जब छात्र ने टीचर को याद दिलाया – और पूरी क्लास का खेल बिगड़ गया!
स्कूल के दिनों में हम सबने कभी न कभी कोई छोटा-मोटा बदला जरूर लिया है – कभी दोस्त से, कभी टीचर से। लेकिन क्या हो जब टीचर ही थोड़ा सा मासूम बदला ले लें, वो भी पूरे क्लास के सामने? आज की कहानी है एक अंग्रेज़ी अध्यापिका की, जिन्होंने अपने छात्र की एक छोटी सी गलती को इतने मज़ेदार ढंग से हैंडल किया कि पूरा क्लास हैरान रह गया।
स्कूल की हलचल और शिक्षकों की असली जंग
स्कूल में पढ़ाना जितना आसान दिखता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण है – खासकर जब आप 8 क्लास, 200 से ज्यादा छात्रों और हर क्लास में 36 बच्चों की भीड़ को संभाल रहे हों। हमारे यहां भी, जैसे हिंदी या गणित के टीचर्स को बच्चों की शरारतें झेलनी पड़ती हैं, वैसे ही इस विदेशी देश में एक अंग्रेज़ी टीचर का हाल है।
अब सोचिए, हर क्लास के लिए एक नोटबुक, हर दिन की प्लानिंग, ऑनलाइन पोर्टल पर रिपोर्टिंग – और ऊपर से बच्चों की शैतानियाँ। बच्चों को पढ़ाई से ज्यादा बातों में मज़ा आता है। कोई किताब भूल गया, कोई होमवर्क नहीं किया, कोई टेस्ट में नकल कर रहा है... और टीचर बेचारे अपनी याददाश्त सँभालने के लिए सबकुछ लिखते-लिखते थक जाते हैं।
छात्र का 'मास्टर स्ट्रोक' और टीचर की 'प्यारी सज़ा'
एक दिन, जब मैडम ईयरबड्स लगाकर स्कूल जा रही थीं, तभी एक लड़का बिना किसी नमस्ते या अभिवादन के आकर सीधा बोल पड़ा, "मैडम, इतनी जल्दी क्विज़ कैसे दे सकते हैं, ये तो ठीक नहीं है!" अब टीचर को खुद भी याद नहीं था कि किस क्विज़ की बात हो रही है। लेकिन नियम तो नियम है – पॉप क्विज़ देना उनका अधिकार है, जैसे हमारे यहां अचानक टेस्ट हो जाता है।
टीचर ने भी जवाब दिया, "अगर आपने पढ़ाई की है तो आपको कोई डर नहीं है।" लेकिन मन ही मन सोच रही थीं, "अरे, ये किस क्विज़ की बात कर रहा है?" नोटबुक पलटी तो याद आया, हां, सच में दो-तीन दिन पहले 10 शब्दों की क्विज़ अनाउंस की थी। वो तो पूरी तरह भूल गई थीं!
अब यहाँ आता है असली ट्विस्ट – टीचर ने उस बच्चे को डांटा नहीं, बल्कि क्लास में सबके सामने मुस्कुराकर बोलीं, "भई, सब लोग इस छात्र का धन्यवाद करो, इन्हीं की वजह से आज तुम्हारी क्विज़ हो रही है, वरना तो मैं भूल ही गई थी!"
क्लासरूम की राजनीति और बच्चों की प्रतिक्रियाएँ
अब आप खुद सोचिए, उस छात्र की क्या हालत हुई होगी! क्लास के बाकी बच्चे तो उसे मन ही मन कोस रहे होंगे, "भाई, तुझे क्या ज़रूरत थी याद दिलाने की?" यही तो हमारे स्कूलों में भी होता है – जब कोई बच्चा होमवर्क याद दिला दे, तो बाकी सब उसकी 'दुश्मनी' पाल लेते हैं!
रेडिट पर एक मज़ेदार कमेंट में किसी ने लिखा – "कितनी बार बच्चों ने पूछा – 'फिर से क्विज़?' मैंने जवाब दिया – 'ये तुम्हारे लिए मौका है, नंबर बढ़ाने का!'" और क्या सही बात कही! हमारे यहां भी कई बार टीचर्स बच्चों को समझाते हैं कि टेस्ट डांटने के लिए नहीं, मौका देने के लिए है।
एक और कमेंट में किसी ने लिखा – "ये सुनकर ही लग गया था कि ये फ्रांस की कहानी है – वहां बच्चे भी ऐसे ही सीधे बोल पड़ते हैं!" हालांकि, ये सिर्फ फ्रांस नहीं, हमारे देश के स्कूलों में भी कम नहीं है। कभी-कभी तो लगता है, बच्चे हर जगह एक जैसे ही होते हैं – जरा सा मौका मिला नहीं, टीचर से भिड़ने को तैयार!
शिक्षकों की मुश्किलें और समझदारी से बदला
कई टीचर्स ने शेयर किया कि इतने बड़े क्लास साइज में बच्चों पर ध्यान देना, टेस्ट लेना, नंबर देना – सब बहुत मुश्किल होता है। एक आर्ट टीचर ने बताया कि उन्होंने रोज़ बच्चों की एक्टिविटी के नंबर देने शुरू कर दिए ताकि 'नंबर पूरे हो जाएँ'। असल में, हर जगह टीचर्स को बच्चों की शरारतों और स्कूल के नियमों में बैलेंस बनाना पड़ता है।
कुछ ने तो ये भी सलाह दी कि अगर बच्चे ध्यान नहीं देते, तो उनकी 'अटेंशन' ही छीन लो – जैसे घुड़सवारी टीचर ने किया, ध्यान नहीं दिया तो मज़े से वंचित कर दिया! इस पर हमारी अंग्रेज़ी टीचर ने भी मज़ाक में कहा – "अरे, ये अटेंशन वाली तरकीब अपने जूनियर्स पर ट्राई करूंगी!"
निष्कर्ष: बदला भी, सबक भी – और हंसी भी!
कहानी का मज़ा यही है कि टीचर ने बिना डांटे, बिना गुस्सा किए, उस छात्र को ऐसा 'प्यारा सबक' सिखाया कि पूरी क्लास को एक साथ हँसी भी आ गई और सबक भी मिल गया – कभी-कभी अपनी चालाकी खुद पर ही भारी पड़ जाती है!
तो अगली बार अगर आप अपने स्कूल या ऑफिस में किसी की गलती पकड़ें, तो सोचकर बोलिए – कहीं आपके अपने ही जाल में आप न फँस जाएँ! और सबसे जरूरी – टीचर के सामने बहस करने से पहले दो बार जरूर सोचिए, वरना पूरी क्लास की शामत आ सकती है!
अगर आपके साथ भी कभी ऐसा कोई मजेदार किस्सा हुआ हो, तो कमेंट में जरूर बताइए। क्या आपने भी कभी किसी दोस्त की वजह से पूरी क्लास को डांट पड़वाई है? चलिए, अपनी-अपनी 'पेट्टी रिवेंज' कहानियाँ शेयर करें और मज़े लें!
मूल रेडिट पोस्ट: High school student