जब जापानी मेहमानों ने होटल के स्विमिंग पूल में मचाया तहलका
किसी भी होटल में काम करना वैसे ही रोज़ नई-नई कहानियाँ लेकर आता है। रोज़ाना विदेशियों से लेकर देसी मेहमानों तक, हर कोई अपने अंदाज़ में यादगार बन जाता है। लेकिन जो किस्सा आज सुनाने जा रहा हूँ, वो तो मेरी ज़िंदगी का सबसे अनोखा और शर्मनाक क्षण था। इसे याद करते ही आज भी हँसी आ जाती है और थोड़ा-सा पसीना भी!
होटल का आम दिन, एक खास मोड़
ये बात है 80 के दशक की, जब मैं एक मिड-साइज़ होटल का असिस्टेंट मैनेजर था। उस जमाने में न आज की तरह मोबाइल था, न गूगल ट्रांसलेट। एक दिन फ्रंट डेस्क क्लर्क मेरे पास दौड़ता हुआ आया – "सर, एक गेस्ट ने शिकायत की है कि कुछ मेहमान स्विमिंग पूल में बच्चों और महिलाओं के सामने कुछ अजीब कर रहे हैं।" मैंने सोचा, शायद शोर-शराबा या पानी में उछल-कूद होगी। लेकिन अगले ही पल उसने बताया कि कुछ जापानी बिज़नेसमैन बिना कपड़ों के पूल में नहा रहे हैं!
संस्कृति का टकराव और इशारों की भाषा
अब भला सोचिए, हमारे यहाँ तो घर में भी बच्चों के सामने कोई तौलिया गिर जाए तो हंगामा मच जाता है। और यहाँ पूरे होटल के सामने तीन जापानी साहब बिना किसी कपड़ों के तैर रहे थे। दरअसल, जापान में ओन्सेन (गर्म पानी के सामूहिक स्नानघर) में नहाना आम है और वहाँ लोग बिना कपड़ों के नहाते हैं। शायद वे यही संस्कृति यहाँ भी ले आए थे। लेकिन हमारे देश में, और होटल के नियमों में, ये बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं था।
अब समस्या ये थी कि वे अंग्रेज़ी न के बराबर जानते थे और मेरी जापानी सिर्फ "सुषि", "कनिचिवा" और "अरिगातो" तक सीमित थी। मैं पूरे होटल स्टाफ के साथ इशारे-इशारे में समझाने की कोशिश कर रहा था – "भैया, ट्रंक पहन लो, ये इंडिया है!" लेकिन वे बस मुस्कुरा रहे थे और सोच रहे होंगे, "ये आदमी इतना लाल क्यों हो रहा है?"
शर्मिंदगी के रंग और जुगाड़ू समाधान
उस वक्त मेरी शक्ल ऐसी हो गई थी जैसे कोई छोटा बच्चा पहली बार स्कूल स्टेज पर चढ़ गया हो। क्या बताऊँ, शर्म से चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था। वहाँ खड़े-खड़े मन में यही चल रहा था कि "हे भगवान, ये मुसीबत क्यों मिली!" एक कमेंट करने वाले ने बड़े मज़े से लिखा – "लगता है होटल वाले को बेसब्री से ट्रांसलेटर की जरूरत थी, वरना चारेड्स का खेल तो चलता ही रहता!" वाकई, उस जमाने में गूगल ट्रांसलेट होता तो शायद इतनी फज़ीहत न होती।
आखिरकार, बहुत हाथ-पैर जोड़कर, साइन लैंग्वेज, और थोड़े-बहुत पिक्चर बुक्स की मदद से उन्हें समझाया कि "पूल में नहाने के लिए कपड़े पहनना ज़रूरी है।" वे समझ तो शायद आज तक नहीं पाए कि कपड़े पहनना क्यों जरूरी है, लेकिन ट्रंक पहनकर नहाने लगे। एक और कमेंट में किसी ने मज़ाक में लिखा, "शायद वे समझे कि होटल का पूल भी ओन्सेन है!"
Reddit की महफ़िल में चर्चा और हँसी-ठिठोली
इस कहानी की सबसे मज़ेदार बात ये रही कि Reddit पर जब ये किस्सा साझा हुआ, तो लोगों ने अपनी-अपनी चुटकी ली। एक यूज़र ने कहा, "भैया, अब असली कहानी तो 'न्यूड स्विमिंग बिज़नेसमैन' है, फिर भी रेसलर्स और बेसबॉल का ज़िक्र क्यों?" असल में लेखक पहले एक और लंबी कहानी सुनाने वाले थे, लेकिन बाद में ये किस्सा शेयर कर बैठे और टाइटल बदलना भूल गए!
एक और यूज़र ने हँसी में लिखा, "शायद होटल में बेसबॉल खेलने वाले रेसलर ही पूल में स्नान कर रहे थे!" वहीं, किसी ने जापानी भाषा में सलाह दी, "पूल वा मिज़ुगी गा हित्सुयो – पूल में स्विमसूट जरूरी है!" कुछ लोग बोले – "अगर आज के जमाने में होते, तो मोबाइल का गूगल ट्रांसलेट बचा लेता!"
पुराने जमाने की होटल कहानियाँ – आज भी ताज़ा
एक और कमेंट में किसी ने पूछा, "भाई, 45 साल बाद ये कहानी क्यों सुनाई?" तो लेखक ने बड़े प्यार से जवाब दिया, "पहली बार ऐसा मंच मिला है जहाँ होटल की कहानियाँ सुना सकूँ।" यही तो बात है – चाहे कहानी एक दिन पुरानी हो या पचास साल, हँसी और हैरानी का रंग कभी फीका नहीं पड़ता।
निष्कर्ष – होटल की दीवारों के पीछे की असली मस्ती
होटल की दीवारों के पीछे जो किस्से छुपे रहते हैं, वो बाहर वालों के लिए अक्सर हैरान करने वाले होते हैं। संस्कृति का टकराव, भाषा की दीवारें, और रोज़मर्रा की चुनौतियाँ – होटल स्टाफ के लिए ये रोज की बात है। और कभी-कभी, इन अजीब हालातों के बीच, हँसी और यादें बन जाती हैं। अगर आपके पास भी होटल या किसी काम की ऐसी मज़ेदार कहानी है, तो नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें – क्योंकि असली मज़ा तो किस्सों में ही है!
आपका क्या ख्याल है – क्या आपको भी कभी किसी विदेशी मेहमान की वजह से शर्मिंदगी उठानी पड़ी है? या कभी भाषा-समस्या में फँस कर कंफ्यूज़न हुआ हो? अपनी राय और किस्से हमारे साथ साझा कीजिए!
मूल रेडिट पोस्ट: Wrestlers and a Baseball Game.