़े व्हील लोडर से ईंट-पत्थर, कंक्रीट और मिट्टी को ट्रकों में डालना – मेहनत भी, मज़ा भी।

हर शिफ्ट में कई ट्रक आते-जाते थे और ज्यादातर ड्राइवर समझदार और सहयोगी होते थे। लेकिन एक दिन एक नए साहब आ गए – जिनकी ज़बान पर बस एक ही बात थी: ‘चार बाल्टी ट्रक में डालो, पाँच ट्रेलर में!’ ऑपरेटर ने झिझकते हुए समझाया – “भैया, आमतौर पर दो बाल्टी ट्रक में, तीन ट्रेलर में ही डालते हैं, वरना ओवरलोड हो जाएगा।” लेकिन साहब तो मानो ‘लौहपुरुष’ निकले – “जितना बोला उतना डालो!”

‘जैसा बोला, वैसा ही मिलेगा!’ – जब हठ का मिला सीधा जवाब

अब यहाँ ऑपरेटर ने सोचा – ‘जैसी करनी, वैसी भरनी!’ उसने वोल्वो लोडर की बाल्टी को मलबे के ढेर में इस तरह घुसाया जैसे बच्चे मिट्टी में खिलौना घुसाते हैं, और बाल्टी को इतनी ठसाठस भर दिया कि पीछे के पहिए ज़मीन से उठने लगे। एक नहीं, चार-पाँच बार यही किया। ट्रक और ट्रेलर में इतना माल डाल दिया कि बेचारे ड्राइवर की शक्ल लाल हो गई। कुछ ही देर में ड्राइवर हाँफता-काँपता, गुस्से से तमतमाया हुआ वापस आया – और बोला, “सब वापस गिराओ!” आखिरकार उसे उसी ऑपरेटर से कम लोड करवाना पड़ा।

यहाँ एक पाठक की टिप्पणी याद आती है – “कई बार लोग जबरदस्ती करवाते हैं, और जब नतीजा सामने आ जाता है तो होश ठिकाने आ जाते हैं!” यही हुआ उस दिन भी।

ओवरलोडिंग का देसी अनुभव – ‘अति का भला न कोई!’

हमारे यहाँ भी, चाहे ईंट-भट्ठा हो या मंडी, ओवरलोडिंग का किस्सा आम है। एक यूज़र ने मज़ेदार किस्सा साझा किया कि कैसे एक ग्राहक ने फोर्कलिफ्ट से अपने छोटे ट्रक में भारी पत्थर लदवा लिए और जब ट्रक की चेसिस ज़मीन चूमने लगी तो उसके होश उड़ गए। दुकान वालों ने पहले ही वार्निंग दी थी, लेकिन ग्राहक की ‘मैं जानता हूँ’ वाली जिद भारी पड़ गई।

एक और पाठक ने बहुत बढ़िया सलाह दी – “अगर दुकानदार या साइट का कर्मचारी आपको लिखित में जिम्मेदारी लेने को कहे, तो समझ जाइए कि कोई गड़बड़ होने वाली है!” हमारे यहाँ भी कई बार ‘फॉर्म पर साइन करा लो’ या ‘मुचलका भरवा लो’ का चलन है, क्योंकि लोग मानते ही नहीं।

सीख भी, हँसी भी – और कड़वा सच!

इस पूरी घटना में हास्य भी है और सीख भी। एक और मजेदार टिप्पणी थी – “लोग सोचते हैं एक ही बार में सारा माल ले जाएँगे, लेकिन जब गाड़ी की सस्पेंशन बैठ जाती है या सड़क पर पंचर हो जाता है, तब समझ में आता है कि जल्दबाज़ी में कितना नुकसान हो सकता है।”

इसीलिए, चाहे फैक्ट्री हो या घर की मरम्मत – अपने वाहन की क्षमता और एक्सपर्ट की सलाह को नज़रअंदाज़ मत कीजिए। वरना ‘मालिशियस कंप्लायन्स’ का स्वाद आपको भी चखना पड़ सकता है!

निष्कर्ष – क्या आपके साथ भी हुआ है ऐसा?

तो अगली बार जब आप किसी एक्सपर्ट की सलाह को नजरअंदाज करने की सोचें, दो बार जरूर सोच लीजिए। क्या आपके साथ भी ऐसी कोई मजेदार या सबक देने वाली घटना घटी है? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें – शायद आपकी कहानी भी हमें हँसा दे या कोई नया सबक सिखा दे!

कहावत याद रखिए – ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’ यानी हर चीज़ की अति बुरी होती है, फिर चाहे वो माल लोड करना हो या अपनी बात पर अड़ना!


मूल रेडिट पोस्ट: A heavy compliance.