जब 'केविन' ने ऑफिस की आईटी टीम को घुमा दिया चक्कर
ऑफिस में हर तरह के लोग होते हैं – कोई तेज़, कोई शांत, कोई चाय के बिना काम नहीं करता, तो कोई कम्प्यूटर के सामने बैठते ही पसीना-पसीना हो जाता है। लेकिन हमारी आज की कहानी के हीरो 'केविन' हैं – एक ऐसे सज्जन, जिनकी कम्प्यूटर से दोस्ती उतनी ही गहरी थी, जितनी हमारी दादी-नानी को स्मार्टफोन से!
इस कहानी में थोड़ा सा हास्य है, थोड़ा सा आईटी वालों की बेबसी है, और ढेर सारा वो भारतीय ऑफिस वाला तड़का – जहाँ कॉफी मशीन से ज़्यादा चर्चाएँ, और कम्प्यूटर से ज़्यादा किस्से चलते हैं।
केविन और कम्प्यूटर: एक अनोखा रिश्ता
केविन साहब पिछले ३० साल से कंपनी में जमे हुए थे। पुराने ज़माने की तरह एक ही सॉफ़्टवेयर पर हाथ साफ़ कर लिया था, जैसे हमारे यहाँ लोग पुराने टीवी पर ही 'रामायण' देखने के आदि हो जाते हैं। लेकिन वक्त बदला, सिस्टम बदला – अब नया प्रोग्राम आया जिसमें माउस से क्लिक करके काम करना था।
यहाँ से शुरू हुआ असली तमाशा। नए सिस्टम में बिल बनाना था – एक विंडो खोलो, जानकारी भरो, बिल बनाओ, फिर चाहे तो उसी विंडो में अगला बिल बनाओ या विंडो बंद कर दो। लेकिन केविन को तो लगा कि हर बार नया बिल बनाना है मतलब नई विंडो खोलनी है! बंद करना तो जैसे अपराध हो गया। ऊपर से कम्प्यूटर भी कभी बंद नहीं करना – "शायद कल सुबह भी यही काम पड़ेगा!"
कुछ महीनों में आईटी विभाग के होश उड़ गए। मेनेजर को फोन आया – "ये केविन क्या कर रहे हैं? इनके कम्प्यूटर ने पूरे ऑफिस के सिस्टम की ऐसी-तैसी कर दी है!" पता चला, साहब ने १२०० से ज़्यादा विंडो खोल रखी हैं, और एक भी बंद नहीं की! कंपनी का मालिक जब सेल्स रिपोर्ट खोलने बैठे, तो ५-१० मिनट लग जाए – ऐसा हाल!
आईटी वालों की परेशानी और केविन का मासूमियत भरा आतंक
कुछ हफ्तों बाद केविन ने दाम बदलने की कोशिश की, और पूरा POS सिस्टम ही क्रैश कर दिया! ऊपर से एक घंटे में तीन बार सिस्टम बैठा दिया। आईटी वालों को लगा कोई हैकर घुस आया है – लेकिन जब जाँच हुई, तो सबकी निगाहें केविन पर जा टिकीं।
यहाँ कई पाठकों ने अपने अनुभव साझा किए – एक ने लिखा, "अगर कोई केविन ऐसा कर सकता है, तो सोचिए, कोई शरारती आदमी क्या-क्या कर सकता है! ऐसे सिस्टम को मज़बूत बनाना चाहिए।" एक और ने मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा, "पीओएस सिस्टम का नाम ही ऐसा है, कभी-कभी लगता है ये सच में 'पीस ऑफ श...' (समझ गए ना?)"
ऑफिस का माहौल: केविन के किस्सों पर हँसी के ठहाके
अब केविन की हरकतों से सब इतने परेशान कि कोई भी उनकी छोटी-मोटी दिक्कत में मदद करने को तैयार नहीं था। केविन बेचारे, हर बार ज़ोर से बोलकर बताते – "अरे भाई, ये हो गया, अब क्या करूँ?" – उम्मीद में कि कोई मदद कर देगा।
एक दिन उन्होंने ज़ोर से डेस्क बंद किया और कम्प्यूटर बंद हो गया। सब हँसी रोक नहीं पाए। मज़े की बात ये कि दोबारा करने को कहा गया, लेकिन "जादू" नहीं दोहराया जा सका! सबने सलाह दी – "आईटी को फोन करो, स्पीकर पर बात करो।"
"हैलो आईटी? केविन बोल रहा हूँ!" दूसरी तरफ़ से सुनाई दिया – "ऊँह्ह..." (ऐसा रिएक्शन जैसे हमारे यहाँ कॉल सेंटर में बार-बार एक ही ग्राहक का फोन आए)।
आईटी वाले भी थक चुके थे – बोले, "अगर फिर से हुआ तो फोन करना!" और केविन हर बार वही कहानी सुना देते। एक कमेंट में मज़ेदार बात कही गई – "ऐसा लगता है जैसे आईटी वाले अब केविन की वजह से खुद को प्रैंक समझने लगे हैं!"
तकनीक, बदलाव और 'हमारे अपने' केविन
बहुत से पाठकों ने इस कहानी के बहाने एक गहरी बात कही – "केविन जैसे लोग दोषी नहीं, बस बदलाव के साथ तालमेल बैठाने में मुश्किल महसूस करते हैं।" हमारे दफ्तरों में भी कई 'केविन' होते हैं, जो पुराने सिस्टम के इतने आदि हो जाते हैं कि नया सिखना पहाड़ सा लगता है।
इसी बहाने एक पुराने आईटी चुटकुले की याद आई – "अगर घर बनाने वाले वैसे ही काम करें जैसे सॉफ़्टवेयर इंजीनियर, तो पहली लकड़बग्घा पूरी बस्ती गिरा देगा!" (बिल्कुल वैसे जैसे कभी-कभी हमारे सरकारी पोर्टल्स पर काम करते-करते सबकुछ ठप हो जाता है।)
और सच कहें, सिस्टम चाहे जितना नया हो, अगर इस्तेमाल करने वाले को समझ न हो, तो दिक्कतें आना तय है। एक पाठक ने सही लिखा – "हमेशा मानकर चलो कि नया सॉफ्टवेयर चमत्कार नहीं करता, टेस्टिंग और ट्रेनिंग दोनों ज़रूरी है!"
निष्कर्ष: क्या आपके ऑफिस में भी है कोई 'केविन'?
तो साथियों, केविन की ये कहानी यही सिखाती है – तकनीक का डर और बदलाव की हिचक, हर दफ्तर की कहानी है। लेकिन थोड़ी हँसी, थोड़ी समझदारी और आईटी वालों की धैर्य से, हर 'केविन' को 'कूल' बनाना मुश्किल नहीं है।
क्या आपके ऑफिस में भी कोई केविन है? या कभी आपने कंप्यूटर के साथ ऐसा कोई हादसा किया है? नीचे कमेंट में अपनी कहानी ज़रूर बताइए – और हाँ, अगली बार ऑफिस में कोई 'केविन' दिखे, तो हँसी के साथ थोड़ा सहयोग भी दीजिएगा!
मूल रेडिट पोस्ट: Kevin pisses off the IT department