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जब गेस्ट ने कहा, 'मैं ट्रैवल एजेंट हूँ, 15% छूट दो!' - होटल की रिसेप्शनिस्ट की दास्तान

होटल रिसेप्शन पर छूट के लिए बहस करता हुआ नाराज मेहमान, यात्रा और बातचीत का प्रतीक।
इस जीवंत एनीमे दृश्य में, हमारा कभी-कभार का मेहमान ब्रोडी चेक-इन पर 15% छूट के लिए जोरदार बहस कर रहा है, जो यात्रा की बातचीत का मजेदार पहलू दर्शाता है। क्या वह सफल होगा या स्टाफ अडिग रहेगा? पूरी कहानी में गोता लगाएँ!

होटल में काम करना जितना आसान दिखता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण भी होता है। हर दिन नए-नए मेहमान, अलग-अलग फरमाइशें और कभी-कभी ऐसे मेहमान भी, जो सिरदर्द बन जाते हैं। आज की कहानी एक ऐसे ही 'स्पेशल' गेस्ट की है, जो खुद को ट्रैवल एजेंट बताकर होटल स्टाफ की नाक में दम कर देता था।

"भैया, मैं तो ट्रैवल एजेंट हूँ!"

एक बार का किस्सा है – एक गेस्ट, जिन्हें हम 'ब्रॉडी' कहेंगे, अक्सर होटल आते थे। जैसे ही रिसेप्शन पर पहुंचते, तुरंत मुस्कराते हुए कहते – "मैं ट्रैवल एजेंट हूँ, मुझे 15% की छूट चाहिए!" उनकी यह मांग सुनकर हर बार रिसेप्शनिस्ट के चेहरे पर अजीब-सी मुस्कान आ जाती थी, क्योंकि होटल की पॉलिसी के मुताबिक ऐसे डिस्काउंट सीधे-सीधे नहीं मिलते। लेकिन ब्रॉडी साहब कहाँ मानने वाले थे!

हर बार 20-25 मिनट तक वही घिसी-पिटी बहस – "अरे मैं तो अमरीकन एक्सप्रेस ट्रैवल एजेंसी से हूँ, ताहिती से!" और सबूत के तौर पर एक बिज़नेस कार्ड भी दिखाते। मगर पते में, मज़े की बात, एक लोकल कार डीलरशिप का पता लिखा रहता! अब सोचिए, गाड़ी बेचने वाला ट्रैवल एजेंट कैसे हो सकता है?

धोखाधड़ी की कहानी और होटल का असली नाटक

असल में, जिस कार डीलरशिप का पता ब्रॉडी देते थे, उसकी साख भी कुछ ठीक नहीं थी। लोकल अखबारों में खबरें छपती थीं कि डीलरशिप गरीब, स्पेनिश बोलने वाले ग्राहक से नकद एडवांस ले लेती और बाद में मुकर जाती! तो ज़ाहिर है, ब्रॉडी की सच्चाई पर सबको शक था।

जब होटल स्टाफ ब्रॉडी की मांग नहीं मानता, तो वो जनरल मैनेजर का नाम पूछते – वो भी रात के 10:30 बजे, जब सारा स्टाफ घर जा चुका होता। पुराने जमाने की बात है, तब मोबाइल नहीं थे, साहब पब्लिक फोन से जीएम का नंबर ढूंढते-ढूंढते थक जाते। अगले दिन जब स्टाफ ने जीएम को पूरा वाकया सुनाया, तो जीएम ने भी कमाल का जवाब दिया – "भाई, बदतमीज़ बनने पर कोई कानून तो है नहीं!"

मज़ेदार बात – कुछ लोग जैसे अपने बॉस की हर बात मानने को तैयार रहते हैं, वैसे ही एक-दो बार जीएम ने खुद कह दिया, "भाई ब्रॉडी को फ्री रूम दे दो!" अब सोचिए, मेहनत करने वाला स्टाफ सिर पीट ले या भाग जाए?

कमेंट्स की दुनिया: कुछ बोले, कुछ चिढ़े, और कुछ हँसे

रेडिट पर इस किस्से को पढ़कर कई लोग अपनी-अपनी राय लेकर आ गए। एक यूज़र ने बड़ा तगड़ा तंज कसा – "अगर वो वाकई ट्रैवल एजेंट होते, तो खुद ही डिस्काउंट ले लेते, इतनी बहस क्यों करते?" बिलकुल वही बात अपने देश के 'जुगाड़ू' ग्राहकों पर भी फिट बैठती है – असली बनिया कभी ज़्यादा बहस नहीं करता, काम निकाल लेता है!

एक और पाठक ने तो होटल की पॉलिसी का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "आप बोलिए – जी $100 के रूम को कैंसल करके 15% छूट के साथ $170 में बुक कर देते हैं।" यानी बात घुमाओ, ग्राहक खुद चुप हो जाएगा!

किसी ने सलाह दी – "भाई, ट्रैवल एजेंट का असली आईडी (IATA कार्ड) दिखाओ, तभी छूट मिलेगी।" ये तो हमारे देश के 'फर्जी आईडी' वाले गेस्ट्स पर भी सटीक बैठता है – कार्ड कुछ और, काम कुछ और!

कुछ ने गुस्से में आकर होटल मैनेजर को भी नहीं बख्शा – "ऐसे धोखेबाज़ को फ्री रूम क्यों? अच्छा स्टाफ रखना है या चोर ग्राहकों को खुश करना है?" – ये वही भावना है जो हर उस कर्मचारी के दिल में उठती है, जब बॉस ग्राहक के डर से झुक जाता है!

होटल स्टाफ की पीड़ा, और थोड़ा अपना-सा मज़ा

सोचिए, जहाँ दो मिनट में चेक-इन हो जाता है, वहाँ 20 मिनट तक बहस – जैसे किसी सरकारी दफ्तर में फाइल घुम रही हो! आखिरकार, इतने झंझट के बाद, उस स्टाफ ने होटल की नौकरी छोड़ दी और नई लाइन पकड़ ली – समझ सकते हैं क्यों!

यह कहानी सिर्फ अमेरिका की नहीं, हमारे यहाँ के होटल, हॉस्पिटल, बैंक – हर जगह ऐसे 'ब्रॉडी' मिल जाते हैं। कभी रिश्तेदार बनकर, कभी फर्जी एजेंट बनकर, कभी 'मैं जानता हूँ ऊपर तक' वाले बनकर।

और हाँ, ब्रॉडी साहब कभी-कभी अचानक विदेशों की तारीफ करने लगते – "हांगकांग में तो क्या सर्विस थी, आप लोग तो कंजूस हैं!" जैसे अपने यहाँ कुछ लोग हर बात पर बोलते हैं, "विदेश में तो सब फ्री है, यहाँ तो लूट मची है!"

क्या सीखें – ग्राहक भगवान है, लेकिन भगवान भी फर्जी नहीं होना चाहिए!

हर होटल, हर ऑफिस का स्टाफ यही चाहता है कि उसके साथ न्याय हो। ग्राहक का सम्मान ज़रूरी है, लेकिन फर्जीवाड़े की इज्ज़त करना बेवकूफी है। और ऐसे ब्रॉडी टाइप लोग, हर ज़माने में, हर जगह पाए जाते हैं – बस नाम बदल जाता है!

तो अगली बार जब आप होटल जाएँ, रिसेप्शनिस्ट की मुस्कान के पीछे की मेहनत और झंझट को याद रखें। और अगर कोई 'ब्रॉडी' आपके आसपास दिखे, तो उसकी बातों में न आएँ – न खुद धोखा खाएँ, न दूसरों को दिलाएँ!

समाप्ति पर एक सवाल – क्या आपके साथ भी कभी ऐसा जुगाड़ू ग्राहक या गेस्ट मिला है? अपनी मजेदार या हैरान कर देने वाली कहानी जरूर नीचे कमेंट में शेयर करें। पढ़ेंगे, हँसेंगे, और सीखेंगे भी!


मूल रेडिट पोस्ट: Guest says, “I’m a travel agent, give me a 15% discount.”