जब 'चूहा' पकड़ने की जुगत में खुद फँस गया जॉन: एक ऑफिस ड्रामा
क्या आपने कभी ऐसे सहकर्मी के साथ काम किया है जो खुद को सबका बाप समझता हो, हर बात में अपनी अक्ल झाड़ता हो, और ऊपर से आपको ही शक की निगाह से देखता हो? अगर हाँ, तो आज की कहानी आपके दिल को खूब सुकून देगी! ये किस्सा है एक यूनिवर्सिटी कंप्यूटर लैब का, जहाँ एक मामूली-सी "चूहा" समस्या ने सबकी जिंदगी में भूचाल ला दिया—खासकर उस जॉन नाम के महाशय की, जिनका खुद पर घमंड और दूसरों पर शक दोनों ही सातवें आसमान पर था।
जॉन की दुनिया: घमंड, डर और 'चूहे' की अफ़वाह
2018 की बात है, एक यूनिवर्सिटी की कंप्यूटर लैब में लेखक (हमारे नायक) पार्ट-टाइम काम करते थे। असली हेड तो जॉन नाम के सज्जन थे, जिनका बस चलता तो खुद को ‘कलयुग का चाणक्य’ घोषित कर देते! जॉन को लगता था कि उनकी नौकरी कोई जैकपॉट है और कोई भी उसकी कुर्सी छीन सकता है। भैया, काम-धाम में तो उन्हें कोई दिलचस्पी थी नहीं, सारा दिन कंप्यूटर पर बैठकर गाने सुनना और इंटरनेट चलाना ही उनका असली 'दायित्व' था।
जब लेखक वहाँ आए, तो जॉन ने उन्हें खतरे की घंटी समझ लिया, जैसे भारत में चाय की दुकान पर नया लड़का आ जाए और पुराने वाले को लगे कि उसकी बिक्री आधी हो जाएगी! जॉन का रवैया बड़ा ही 'करेन' टाइप था—हर छोटी बात पर शिकायती चिट्ठी, दूसरों की टांग खींचना, और खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी साबित करना।
'चूहे' की कहानी: जासूसी का नया बहाना
एक दिन जॉन ने ऑफिस का दरवाज़ा बंद किया, इंटरनेट काट दिया और बिल्कुल बॉलीवुड विलेन की तरह बोले— "इस लैब में कोई चूहा है जो रात में घुसकर हमारे कंप्यूटर से क्रिप्टो-माइनिंग कर रहा है! और जब पकड़ में आएगा, तो देख लूंगा..." उस पल तो लेखक ने सोचा—"भैया, ये तो CID का पूरा एपिसोड है!"
लेकिन जॉन का असली मकसद कुछ और था। असल में, उन्होंने बिना यूनिवर्सिटी की इजाज़त के, ऑफिस में एक छुपा हुआ कैमरा लगा दिया, और वो भी लेखक की डेस्क के ऊपर! यानी चूहा पकड़ा जाए न जाए, जॉन को तो बस अपने साथी पर नजर रखनी थी, कहीं उसकी कुर्सी न डोल जाए। एक यूज़र ने कमेंट में लिखा— "जॉन ने पूरा 'चूहा' ड्रामा ही इसलिए रचा, ताकि कैमरा लगाने का बहाना मिल सके!" (u/TenaCVols)
खुद के ही जाल में फँस गया 'महाज्ञानी'
लेखक को जब ये सब पता चला, तो उन्होंने सीधा प्रशासन से बड़ी मासूमियत से पूछ लिया— "सर, चूहे का कुछ पता चला? और जॉन ने जो कैमरा लगाया है, वो तो लैब में नहीं, मेरी डेस्क पर है। ऐसे कैसे पकड़ेंगे चूहा?"
बस, यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर का गुस्सा सातवें आसमान पर! न जॉन से पूछा, न सुना—सीधा डांट पड़ी, कई सुविधाएँ छिन गईं और जॉन को ऐसी जगह शिफ्ट कर दिया गया जहाँ सब उसकी हरकतें देख सकें। ऊपर से, छुट्टी के दिन आकर कंप्यूटर चेक करने की जिम्मेदारी भी मिल गई—अब भैया, ये तो वही हुआ, "खुद ही गड्ढा खोदा, खुद ही गिर गए!"
एक कमेंट में खूब मज़ेदार लिखा गया—"जॉन ने खुद ही अपने लिए जाल बिछाया, खुद ही उसमें फँस गया!" (u/Flatulent_Opposum) और एक अन्य ने तो तंज कसा—"जॉन ही असली चूहा निकला!" (u/NoYouth9831)
सबक: घमंड का सिर हमेशा नीचा होता है
इस घटना ने एक बड़ा सबक दिया—जो दूसरों को बुरा समझकर चाल चलता है, अकसर खुद ही फँस जाता है। कई पाठकों ने लिखा कि जॉन की सबसे बड़ी गलती यही थी कि उसने खुद को सबसे चतुर समझा, बाकी सबको मूर्ख। एक कमेंट में खूबसूरती से कहा गया— "अहंकार और शक, दोनों मिलकर इंसान की खुद की कब्र खोद देते हैं।" (u/ChickinSammich)
जानकारों ने ये भी कहा कि अगर सच में किसी पर शक होता, तो तकनीकी तरीके हैं—जैसे लॉग चेक करना, ऑडिट करना—पर जॉन को तो बस जासूसी करनी थी, न कि समस्या हल करनी। उनकी ये चाल उल्टी पड़ गई, और नतीजा ये हुआ कि नौकरी भी छूट गई और इज्ज़त भी।
निष्कर्ष: 'चूहे' की तलाश में खुद ही शिकार बन गया शिकारी
कहानी का सबसे मज़ेदार हिस्सा यही था कि आखिरकार न कोई चूहा मिला, न कोई चोरी पकड़ी गई। कमेंट सेक्शन में किसी ने लिखा—"जॉन ने डर के मारे खुद ही अपनी नौकरी खो दी, और वो भी बिना किसी बाहरी साज़िश के!"
तो दोस्तों, अगली बार जब ऑफिस में कोई जॉन टाइप मिल जाए, जो हर बात में शक करे, घमंड दिखाए और दूसरों पर अनावश्यक आरोप लगाए—तो बस मुस्कुरा देना, किस्मत अपना खेल खुद खेल जाएगी। और हाँ, ऑफिस की राजनीति में कभी-कभी सबसे बड़ा 'चूहा' वही होता है, जो सबको चूहा समझता है!
क्या आपके ऑफिस में भी कोई ऐसा 'जॉन' है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए!
मूल रेडिट पोस्ट: John's 'rat problem' backfires massively.