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जब ग्राहक ने कहा 'पैसा तो पैसा होता है', कैशियर ने भी दे दिया करारा जवाब!

सुपरमार्केट में तनावग्रस्त कैशियर का कार्टून 3D चित्र, पैसे और ग्राहकों की मांगों के बीच संतुलन बनाते हुए।
यह जीवंत कार्टून-3D चित्र सुपरमार्केट के कैशियर की दैनिक हलचल को दर्शाता है, जो ग्राहकों के लेन-देन के तनाव को उजागर करता है और साथ ही बिलों का भुगतान सुनिश्चित करता है। यह खुदरा क्षेत्र में काम करने की अराजकता और संतोषजनक स्वभाव को दर्शाता है।

आजकल लोग कहते हैं कि ग्राहक भगवान होता है, लेकिन कभी-कभी भगवान भी ऐसे-ऐसे रूप दिखा देता है कि दुकानदारों की परीक्षा हो जाती है। खासकर जब आप सुपरमार्केट में कैशियर की भूमिका में हों, तब हर दिन एक नया तमाशा देखने को मिलता है। आज हम आपको एक ऐसे ही वाकये की कहानी सुनाएँगे, जिसमें 'पैसा तो पैसा होता है' की दलील देने वाली एक अम्मा को उनकी ही ज़ुबान में जवाब मिला।

ग्राहक की दादागिरी: "पैसा तो पैसा है!"

सोचिए, आप सुपरमार्केट के काउंटर पर खड़े हैं, पूरे दिन ग्राहकों की फरमाइशें, ड्रामे और शिकायतें झेल चुके हैं। वैसे ही एक शाम एक बुजुर्ग महिला बिना 'नमस्ते' बोले काउंटर पर आती हैं। उनके सामान की कुल कीमत कोई ₹1000 के आसपास (यहाँ डॉलर को रुपए में सोचिए) बनती है, लेकिन अम्मा पूरे पैसे चिल्लर में यानी 1, 2, 5, 10 के सिक्कों और कुछ पुराने पैसे में देना चाहती हैं।

अब हमारे देश में भी दुकानों पर यह नियम है कि ज्यादा सिक्के या छुट्टे पैसे एक साथ न लिए जाएँ, वर्ना गिनते-गिनते लाइन में खड़े बाकी ग्राहक चिल्लाने लगेंगे। तो कैशियर ने भी नियम समझाया, "अम्मा, इतने सारे सिक्के नहीं चलेंगे, मशीन वहाँ रखी है, आप चाहें तो मैं मदद कर दूँ।" लेकिन अम्मा कहाँ मानने वाली थीं! बोलीं, "पैसा तो पैसा है, गिनना नहीं आता तो तुम्हारी गलती! कामचोर!"

अब सोचिए, ये सुनकर किसका खून न खौले! मगर कैशियर भी कम नहीं, मुस्कुरा कर चुपचाप खड़ा रहा।

नियमों की मार और ग्राहक की चालाकी

अम्मा ने थोड़ा झल्लाकर पर्स से ₹2000 का नोट निकाला, फिर कुछ सोचकर वापस रख लिया। फिर ₹1000 का नोट निकाला और बाकी ₹300 चिल्लर में देने लगीं, और मुस्कुराते हुए बोलीं, "तुमने तो कहा था, ₹400 से ज्यादा नहीं ले सकते, तो लो!"

अब कैशियर मन ही मन हार मान चुका था, लेकिन तभी उसके दिमाग में एक जोरदार आइडिया आया। अम्मा को कुल ₹67 पैसे वापस देना था (यहाँ भी डॉलर-सेंट को रुपए-पैसे में सोचिए)। तो कैशियर ने भी अपनी गड्डी से 1-1 पैसे के सिक्के निकालकर, बहुत धीरे-धीरे गिनकर सारे पैसे अम्मा को लौटा दिए।

अम्मा भड़क गईं, "ये सब क्या है?" कैशियर मुस्कराते हुए बोला, "अम्मा, पैसा तो पैसा है!" अम्मा चुपचाप वो सारे सिक्के पर्स में डालकर, सामान उठाकर गुस्से में निकल गईं। वाह भई, क्या बदला लिया!

कमेंट्स की महफ़िल: जनता ने क्या कहा?

रेडिट की इस पोस्ट के नीचे लोगों ने ऐसे-ऐसे मज़ेदार कमेंट्स किए कि पढ़कर पेट पकड़कर हँसी आ जाए। एक यूज़र बोले, "यहाँ तो दोनों तरफ से 'पैसा तो पैसा है' की जिद हो गई थी। ग्राहक ने भी नियम का फायदा उठाया और कैशियर ने भी!"

एक अन्य ने बड़ा बढ़िया तर्क दिया – "ऐसे नियम बेवजह नहीं बनाए जाते। अगर हर कोई सिक्कों की बोरी लेकर आए, तो लाइन कब खत्म होगी?" यही बात भारत में भी लागू होती है। याद कीजिए, जब कोई ग्राहक किराने की दुकान पर ₹100 के सामान के लिए ₹2000 का नोट दे देता है, और दुकानदार छुट्टे के लिए आस-पास की दुकानों में भागता है।

एक और कमेंट में लिखा था, "बुजुर्ग अक्सर Coinstar मशीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, क्योंकि उसमें कुछ फीसदी पैसा कट जाता है।" भारत में भी पुराने लोग अक्सर बैंक में सिक्के बदलवाने के चक्कर में पड़ते हैं, पर दुकानदार को ही परेशान कर देते हैं।

भारतीय दुकानों में भी ऐसे हालात आम

हमारे यहाँ तो सुबह-सुबह दुकान खुलते ही अगर कोई ₹2000 या ₹500 का नोट ले आए, तो कैशियर का माथा ठनक जाता है। वहीं, कुछ ग्राहक तो जान-बूझकर छुट्टे के लिए दुकानदार की जान खाते हैं। और अगर दुकानदार गुस्सा दिखा दे, तो लोग कहेंगे, "ग्राहक का अपमान हो गया!"

एक पुराने दुकानदार की बात याद आ गई – "अगर कोई बहुत बदतमीज़ ग्राहक हो, तो हम भी उसे छुट्टे में 50 पैसे, 25 पैसे, 1 रुपये के सिक्के लौटा देते हैं। और ऊपर से मुस्कान भी!" यही असली 'सर्विस विद अ स्माइल' है।

रेडिट पर कुछ लोगों ने यह भी कहा कि छोटे दुकानदारों के लिए कार्ड पेमेंट में मिनिमम अमाउंट रखना समझदारी है, क्योंकि हर ट्रांजेक्शन पर कमीशन कटता है। भारत में Paytm, PhonePe आदि पर भी न्यूनतम राशि रखने का चलन बढ़ रहा है।

निष्कर्ष: ज़िद पे आओ तो व्यापारी भी कम नहीं!

तो भैया, इस किस्से से यही सीख मिलती है – ग्राहक से बहस करने का कोई फायदा नहीं, लेकिन अगर ग्राहक अपनी चालाकी दिखाए, तो दुकानदार भी हुनर से जवाब दे सकता है। आखिर पैसा तो पैसा है, पर सम्मान भी कुछ चीज़ होती है।

क्या आपके साथ भी ऐसी कोई मज़ेदार घटना हुई है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए। और अगर आप भी कभी दुकानदार से उलझें, तो याद रखिए – मुस्कान के साथ जवाब देने में ही असली जीत है!


मूल रेडिट पोस्ट: Money is money