जब ग्राहक ने छोटी बदला लेकर दुकानदार की जेब ढीली कर दी: ऑस्ट्रेलिया की मज़ेदार कहानी
हम सभी को कभी न कभी दुकानों, रेस्टोरेंट या किसी भी सर्विस सेंटर में ऐसे कर्मचारी मिल ही जाते हैं जिनका मूड हमेशा खराब रहता है। आप जितनी भी विनम्रता दिखा लें, उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता। लेकिन सोचिए, अगर कोई ग्राहक ऐसे बर्ताव का हलका-फुलका बदला ले, तो क्या होता है? आज की कहानी है ऑस्ट्रेलिया के एक ग्राहक की, जिसने बिना किसी लड़ाई-झगड़े के, सिर्फ अतिरिक्त नैपकिन, कटलरी या मसाले उठाकर छोटी सी ‘पेटी रिवेंज’ ली — यानी छोटी बदला जो खुद को संतुष्टि दे, पर किसी को असली नुकसान भी न हो!
ग्राहक का तरीका: मुस्कान में छुपा बदला
हमारे आज के नायक, Reddit यूज़र u/StabbyInc, हमेशा ग्राहकों और कर्मचारियों के बीच अच्छे व्यवहार में विश्वास रखते हैं। उनका कहना है — “जैसा व्यवहार आप दूसरों से चाहते हैं, वैसा खुद भी कीजिए।” वह हर बार मुस्कुरा कर, अच्छे से बात करके, कर्मचारियों का मन हल्का करने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब सामने वाला कर्मचारी ध्यान नहीं देता, बार-बार ऑर्डर दोहरवाता है, या ऐसा लगता है जैसे उसे खुद अपने काम से नफरत है — तब भी ये सज्जन गुस्सा नहीं होते।
इनका तरीका है — जब ऐसा कोई कर्मचारी मिले, तो बस ज़रूरत से थोड़ी ज्यादा नैपकिन, कटोरी, चॉपस्टिक या चिकन साल्ट उठा लें! अब भई, ऑस्ट्रेलिया में टिपिंग (बख्शीश) का चलन तो है नहीं, तो ग्राहक ने सोचा — “लो, अब तुम्हारे रूखे बर्ताव की वजह से तुम्हारे मालिक का 1.5 सेंट (यानी मुश्किल से एक रुपए से भी कम) का नुकसान कर दिया। कैसा लगा?”
कम्युनिटी का जवाब: हंसी, तंज और अपनी-अपनी कहानियाँ
Reddit पर इस किस्से ने खूब वाहवाही बटोरी। कुछ लोगों ने मज़ाक में कहा — “अरे, बदला भी ऐसा कि सामने वाले को पता ही न चले! ये तो गुप्त अपराध हो गया।” एक यूज़र ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए लिखा — “मैं McDonald’s में काम करता था, जो ग्राहक बदतमीज़ होता, उसकी पैकिंग में प्लास्टिक का कॉफी स्टिरर डाल देता — बस थोड़ा कन्फ्यूजन देने के लिए।”
दूसरे ने कहा — अगर कोई केचप के पैकेट की मांग करता, तो मैं एक ही देता, वो भी बिना मुस्कुराए! और अगर बात बहुत आगे बढ़ जाती, तो कभी-कभी बर्गर में उंगली दबा देता या फ्रेंच फ्राइज़ गिरा देता — ‘पेटीनेस’ की पूरी पेटी खोल देता!
कुछ लोग तो ऐसे थे जिनका मानना था — “भाई, ये बदला नहीं, हल्की चोरी है। क्या आपको इससे अच्छा महसूस होता है?” इस पर खुद u/StabbyInc ने जवाब दिया — “भैया, सब चीज़ें फ्री हैं, पर आपकी बर्ताव वैसा नहीं है!” यानी मज़ाकिया अंदाज में उन्होंने लोगों को हँसा भी दिया और बात भी रख दी।
भारत में भी दिखता है ये ‘पेटी रिवेंज’ का रंग
अब सोचिए, अगर यही कहानी भारत में होती तो क्या होता? हमारे यहाँ तो अक्सर लोग चाय की दुकान या गोलगप्पे वाले से मुफ्त में एक्स्ट्रा पापड़ी या चटनी मांग ही लेते हैं, और दुकानदार भी हँसकर कभी-कभी मना कर देते हैं। लेकिन अगर दुकानदार रूखा हो, तो ग्राहक भी दो पैकेट चटनी ज़रूर उठा लेता है — यही तो है भारतीय ‘पेटी रिवेंज’!
हमारे यहाँ ‘बदला’ अक्सर फिल्मों या सीरियल्स में बड़े ड्रामे के साथ दिखाया जाता है, लेकिन असली ज़िंदगी में लोग ऐसे छोटे-छोटे तरीकों से ही अपनी नाराजगी जता देते हैं। जैसे — ‘अरे, दुकान वाले ने ठीक से बात नहीं की? चलो, अगली बार उसकी दुकान से नहीं खरीदेंगे।’ या फिर ‘थोड़ी ज्यादा टिशू पेपर उठा लो, क्या फर्क पड़ता है?’
‘चिकन साल्ट’ और मसालों की बात: स्वाद का बदला!
ऑस्ट्रेलिया की इस कहानी में ‘चिकन साल्ट’ का भी खूब जिक्र हुआ। अब हमारे यहाँ तो हर गली-नुक्कड़ पर समोसा, चाट, पकौड़ी के साथ अलग-अलग चटनी, मसाले मिलते हैं। Reddit पर भी कई विदेशी यूज़र्स ने पूछा — “ये चिकन साल्ट आखिर है क्या?” किसी ने कहा — “ये तो खाने का स्वाद ही बिगाड़ देता है।” तो किसी ने मजाक में लिखा — “काश, हमारे पास भी ऐसा स्वाद होता।”
क्या आपको कभी लगा है कि जब दुकानदार बिना पूछे एक्स्ट्रा धनिया या मसाला डाल देता है, तो ये भी एक तरह की ‘पेटी रिवेंज’ है — दोनों तरफ से!
निष्कर्ष: बदला या बस हल्की सी तसल्ली?
कहानी का असली मज़ा यही है कि इसमें कोई बड़ा नुकसान नहीं, कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं — सिर्फ हल्की-फुल्की तसल्ली है। Reddit कम्युनिटी ने भी इसे ‘सबसे प्यारी पेटी रिवेंज’ कहा। कोई कहता है — “कम से कम आप बदतमीज़ नहीं होते, बस खुद को छोटी सी जीत दे देते हैं।” असल में, ये छोटी-छोटी हरकतें ही तो ज़िंदगी में हँसी और हल्का-फुल्का तनाव कम कर देती हैं।
आपका क्या कहना है? क्या आपने कभी किसी दुकानदार या कर्मचारी से ऐसा ‘पेटी रिवेंज’ लिया है? या कभी कस्टमर की ऐसी हरकत देखी है? कमेंट में बताइये, और हाँ, अगली बार जब किसी दुकानदार का मूड खराब लगे, तो बस मुस्कुरा कर अतिरिक्त नैपकिन उठा लीजिए — आखिरकार, ‘छोटी-छोटी खुशियाँ ही तो ज़िंदगी हैं’!
मूल रेडिट पोस्ट: Petty revenge on service workers cost the business!