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जब झूठी दोस्त को मिला टैटू वाला सबक: एक छोटी सी बदला कहानी

एक युवा महिला अपने दोस्त की झूठ से प्रेरित नए टैटू को दिखा रही है, रंगीन टैटू स्टूडियो की सजावट के बीच।
दोस्ती के एक अनोखे मोड़ में, यह फोटो-यथार्थवादी चित्र उस क्षण को कैद करता है जब पेगी अपने नए टैटू का अनावरण करती है, जो एक मजेदार झूठ की स्थायी याद है। हमारे नवीनतम ब्लॉग पोस्ट में दोस्ती और अप्रत्याशित विकल्पों की कहानी में डूबें!

दोस्ती में कभी-कभी ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं, जो यादों में रह जाती हैं। और जब बात हो जाए एक 'पिक-मी' टाइप दोस्त की, तो उसमें मसाला तो वैसे ही भरपूर होता है! आज की कहानी कुछ ऐसी ही है—जिसमें झूठ, ईर्ष्या, और एक टैटू के इर्द-गिर्द बुनी गई एक छोटी सी लेकिन मजेदार बदला कहानी है।

पिक-मी दोस्ती और पहली रात का ड्रामा

हमारी कहानी की नायिका, जिसे हम 'स्नेहा' कह सकते हैं, की उम्र लगभग २५ साल है। उसकी मुलाकात एक नई दोस्त 'पैगी' (नाम बदला हुआ) से होती है, जो हाल ही में उनकी दोस्त के पड़ोस में शिफ्ट हुई थी। पहली मुलाकात में स्नेहा को एहसास हो गया कि ये दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चलेगी, क्योंकि पैगी शुरू से ही तंज कसने में पीछे नहीं थी। लेकिन, स्नेहा ने उसे तुरंत जज करने के बजाय एक गेम नाइट पर बुला लिया—और यही थी उसकी सबसे बड़ी भूल!

पहला ही गेम, 'सार्डिन्स', में पैगी ने जानबूझकर गिरने का नाटक किया और स्नेहा का सिर शेल्फ में मार दिया—फिर सबके सामने हँसते हुए बोली, “मैंने पहले ढूंढ लिया था, इसलिए तुम्हें धक्का दिया!” इसके बाद 'किंग्स कप' में पैगी ने सबके सामने स्नेहा की तलाकशुदा जिंदगी का मजाक उड़ाने की कोशिश की। ऐसी हरकतें पूरी रात चलती रहीं, और स्नेहा को यकीन हो गया कि यहाँ कोई गड़बड़ है।

जैसे ही स्नेहा ने थोड़ा ध्यान दिया, उसे समझ आ गया कि पैगी की सारी ईर्ष्या 'मार्क' नामक दोस्त के कारण थी—जो ग्रुप में काफी लोकप्रिय और आकर्षक था। पैगी को ये बिलकुल पसंद नहीं था कि स्नेहा और मार्क अच्छे दोस्त हैं। अगले छह महीनों तक, whenever मार्क आस-पास होते, पैगी स्नेहा को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती।

टैटू वाली चाल: झूठ बोले, टैटू पाए!

अब असली मज़ा तो तब आया, जब कहानी में टैटू का तड़का लगा। स्नेहा काफी समय से अपनी माँ की याद में एक ड्रैगन टैटू बनवाने का सोच रही थी। उसने अपने टैटू आर्टिस्ट के साथ डिज़ाइन से लेकर फूलों तक सब डिस्कस कर रखा था। एक दिन, पैगी ने जब टैटू की बात छेड़ी, तो स्नेहा को एक आइडिया आया—और यहीं से शुरू होती है बदले की असली कहानी।

स्नेहा ने पैगी से झूठ बोला कि वह 'Spirited Away' फिल्म की बहुत बड़ी फैन है (जो कि इंडिया में ज़्यादा लोग शायद न जानते हों, लेकिन जापान की एक प्रसिद्ध ऐनिमेशन फिल्म है), और उसमें एक हाकू नामक ड्रैगन है, जिसे वह अपने हाथ पर बनवाना चाहती है। पैगी, जिसने ये फिल्म देखी भी नहीं थी, तुरंत फँस गई। स्नेहा ने उसे फिल्म देखने की सलाह दी और बात यहीं खत्म कर दी।

लेकिन, जैसा कि सोशल मीडिया पर एक कॉमेंट में मज़ाकिया अंदाज में कहा गया—"कभी-कभी लोग इतने खुदगर्ज़ होते हैं कि खुद ही अपने जाल में फँस जाते हैं।" (u/noguerra)

जब बदला बन गया टैटू: कम्यूनिटी के मजेदार रिएक्शन

पैगी ने दो हफ्ते बाद स्नेहा को वही टैटू दिखाया, बिल्कुल वैसा जैसा स्नेहा ने झूठ में बताया था—और ये कोई छोटा-मोटा टैटू नहीं, बल्कि पूरा हाथ कवर करने वाला ड्रैगन था! पैगी शायद सोच रही थी कि स्नेहा जल-भुन जाएगी, लेकिन स्नेहा तो घर जाकर हँसी-हँसी में लोटपोट हो गई। आज तक, दो साल बाद भी, जब भी उस टैटू की बात होती है, स्नेहा को हँसी आ जाती है और थोड़ा पछतावा भी।

रेडिट कम्युनिटी में इस कहानी ने खूब वाहवाही बटोरी। एक यूज़र ने लिखा, “ये बदला तो इतना मज़ेदार है कि इसे मेरा 'स्टाम्प ऑफ अप्रूवल' मिलना चाहिए।” (u/knouqs) वहीं, एक और कॉमेंट था, “अब उसे सारी ज़िंदगी सबको बताना पड़ेगा कि 'Spirited Away' उसकी फेवरिट फिल्म है—ये तो वोह गिफ्ट है जो हमेशा देता रहेगा!” (u/Lumpy_Marsupial_1559)

कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि अगर स्नेहा चाहती तो टैटू देखकर कह सकती थी—“क्या बात कर रही हो, मैं तो मजाक कर रही थी! मुझे कभी हाकू का टैटू नहीं चाहिए था।” सोचिए, पैगी का चेहरा देखने लायक होता!

एक और मजेदार सलाह थी—“अब पैगी को बोल दो कि असल में मेरा फेवरिट तो 'Neverending Story' का ड्रैगन है, देखो वो दूसरा टैटू कब बनवाती है!” (u/Mabubifarti)

असली दोस्ती या झूठा साथ?

इस कहानी में एक और दिलचस्प पहलू था—स्नेहा की बाकी दोस्त मूक दर्शक क्यों बनी रहीं? कई कॉमेंट्स में लोगों ने यह सवाल उठाया कि जब पैगी इतनी जहरीली हरकतें कर रही थी, बाकी दोस्त क्यों चुप थे? कुछ ने कहा कि ग्रुप में अक्सर ऐसे लोग आ जाते हैं, जिनके असली रंग धीरे-धीरे सामने आते हैं, और लोग बिना बात के नाटक में नहीं पड़ना चाहते। लेकिन वहीं कुछ का मानना था कि असली दोस्त वो होते हैं जो ऐसे समय पर आपका साथ दें—वरना ये दोस्ती भी क्या दोस्ती!

निष्कर्ष: चुटकी में बदला, ज़िंदगी भर की याद

तो पाठकों, इस कहानी से हमें क्या सिखने को मिलता है? कभी-कभी चुटकी में लिया गया बदला किसी की ज़िंदगी पर छाप छोड़ सकता है—वो भी टैटू की तरह, हमेशा के लिए! और हाँ, दोस्ती में ईमानदारी ज़रूरी है, वरना किसी दिन कोई आपको भी ऐसे ही टैटू का शिकार बना सकता है।

आपकी क्या राय है? क्या आपने कभी किसी 'पिक-मी' दोस्त के साथ ऐसा मजेदार या अजीब अनुभव किया है? नीचे कमेंट करें और अपनी कहानी शेयर करें!

अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो तो आगे भी ऐसे किस्सों के लिए जुड़े रहें—क्योंकि दोस्ती, ईर्ष्या और बदले की दुनिया में कहानियाँ कभी खत्म नहीं होतीं!


मूल रेडिट पोस्ट: I lied to my pick-me “friend” and she got a tattoo based off of it