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जब गुरुजी ने 'दो शब्द' जोड़ने को कहा, और छात्र ने कर डाली पूरी क्लास में धुआंधार बातें!

कक्षा में पावरपॉइंट स्लाइड्स के साथ बिग बैंग सिद्धांत और विकास पर प्रस्तुत कर रहा छात्र।
एक जीवंत कक्षा में छात्र द्वारा बिग बैंग सिद्धांत और विकास पर उत्साहपूर्वक प्रस्तुतिकरण का photorealistic चित्रण, विज्ञान और धर्म के बीच की दिलचस्प टकराव को दर्शाता है।

कभी-कभी टीचर्स की छोटी-छोटी जिदें छात्रों के लिए बड़ी मज़ेदार बन जाती हैं। खासकर जब टीचर को यकीन न हो कि सामने वाला छात्र अपने विषय का मास्टर है, तब तो मामला और भी दिलचस्प हो जाता है। आज की कहानी एक ऐसे ही छात्र की है, जिसने अध्यापक के कहने पर दो शब्द तो जोड़े, मगर ऐसे अंदाज में कि पूरी क्लास तालियाँ बजाने लगी।

जब 'सेलेक्शन' और 'म्यूटेशन' बन गए क्लास के सितारे

तो हुआ यूं कि Reddit यूज़र u/Different_Waltz_9863 (आसान हिंदी में कहें तो हमारे आज के हीरो) की धर्म और विज्ञान की क्लास में "बिग बैंग थ्योरी" और "एवोल्यूशन" पर प्रेजेंटेशन थी। हमारे यहाँ भी अक्सर स्कूलों में ऐसे टॉपिक्स आते हैं, जहाँ साइंस और धर्म की खींचातानी को समझाया जाता है। वैसे भी, भारत में तो विज्ञान और धर्म की चर्चा चाय के साथ रोज़ की बात है!

हमारे हीरो ने अपनी पूरी तैयारी के साथ PowerPoint और हैंडआउट्स भेजे, मगर सरजी को उसमें "सेलेक्शन" और "म्यूटेशन" शब्द नहीं दिखे। मास्टर साहब बोले, "बेटा, ये दोनों शब्द जोड़ो।" हमारे दोस्त ने फटाफट हैंडआउट अपडेट कर दिया। लेकिन सरजी ने कहा – "PowerPoint में भी चाहिए!" अब छात्र ने पूछा, "कहाँ डालूं?" सर बोले, "एक एक्स्ट्रा स्लाइड बना दो।" और साथ में ये भी कह दिया कि कम से कम 20-30 मिनट बोलना है।

'दो शब्द' की जिद, और जुगाड़ू छात्र का जवाब

अब आप सोचिए, भारत में अगर कोई मास्टरजी ऐसी जिद करें, तो क्या छात्र चुप बैठेगा? नहीं! छात्र का दिमाग तुरंत चालाकी के मोड में चला जाता है – जैसे हमारे हीरो ने किया। उसने एक नई स्लाइड डाली, जिसमें सिर्फ लिखा था – "Selection and Mutation"। स्लाइड पूरी खाली, बस दो शब्द चमचमा रहे थे।

फिर जब प्रेजेंटेशन का टाइम आया, तो हमारे नायक ने सिर्फ स्लाइड नहीं पढ़ी, बल्कि पूरे 67 मिनट तक ऐसे बोलते गए जैसे बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की सभा हो। गहराई में जाकर हर बारीकी समझाई – और वो भी बिना स्लाइड पढ़े! क्लास में बैठे छात्र और खुद सर भी हैरान थे कि ये बच्चा तो सारी किताबें फांकी बैठा है।

क्लास का माहौल और Reddit की महफिल

अब Reddit पर लोग क्या कहते? किसी ने लिखा – "भाई, allotted टाइम से डबल वक्त ले लिया, टीचर ने टोका नहीं?" इस पर हमारे हीरो बोले – "हमारी क्लास में प्रेजेंटेशन सिर्फ एकतरफा भाषण नहीं होते, सवाल-जवाब, चर्चा, सब चलता है। खुद सर ने ही बहुत पूछा!"

एक और मज़ेदार कमेंट आया – "सेलेक्शन और म्यूटेशन तो बायोलॉजी है, फिजिक्स नहीं।" इस पर OP (यानी हमारे नायक) बोले – "भाई, फिजिक्स ही सबकी जड़ है! केमिस्ट्री-बायोलॉजी सब उसमें ही समा जाते हैं।" किसी ने तो हंसी में कहा, "गणित तो सबका बाप है, फिर फिजिक्स, फिर बाकी सब!"

एक जर्मन यूज़र ने तो यहाँ तक कहा – "बिल्कुल समझ आ गया कि इसमें थोड़ी-सी शरारत थी। दो शब्दों की स्लाइड डालना और फिर घंटों उसपे बोलना – मज़ा आ गया!"

भारतीय क्लासरूम की यादें और मास्टरजी का रिएक्शन

अगर यही किस्सा हमारे देश में होता, तो सोचिए – मास्टरजी की शक्ल कैसी होती! "अरे बेटा, स्लाइड में ये दो शब्द तो डाल दिए, मगर तुमने तो पूरी क्लास ही ले ली!" वैसे हमारे यहाँ भी कई बार टीचर सोचते हैं – "क्या ये बच्चा वाकई जानता है या सिर्फ रट्टा मार रहा है?" मगर जब बच्चा सवाल-जवाब में बाजी मार ले, तो खुद मास्टरजी भी दिल से खुश हो जाते हैं।

और अंत में, छात्र को मिले पूरे 15 पॉइंट्स – यानी टॉप मार्क्स, बिलकुल A+! मज़े की बात ये थी कि छात्र तो इंजीनियरिंग का स्टूडेंट था और फिजिक्स का दीवाना था। खुद Reddit वाले भी बोले, "सही में, इतना ज्ञान कि वक्त ही कम पड़ जाए!"

निष्कर्ष – पढ़ाई में भी हल्की-फुल्की शरारत जायज़ है!

कहानी से ये सीख मिलती है कि पढ़ाई में सिर्फ रट्टा या फॉर्मैलिटी नहीं, बल्कि मौज-मस्ती और हल्की-फुल्की शरारत भी जरूरी है। आखिर, जब ज्ञान हो तो उसे दिखाने में क्या हरज? और जब टीचर दो शब्द की जिद करे, तो उसे भी छात्र का अंदाज समझना चाहिए।

तो दोस्तों, आपकी क्लास में कभी ऐसा वाकया हुआ है? कभी मास्टरजी की जिद पर आपने भी कुछ अलग किया हो? या कोई मज़ेदार टीचर-स्टूडेंट किस्सा है? कमेंट में जरूर बताइए! और हाँ, अगली बार अगर आपको भी किसी ने दो शब्द जोड़ने को कहा, तो थोड़ा तड़का जरूर लगाइए – पढ़ाई में भी स्वाद चाहिए!


मूल रेडिट पोस्ट: You don't think I'll remember to say two words? okay.