जब टाई पहनने की ज़िद बनी आफत: प्रिंट शॉप का रंगीन-बो टाई विद्रोह
ऑफिस में ड्रेस कोड की बात आते ही हर किसी के चेहरे पर अलग-अलग भाव दिखते हैं। कहीं लोग यूनिफॉर्म को बेमन से पहनते हैं, तो कहीं कोई बॉस फैशन पुलिस बनकर नया नियम थमा देता है। लेकिन क्या हो जब कर्मचारियों की टोली इस “कायदे” को ही हंसी का विषय बना दे? आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें टाई की ज़िद ने प्रिंट शॉप को रंगीन बो टाई के मेले में बदल दिया – और बॉस की सारी अकड़ धरी की धरी रह गई!
टाई की ज़िद और कर्मचारियों का जवाब
कहानी एक पुराने प्रिंट शॉप की है, जिसका नाम अब बदल चुका है लेकिन लोग आज भी उसे पुराने नाम से ही जानते हैं। वहां का माहौल बड़ा मस्त था – ग्रेजुएट स्टूडेंट्स, बैंड वाले, दो-दो जॉब करने वाली माएं, और ऐसे लोग जो बस ज़िंदगी जीना जानते हैं। सबका ड्रेस कोड था – नेवी पैंट, शर्ट और चाहो तो कार्डिगन। टाई का कोई झंझट नहीं!
लेकिन फिर आए एक नए जिले के मैनेजर साहब/मैडम। उन्होंने आते ही मुस्तैदी दिखाई – “कर्मचारी टाई क्यों नहीं पहन रहे?” अब बताइए, प्रिंट शॉप में भारी-भरकम लैमिनेटिंग मशीन के पास टाई पहनना मतलब गला खुद जोखिम में डालना! एक हल्की सी चूक और टाई मशीन में फँसी तो सीधा अस्पताल!
पर मैनेजर ने धमकी दी – “जो टाई नहीं पहनेगा, नोटिस मिलेगा!” अब टीम में से ‘गिल’ नाम का एक बड़ा शांत मगर चालाक बंदा निकला। उसने एम्प्लॉय हैंडबुक उठाई, देखा कि बोटाई भी चलेगी। फिर क्या – ईबे से ऑर्डर कर दी बो टाईयों की एक ऐसी पेटी जिसमें थे – झक्कास रंग, पोल्का डॉट्स, अजीब-ओ-गरीब डिज़ाइन और साइज भी जैसे बच्चों के नाटक में पहनने वाली!
बो टाई का धमाल, गुस्से में बॉस
अब ऑफिस में हर कोई वही रंग-बिरंगी बो टाई पहनकर घूम रहा था। ग्राहक भी हैरान – “भई, ये क्या चल रहा है?” किसी को लगा कि ये कोई थीम पार्टी है, पर असल में ये तो कर्मचारियों की चुपचाप बगावत थी।
एक महीने बाद मैनेजर फिर से आईं – देखा तो हर कोई बो टाई में! गुस्से से लाल-पीली। लेकिन मैनेजर के पास कोई जवाब नहीं था – एम्प्लॉय हैंडबुक में रंग या साइज की कोई पाबंदी ही नहीं थी। और सभी कर्मचारी “कायदे के अनुसार” टाई पहन रहे थे।
जब बॉस चली गईं, तो मैनेजर ने भी हिम्मत दिखा दी – “अब से टाई पहनना आपकी मरज़ी!” लेकिन कभी-कभी कोई कर्मचारी फिर भी पोल्का डॉट वाली बो टाई पहनकर पुराने ज़माने की याद दिला देता।
सुरक्षा बनाम स्टाइल: टाई पहनने का असली झंझट
यह कहानी सुनते ही कई लोगों ने अपने-अपने अनुभव शेयर किए। एक कमेंट करने वाले ने बताया – “मेरे पिता असेंबली प्लांट में इंजीनियर थे। एक बार एक साथी की टाई मशीन में फँस गई – उसके बाद उन्होंने वेल्क्रो वाली टाई बनवा ली, जो झटके में खुल जाती थी।”
एक और सज्जन ने लिखा – “हम सिक्योरिटी गार्ड थे, कंपनी दो तरह की टाई देती थी – एक वेल्क्रो और दूसरी इलास्टिक वाली। ताकि कोई मारपीट में टाई पकड़ न ले।”
भारतीय दफ्तरों में भी ऐसा होता है – कई बार फॉर्मल लुक के चक्कर में सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। लेकिन जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ी है, अब कई कंपनियाँ मशीनों के पास टाई या लटकने वाले बैज पहनने से मना करती हैं। डॉक्टर भी अब बो टाई पहनना पसंद करते हैं, ताकि मरीजों पर टाई न लटक जाए और संक्रमण का खतरा न रहे।
बो टाई: फैशन या विद्रोह?
एक और कमेंट में मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा था – “बो टाई कूल है!” जैसे बॉलीवुड में कोई कह दे – ‘सूट-बूट में पगड़ी पहन ले, पर टाई नहीं!’
एक साहब ने तो ये तक कह दिया कि – “टाई पहनना मतलब खुद की सांस को दफ्तर में छूट जाने देना!” और सोचिए, राजनीति या बड़े ओहदों पर बैठे अफसरों में से कितने बिना टाई के दिखते हैं? शायद ही कोई!
इस कहानी के बहाने Reddit पर एक कमेंट ने खूब हँसाया – “अगर ऑफिस में फॉर्मल ड्रेस चाहिए, तो स्की मास्क भी पहनवा दो!”
निष्कर्ष: नियमों का मज़ाक भी कभी-कभी ज़रूरी है
कहानी का असली मज़ा यही है कि कभी-कभी कर्मचारियों की एकता और चालाकी बड़े से बड़े नियम को भी हंसी का पात्र बना सकती है। ड्रेस कोड हो या ऑफिस का कोई और कायदा, अगर वो ज़मीनी हकीकत से मेल नहीं खाता तो उसका हल यूँ ही निकलेगा – पोल्का डॉट बो टाई, रंग-बिरंगे पैटर्न, और ढेर सारी मुस्कान के साथ!
तो अगली बार ऑफिस में कोई अजीब नियम आए, तो याद रखिए – ज़रूरी नहीं हर नियम सिर झुकाकर मान लिया जाए, थोड़ा ह्यूमर, थोड़ा दिमाग और टीम वर्क – और बॉस भी सोच में पड़ जाएगा!
आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा कोई मजेदार किस्सा हुआ है? नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें!
मूल रेडिट पोस्ट: But they aren’t wearing ties!