जब ग्राहक ने पालतू जानवरों की दुकान में 'खरगोशों के कान' देखे, मच गया हंगामा!
दुकानदारी का काम बड़ा दिलचस्प होता है। रोज़ कोई न कोई नया ग्राहक, नयी फरमाइश और उनके साथ आती अनगिनत कहानियाँ! लेकिन कुछ किस्से ऐसे होते हैं, जो सालों तक याद रह जाते हैं और दोस्तों की महफिल में हंसी का कारण बन जाते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं एक ऐसी ही सच्ची घटना, जिसमें एक महिला ग्राहक की मासूमियत ने न सिर्फ दुकानदार को, बल्कि सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों को भी हंसी से लोटपोट कर दिया।
कहानी की शुरुआत होती है एक पालतू जानवरों की दुकान से, जैसी हमारे यहाँ 'डॉग फूड शॉप' या 'पेट केयर सेंटर' होती हैं। यहाँ आमतौर पर कुत्तों-बिल्लियों के खाने-पीने और खिलौनों का सामान बिकता है, लेकिन छोटे जानवरों के लिए भी एक कोना रखा गया है। एक दिन एक महिला दुकान में आईं, अपनी बिल्ली के लिए कुछ नया और मज़ेदार ट्रीट ढूंढती हुईं। दुकानदार ने उन्हें आमतौर पर मिलने वाले ट्रीट (जैसे ग्रीनिज़, ट्यूब ट्रीट्स, फ्रीज-ड्राइड स्नैक्स) दिखाए, लेकिन महिला को कोई भी पसंद नहीं आया।
इसी दौरान दुकानदार ने उनको अपने खुद के पालतू कुत्ते और बिल्ली के पसंदीदा ट्रीट्स में से एक — ‘डिहाइड्रेटेड रैबिट ईयर’ (सूखे खरगोश के कान) दिखाए। ज्यों ही महिला ने कान को हाथ में लिया, उनके चेहरे का रंग उड़ गया और जैसे बिजली सी कड़क उठी — “हे भगवान! ये असली है!” कहकर उन्होंने कान तुरंत नीचे गिरा दिया और वहीं ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं। हिचकियों के बीच चिल्लाईं, “आप लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं? क्या सच में सारे खरगोश बिना कान के घूम रहे हैं?” और फिर फूट-फूटकर रोती हुईं दुकान से बाहर चली गईं।
अब ज़रा सोचिए, अगर आपकी दादी या चाची के सामने ऐसी कोई बात आती तो क्या होता? शायद वे भी कहतीं — “अरे बेटा, ये तो पाप है!” लेकिन यहाँ सोशल मीडिया पर लोगों ने इस वाकये को एक अलग ही अंदाज़ में लिया। Reddit पर इस कहानी को पोस्ट करने वाले दुकानदार (u/DibbyDonuts) की पोस्ट पर हज़ारों लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं।
एक यूज़र ने चुटकी ली, “क्या सच में सारे खरगोश बिना कान के कूदते-फांदते घूम रहे हैं? 70-80 के दशक के ‘रैबिट फुट’ (खरगोश के पंजे) वाले कीचेन देख लेती तो बेहोश ही हो जातीं! उन्हें लगता कि सारे खरगोश बैसाखी या व्हीलचेयर लेकर घूम रहे हैं।” एक और ने मज़ाक उड़ाया, “मेरे पास भी ऐसा कीचेन था, बचपन में बहुत प्यारा लगता था, लेकिन अब सोचती हूँ, बेचारे खरगोश!”
कुछ लोग तो कहानी को और आगे बढ़ाते हुए बोले, “अगर उन्हें पता चल जाए कि कुत्तों के लिए बिकने वाले ‘बुली स्टिक’ असल में क्या चीज़ होते हैं, तो शायद दुकान में ही बेहोश हो जाएँ!” (संयोग से, बुली स्टिक असल में गाय के प्रजनन अंग से बनते हैं, जिसे सुनकर अच्छे-अच्छों की आंखें खुल जाती हैं।)
एक और मज़ेदार टिप्पणी आई, “अगर वो महिला किसी सुपरमार्केट में पोर्क या मटन सेक्शन देख लें, तो क्या वहां भी चीख-चीखकर भाग जाएँगी?” किसी ने लिखा, “बहुत से लोग सोचते हैं, जैसे अंडा पेड़ पर उगता है, वैसे ही मीट भी सीधे दुकान में बन जाता है, असली जानवर से कोई रिश्ता नहीं!” इसी बहाने एक यूज़र ने मज़ाक में बता दिया कि अंडा असल में ‘चिकन का पीरियड’ होता है, जिसे सुनकर सामने वाली महिला ने जीवन भर अंडा न खाने की कसम खा ली!
हमारे यहाँ भी ऐसी मासूमियत कम नहीं मिलती। गाँवों में लोग जानते हैं कि मांस कहाँ से आता है, लेकिन शहरों में कई बार बच्चे सोचते हैं कि चिकन सीधे पैकेट से ही पैदा होता है। एक बार हमारे मोहल्ले में बच्चा अपनी मम्मी से पूछ बैठा — “माँ, क्या बर्गर में सच में गाय होती है?” ऐसी मासूमियत कभी-कभी बड़ी प्यारी लगती है, लेकिन ये भी ज़रूरी है कि बच्चों और बड़ों को ये समझाया जाए कि खाने की चीज़ें कहाँ से आती हैं।
कहानी में एक और कमेंट ने सबका दिल जीत लिया — “हमारे यहाँ घोड़े के खाने के सेक्शन में असली हिरण की टांग बिकती है, तो क्या हिरण तीन टांगों पर दौड़ रहे होंगे?” किसी ने लिखा, “खरगोश के कान वैसे ही उग आते हैं, जैसे गेंडे के सींग!” इस तरह के मज़ाक से लोगों ने कहानी का मज़ा दुगुना कर दिया।
खैर, दुकानदार का कहना था कि “ये कान असल में मीट इंडस्ट्री के बचे हुए हिस्से होते हैं, जिन्हें फेंकने के बजाय पालतू जानवरों के ट्रीट्स में इस्तेमाल किया जाता है — इससे किसी चीज़ की बर्बादी नहीं होती, और जानवरों को भी मज़ा आ जाता है।” यही बात तो हमारे देश में भी सिखाई जाती है — ‘अन्न का अपमान मत करो’, ‘जो बचे, उसका सदुपयोग करो’।
और सोचिए, कल वो महिला अगर किसी गाँव में जाएँ और देख लें कि कुत्ते को असली हड्डी या चिकन की टांग का टुकड़ा दिया जा रहा है, तो क्या होगा? शायद वे दिल्ली या मुंबई वापस भाग जाएँ!
कुल मिलाकर, ये कहानी हमें हँसने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती है — क्या हम अपने खाने-पीने की चीज़ों के बारे में सच में जागरूक हैं? या हम भी कहीं उसी मासूम महिला की तरह ‘खरगोश के कान’ देखकर घबरा जाएँगे?
तो अगली बार जब आप अपने पालतू जानवर के लिए दुकान जाएँ, तो ज़रा गौर से देखिए — कहीं कोई बिल्ली या कुत्ता अपने कान या पंजे गिन तो नहीं रहा!
अगर आपके साथ भी कभी ऐसी कोई दिलचस्प घटना हुई हो, तो नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें। और हाँ, आगे से अपने खाने की थाली को थोड़ा ध्यान से देखिए — उसमें क्या है, और वो कहाँ से आया है!
आपको ये किस्सा कैसा लगा? हँसी आई या सोच में पड़ गए? अपने विचार जरूर बताइए, और कहानी दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!
मूल रेडिट पोस्ट: All those bunnies...