जब चिकन पर छिड़ी जंग: लालच बनाम चालाकी की अमेरिका से आई कहानी
महंगाई के इस दौर में जब खाने-पीने के दाम आसमान छू रहे हैं, ऐसे में अगर किसी को अपने मनपसंद खाने की चीज़ सस्ते दामों में मिल जाए तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। लेकिन सोचिए, जब आप लाइन में लगे हों और कोई शख्स आपके सामने सारा माल समेट ले जाए, तो कैसा लगेगा? कुछ लोग ऐसे मौकों पर झगड़ा कर देते हैं, कुछ चुप रह जाते हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी चालाकी से ऐसे लोगों को हीरो बनने का मौका भी नहीं देते। आज की कहानी अमेरिका के एक सुपरमार्केट से आई है, जहां चिकन के लिए छिड़ी जंग ने सोशल मीडिया पर खूब हलचल मचाई।
अशर्फियों में बंटता चिकन: सुपरमार्केट की असली महाभारत
कहानी की शुरुआत होती है एक आम सोमवार की सुबह, जब Reddit यूज़र u/cedarsynecdoche अपने स्थानीय सुपरमार्केट में पहुंचे। वहां उन्हें फैमिली पैक चिकन सिर्फ 99 सेंट प्रति पाउंड पर मिल रहा था और साथ ही लिखा था - "प्रति ग्राहक 4 पैक तक सीमित।" हमारे लेखक ने ईमानदारी से एक पैक लिया, फिर सोचा कि एक और ले लें ताकि फ्रीज में रख सकें।
लेकिन जैसे ही वो फ्रिज की तरफ बढ़े, वहां एक चौंकाने वाला मंजर दिखा। एक आदमी अपने ट्रॉली में करीब 14 पैक चिकन भर रहा था, मानो दुकान उसी की हो। लेखक ने मज़ाक में कहा, "वाह, मैं भी एक लेना चाहता था!" उस आदमी ने अपने कुत्ते की ओर इशारा करके ताना मारते हुए बोला, "ये सब मेरे डॉग के लिए हैं।" और ऊपर से सलाह भी दी - "वो 1.79 डॉलर वाला ले लो।"
यहां अगर कोई भारतीय होता तो या तो गुस्से से लाल हो जाता, या फिर मन ही मन 'जय माता दी' बोलकर आगे बढ़ जाता। लेकिन हमारे लेखक ने भी भारतीय 'जुगाड़' अपनाया। उन्होंने ढूंढते-ढूंढते चिकन के पीछे छुपा एक आखिरी 99 सेंट वाला पैक निकाल लिया। जैसे कोई बच्चा छुपा हुआ लड्डू ढूंढ ले!
चालाकी की जीत, लालच की हार
अब असली खेल शुरू हुआ काउंटर पर। वहां दो लाइनें थीं - एक एक्सप्रेस (10 आइटम या कम) और एक सामान्य। लेखक ने बड़े ही मासूमियत से कैशियर से पूछा, "अरे, चिकन का दाम तो कमाल है! कोई लिमिट है क्या?" कैशियर ने विज्ञापन निकालकर देखा और बोला, "हां, 4 पैक तक ही ले सकते हैं।" कैशियर ने पूछा, "आप दो और लेना चाहेंगे?" लेखक ने मुस्कुराकर मना कर दिया और अपने साथी से बोले, "ऐसे दामों पर लिमिट लगाना तो बनता है।"
अब सोचिए, उस लालची आदमी का चेहरा कैसा हुआ होगा जब उसे पता चला - सारी चिकन तो ले ली, पर ले नहीं जा सकता! ऐसे लोग अक्सर भारत में भी मिल जाते हैं - कभी राशन की लाइन में, कभी सेल में। और जब नियम सामने आ जाएं, तो या तो बहस शुरू कर देंगे या चुपचाप सामान छोड़ जाएंगे।
सोशल मीडिया की महफ़िल: बचपन की शर्मिंदगी से लेकर 'रेन चेक' तक की चर्चा
इस पोस्ट पर एक कमेंट ने बताया कि बचपन में उसकी माँ हर ऑफर का पूरा फायदा उठाने के लिए 'करन आंटी' बन जाती थीं - जैसे हमारे यहां 'मौसी जी' या 'श्रीमती शर्मा' सेल में पूरा स्टॉक उठा लें। एक यूज़र ने तो बताया, "माँ ने दो पूरे केस पॉट-पाई खरीद लिए, सालभर वही खाना पड़ा!"
दूसरी तरफ, कुछ लोगों ने ‘रेन चेक’ का ज़िक्र किया। भारत में ऐसा होता नहीं, लेकिन अमेरिका में अगर कोई चीज़ सेल में खत्म हो जाए तो दुकानवाले ‘रेन चेक’ नाम का पर्चा देते हैं, जिससे आप बाद में वही चीज़ उसी कीमत में ले सकते हैं। एक यूज़र ने मज़ेदार अंदाज में समझाया, "रेन चेक एक IOU होता है - जैसे क्रिकेट के मैच में बारिश की वजह से टिकट अगले मैच के लिए वैलिड हो जाता है।"
कुछ लोगों को चिंता थी कि वह लालची आदमी चिकन वापस नहीं रखेगा, बल्कि स्टाफ को ही झेलना पड़ेगा। जैसा कि हमारे यहां भी होता है - कोई सामान उठा लेता है, और बाद में कर्मचारी ही सारा झंझट सुलझाते हैं। एक कमेंट में तो मज़ाक उड़ाया गया कि यदि वो आदमी लाइन में साथ होता तो उसका चेहरा देखने लायक होता!
सीख – 'हक से कमाओ, हक से खाओ'
इस कहानी से एक सीधी सीख मिलती है - चाहे चिकन हो या जीवन की कोई और चीज़, ज्यादा का लालच हमेशा नुकसान करता है। हमारे समाज में भी कई बार ऐसे लोग दिखते हैं जो नियम तोड़कर अपने हिस्से से ज्यादा ले जाते हैं, लेकिन अंत में खुद को ही मुश्किल में डाल देते हैं। समझदारी और ईमानदारी से ही असली जीत मिलती है।
और हां, कभी-कभी छोटी-छोटी चालाकियां भी बड़े-बड़े लालचियों को उनकी जगह दिखा देती हैं। जैसे लेखक ने बिना झगड़ा किए, नियम का सहारा लेकर उस आदमी को चिकन वापस रखने पर मजबूर कर दिया।
आपकी राय क्या है?
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि किसी सेल या ऑफर में कोई अपने हिस्से से ज्यादा ले गया हो? या आपने कभी 'जुगाड़' से किसी लालची को सबक सिखाया हो? अपनी कहानी नीचे कमेंट में जरूर साझा करें। आखिरकार, हर किसी के पास एक न एक मजेदार बाजार की कहानी तो होती ही है!
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