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जब खेल टीम की आयोजिका ने होटलवालों को घुमा दिया – एक मजेदार किस्सा

स्थानीय सेवाओं और टीम भावना को दर्शाते हुए, खेल टीम के सदस्यों के कैटरिंग भोजन का आनंद लेते हुए 3डी कार्टून चित्र।
यह जीवंत कार्टून-3डी चित्र एक खेल टीम के एक साथ भोजन करते हुए उत्साह को कैद करता है, जो स्थानीय कैटरिंग कंपनी के साथ हमारी साझेदारी को दर्शाता है। स्वादिष्ट भोजन के साथ, हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे मेहमान हमारे क्षेत्र में रहते हुए घर जैसा महसूस करें।

होटल इंडस्ट्री में काम करना किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं है। कभी मेहमानों की फरमाइशें आसमान छूती हैं, तो कभी उनकी शिकायतें ज़मीन पर गिरा देती हैं। लेकिन जब सामने प्रीमियर स्पोर्ट्स टीम हो और उनके साथ एक चालाक आयोजिका, तब तो मसाला ही कुछ और होता है! आज की कहानी एक ऐसे ही होटल वाले की जबानी, जिसने बड़े जतन से टीम का पेट भरा, लेकिन आयोजिका ने दिमाग का दही बना दिया।

आयोजिका की “खास फरमाइशें” – खाने का ड्रामा

सोचिए, आपके होटल में चार दिन के लिए बड़ा स्पोर्ट्स दल ठहरा है। मालिकों ने बजट बचाने के लिए लोकल कैटरिंग कंपनी से बढ़िया डील कर रखी है – चार दिन, नौ बार केटरिंग, कुल बिल $8,000 (लगभग 6.5 लाख रुपए)! खिलाड़ियों के लिए तरह-तरह के व्यंजन बन रहे हैं, स्टाफ से लेकर कैटरर सब अपनी मेहनत झोंक रहे हैं।

लेकिन असली ट्विस्ट आया आयोजिका के मेल से। जनाब, वो खुद शहर में भी नहीं थी! चार खाने के बाद ही शिकायत – “खाना पसंद नहीं आया, दूसरे डिश की डिमांड, डिनर को लंच में बदल दो, लंच कैंसिल करो।” और ये सब आखिरी मिनट पर! हमारे यहां तो इसे कहते हैं – “बिन बुलाए मेहमान भी इतने तंग नहीं करते!”

यहां कैटरर साहब का भी पारा चढ़ गया। गुस्से में खुद आयोजिका को फोन लगा दिया – आमतौर पर ऐसा नहीं होता। उधर आयोजिका ने घबराकर पैंतरा बदल लिया, “अरे, मुझे पता नहीं, मैं तो वहां हूं ही नहीं!” अब सोचिए, खुद ही ऑर्डर, खुद ही शिकायत, और खुद ही बचने की कोशिश!

खिलाड़ियों की सच्चाई और आयोजिका की चालाकी

मजेदार बात ये कि होटल स्टाफ के मुताबिक, टीम के खिलाड़ी तो खाने के दीवाने निकले! सबने जी-भरकर तारीफें कीं और प्लेटें चट कर गए। आयोजिका की शिकायतों का तो कोई सिर-पैर ही नहीं था। “असली बेकन चाहिए”, जबकि उन्होंने खुद ऑर्डर में “टरकी बेकन” और “सॉसेज” लिखा था। भाई, ये तो वही बात हुई – “अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना।”

यहां Reddit पर एक यूज़र ने बड़ा गहरा तंज कसा: “आयोजिका तो खेल खेल रही थी, शायद और ज्यादा छूट पाना चाहती थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि कैटरर खुद कॉल कर देगा।” जैसे हमारे यहां लोग सेल्समैन से मोल-भाव करते करते खुद ही उलझ जाते हैं।

एक और कमेंट में लिखा था, “$8,000 तो बहुत कम है, अगली बार ये रेट बढ़ेगा।” होटल इंडस्ट्री में अक्सर देखा गया है कि जब ग्राहक इतनी तिकड़मबाज़ी करते हैं, तो अगली बार उनकी जेब ढीली ही होती है।

होटल-वालों की आंख खुली, और आयोजिका की चालाकी बेनकाब

हमारे देश में भी बड़े इवेंट्स, शादी-ब्याह, क्रिकेट टूर्नामेंट – हर जगह कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो छूट पाने के लिए अजीब-अजीब बहाने ढूंढते हैं। “भैया, सब्ज़ी में नमक कम है, मिठाई में घी कम है, दाल में तड़का तेज़ है…” और जब सीधा-सीधा जवाब मिलता है, तो कहते हैं – “अरे, मुझे तो पता ही नहीं!”

यहां भी यही हुआ। आयोजिका ने खाने से लेकर सर्विस टाइम तक इतनी ऊल-जुलूल मांगें रखीं कि स्टाफ और कैटरर दोनों का धैर्य जवाब दे गया। लेकिन खिलाड़ियों की संतुष्टि और तारीफों ने सबका मन हल्का कर दिया। होटल वालों के लिए ये सबक भी था – अगली बार डील करते वक्त ग्राहक की चालाकी का ध्यान रखना पड़ेगा।

एक यूज़र ने बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में लिखा – “अगर इन्होंने होटल को जला नहीं दिया, तो समझो बाकी सब ठीक है।” ये लाइन पढ़कर हर होटल स्टाफ को अपनी पुरानी परेशानियां याद आ गई होंगी!

सीख – ग्राहक भगवान है, लेकिन भगवान भी इंसान है!

होटल या किसी भी सर्विस इंडस्ट्री में ग्राहक को खुश रखना ज़रूरी है, लेकिन “हर ग्राहक सच्चा हो ये भी ज़रूरी नहीं।” और कभी-कभी, ग्राहक की शिकायतें सिर्फ बहाना होती हैं – असली मकसद छूट या मुफ्तखोरी। ऐसे में होटल वालों को संयम भी रखना पड़ता है और समझदारी भी।

इस किस्से से यही सिखने को मिलता है कि स्टाफ की मेहनत, खिलाड़ियों की ईमानदारी और आयोजिका की चालाकी – सबका अपना-अपना रोल है। और सबसे बड़ी बात – कभी-कभी सीधा जवाब देना भी ज़रूरी है, वरना लोग आपकी “शांति” का फायदा उठा लेते हैं।

अब आप बताइए, आपके साथ भी ऐसी कोई मजेदार ग्राहक-गाथा हुई है? कमेंट में ज़रूर साझा करें। और हां, अगली बार होटल बुक करते वक्त अपने ऑर्डर की कॉपी संभाल कर रखें… क्या पता, आयोजिका की आत्मा आपमें न समा जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: Premier Sports Teams