जब ग्राहक बना देवदूत: दो एग रोल्स और बीते सालों की यादें
क्या आपने कभी किसी ग्राहक से ऐसा व्यवहार पाया है, जिसे आप जिंदगीभर भूल नहीं पाएँ? ऑफिस में काम करते हुए कई बार ऐसे पल आते हैं जो दिल को छू जाते हैं—कुछ मीठे, कुछ नमकीन, और कभी-कभी सीधे पेट से जुड़े हुए! आज की कहानी ऐसी ही एक याद है, जिसमें ‘एग रोल’ ने दोस्ती की डोर को बीस साल तक बाँधे रखा।
भूख और इंसानियत: एक छोटी सी भेंट, बड़ी यादगार
90 के दशक की बात है, वो दौर जब इंटरनेट का नाम लोग सुनते तो थे, पर इस्तेमाल कम ही करते थे। कंपनी में ग्राहक से ज़्यादातर बातें फोन पर ही होती थीं, और ऑफिस में ग्राहक का आना मानो दिवाली के दीये जैसा था—कभी-कभार ही जलते थे।
ऐसे ही एक दिन एक महिला ग्राहक ट्रेनिंग के लिए दफ्तर आ रही थीं। उन्होंने फोन पर रास्ता पूछा और यहीं से शुरू हुआ असली किस्सा। जब उन्हें पता चला कि वह समय से बहुत पहले पहुँच जाएँगी, तो उन्होंने बड़े ही अपनत्व से पूछा, "यहाँ कोई अच्छा चाइनीज रेस्टोरेंट है क्या?"
हमारे नायक (जिन्होंने Reddit पर यह कहानी साझा की) ने फौरन 'चाइना स्टार' के एग रोल्स की तारीफ कर दी, पर खुद तो हमेशा सिर्फ 'सिचुआन बीफ' ही खाते थे। महिला ने धन्यवाद कहा और वादा किया कि दो बजे मिलेंगी।
एग रोल्स की मिठास: दोस्ती की शुरुआत
करीब 1:55 बजे, वह मुस्कुराती हुई ऑफिस में दाखिल हुईं और बोलीं, "आप ही हैं न Craash420? बीफ तो गजब था! ये आपके लिए हैं।" और हाथ में पकड़ा दिया एक बैग—जिसमें थे दो गरमागरम एग रोल्स।
सोचिए, दोपहर का खाना हल्का-फुल्का हो और अचानक कोई आपको मनपसंद समोसे (यहाँ एग रोल्स) थमा दे, तो दिल कितना खुश हो जाता है! यही हुआ हमारे नायक के साथ भी। उन एग रोल्स का स्वाद ऐसा था कि अगले बीस साल तक वह महिला और उनकी आवाज़ कभी भूले नहीं। और महिला भी उस मददगार आवाज़ को कभी नहीं भूली, जिसने उन्हें रास्ता बताया था।
खाने की दुआएँ: ऑफिस कल्चर में दिल से दिल तक
हमारे यहाँ भी, चाहे रेलवे स्टेशन की चाय हो या स्कूल-कॉलेज के कैंटीन के समोसे, खाने से रिश्ते बन ही जाते हैं। Reddit पर भी कई लोगों ने अपनी-अपनी कहानियाँ साझा कीं।
एक यूज़र ने लिखा, "असली मजा तो तब है जब होटल के गेस्ट पार्टी के बचे खाने को स्टाफ को दे देते हैं, खासकर जब पिज्जा जैसा टेस्टी खाना हो!" क्या आपने कभी सोचा है कि ऑफिस के गार्ड, रिसेप्शनिस्ट या चौकीदार—जो हमेशा मुस्कुराते हैं—उनके लिए आपकी एक छोटी सी मिठाई या स्नैक्स कितनी खुशी ला सकती है?
एक और कमेंट में किसी ने मज़ाकिया ढंग में कहा, "अब तो एग रोल्स के दिन लद गए, हर जगह बस स्प्रिंग रोल्स ही मिलते हैं!" इस पर हमारे नायक ने जवाब दिया कि उनके शहर में आज भी एग रोल्स की खूब पूछ है, बस दाम थोड़े ज़्यादा हो गए हैं।
यह बिलकुल हमारी गलियों के छोले-कुलचे या मोमोज़ की तरह है—कभी-कभी पुरानी चीज़ों का स्वाद दिल में बस जाता है, और नई ट्रेंड्स उस जगह को ले नहीं पातीं।
छोटे-छोटे जेस्चर, बड़ी यादें
किसी ने कमेंट में लिखा, "मैं जब भी होटल में चेक-इन करती हूँ, रिसेप्शन पर मिठाई या बिस्किट जरूर दे देती हूँ। एक बार तो रिसेप्शनिस्ट ने हँसते हुए कहा, 'अब मैं तो ये बिस्किट ऑफिस में बैठकर मजे से खाने वाली हूँ!'"
ये छोटे-छोटे जेस्चर भारतीय संस्कृति में भी गहरे रचे-बसे हैं। शादी-ब्याह हो या तीज-त्यौहार, मेहमानों को कुछ न कुछ खिलाना-पिलाना हमारी परंपरा है। और जब कोई ग्राहक ऐसे दिल से आपको कुछ खिलाता है, तो वो रिश्ता सिर्फ ‘ग्राहक और सेवा’ तक सिमटा नहीं रहता, उसमें अपनापन घुल जाता है।
अंत में: क्या आपको भी मिली है कभी ऐसी मिठास?
सोचिए, आज के डिजिटल युग में जहाँ हर कोई जल्दी में है, वहाँ अगर कोई छोटी सी चीज़—जैसे दो एग रोल्स—आपके दिन को खास बना दे, तो वो पल हमेशा के लिए यादों में बस जाता है।
क्या आपके साथ भी कभी किसी ग्राहक, सहकर्मी या दोस्त ने ऐसा कोई छोटा-सा उपहार बाँटा है, जिसे आप आज भी नहीं भूल पाए? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें।
और हाँ, अगली बार जब ऑफिस में कोई भूखा दिखे या किसी का दिन फीका लगे, तो एक समोसा, एक मिठाई या अपनी पसंदीदा चाय उसके साथ बाँट के देखिए—शायद आप भी किसी की यादों में बस जाएँ!
मूल रेडिट पोस्ट: Food From A Customer