जब ग्राहक ने कहा 'हर मेल में CC करो', तो कर्मचारी ने दिखाया देसी जुगाड़
क्या आपने कभी सोचा है कि ऑफिस में "CC में मुझे भी डाल देना" वाली बात कितनी सिरदर्दी बन सकती है? हमारे देश में भी बॉस या ग्राहक की हर फरमाइश को पूरा करना एक कला है – और कभी-कभी यह कला जरा ज्यादा रंग बिखेर देती है! आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाएंगे जिसमें एक कर्मचारी ने अपने ग्राहक की "हर ईमेल में CC करो" वाली जिद्द को ही उसका सबक बना दिया।
ग्राहक की फरमाइश और कर्मचारी की दुविधा
ऑफिस में ग्राहक यानी क्लाइंट की बात को कौन टाल सकता है? खासकर जब वो कहे, "हमें हर प्रोजेक्ट ईमेल पर CC करना जरूरी है।" अब बेचारा कर्मचारी सोच में पड़ गया कि हर ईमेल मतलब हर ईमेल! उसके मैनेजर ने भी कह दिया, "ज्यादा मत सोचो, बस हर मेल में क्लाइंट को कॉपी कर दो।"
अब भारत में तो "बॉस की बात पत्थर की लकीर" होती है। कर्मचारी ने भी सोचा, "ठीक है, जैसी आज्ञा वैसा काम।" फिर क्या था, अगले दो महीने तक उसने क्लाइंट को ऐसी सभी मेल्स में CC करना शुरू कर दिया जिनका दूर-दूर तक प्रोजेक्ट से कोई लेना-देना नहीं था – मीटिंग इनवाइट्स, चाय-नाश्ते की ऑर्डर, पासवर्ड रीसेट, यहाँ तक कि ऑफिस में किसी की स्टेपलर खो जाने की सूचना भी!
जब ग्राहक की भी हिम्मत जवाब दे गई
कुछ समय तक तो क्लाइंट ने सब्र किया, लेकिन आखिरकार उनका भी धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने जवाब में लिखा, "कृपया हमें इन बेकार की आंतरिक मेल्स से हटा दें।"
अब कर्मचारी ने इस मेल को अपने मैनेजर को फॉरवर्ड कर दिया, सब्जेक्ट लाइन में लिखा – "स्पष्टीकरण की आवश्यकता।" मैनेजर ने गहरी सांस ली और बोला, "ठीक है, अब अपनी समझदारी का इस्तेमाल करो।"
यहाँ भारतीय जुगाड़ का असली रंग दिखा – बॉस का आदेश भी पूरा, ग्राहक का सबक भी और खुद की समझदारी भी साबित!
रेडिट पर चर्चा: असली और नकली की बहस
इस कहानी को Reddit पर पोस्ट किया गया तो वहाँ भी गजब की चर्चा छिड़ गई। कुछ लोगों ने तो इसे नकली मानकर कह दिया – "ये AI वाली कहानी है!" एक यूज़र ने तो सवाल भी कर डाला कि "लंच ऑर्डर" और "पासवर्ड रीसेट" भला प्रोजेक्ट ईमेल कैसे हो सकते हैं? (भैया, हमारे ऑफिसों में तो कभी-कभी सबकुछ एक ही मेल थ्रेड में घुस जाता है!)
वहीं दूसरे यूज़र्स ने हँसी में कहा – "आफिस के नए लोग आते ही ऐसे किस्से लेकर आते हैं, क्या पुरानी पीढ़ी को कुछ नहीं आता था?" किसी ने लिखा – "गलतियाँ और गड़बड़ियाँ तो इंसानों से होती हैं, AI से भी, लेकिन मज़ा तो तभी आता है जब कोई नियम को ही हथियार बना ले।"
एक और कॉमेंट में दिलचस्पी थी – "मालिशियस कंप्लायंस में क्लाइंट को सबक सिखाना बड़ी बात है!" सच कहें तो, यहाँ हर कर्मचारी के दिल की आवाज़ है – जब ऊपरी आदेश गले न उतरें, तो उसे ऐसे निभाओ कि सामने वाला खुद कहे, "बस करो भाई!"
देसी ऑफिस कल्चर में CC का चक्कर
हमारे यहाँ CC में डालना मानो पान की दुकान से एक्स्ट्रा सौंफ लेने जैसा है – कभी-कभी काम की बात होती है, पर ज़्यादातर दिखावे के लिए। बॉस खुश, ग्राहक खुश, लेकिन कर्मचारी की जान हलक में!
आपने भी ऑफिस में वो सीन देखा होगा जब कोई नया-नया मैनेजर हर मेल में पूरी टीम को CC में जोड़ देता है, और फिर दो दिन बाद शिकायत आती है – "मेरा इनबॉक्स क्यों भर गया?"
इसीलिए, हमारे यहाँ एक कहावत है – "अति सर्वत्र वर्जयेत", यानी किसी भी चीज़ की अति नुकसानदायक होती है। चाहे CC करना हो या मीठा बोलना, संतुलन जरूरी है।
कहानी से सीख: समझदारी और हास्य दोनों जरूरी
इस पूरी कहानी में छुपा है एक बड़ा संदेश – अगर आपको ऊपर से कोई आदेश अटपटा लगे, तो उसे निभाने का देसी तरीका खोजो। कभी-कभी नियम का पालन भी ऐसा करो कि सामने वाले को ही अपनी गलती समझ आ जाए।
और हाँ, ऑफिस में हँसी-मज़ाक की डोर कभी मत छोड़िएगा। आखिर, रोज़मर्रा के काम में थोड़ा मिर्च-मसाला तो चाहिए ही!
आपकी राय क्या है?
क्या आपके साथ भी ऐसा कोई मजेदार अनुभव हुआ है? क्या आप भी कभी "CC में सबको डालो" वाली स्थिति से दो-चार हुए हैं? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, और इस ब्लॉग को अपने ऑफिस के दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!
आखिरकार, ऑफिस की कहानियाँ सबकी होती हैं – कभी किसी की स्टेपलर खो जाती है, तो कभी किसी का धैर्य!
मूल रेडिट पोस्ट: You want me to copy the client?