जब क्लिनिक का नेटवर्क बैठ गया: एक स्विच, एक रीबूट और थोड़ी सी हिम्मत
सोचिए, आपका बच्चा बीमार है, आप उसे नजदीकी क्लिनिक लेकर जाते हैं, लेकिन डॉक्टर कंप्यूटर ऑन ही नहीं कर पा रहे! फोन डेड, पर्ची निकल नहीं रही, कंप्यूटर में 'नेटवर्क एरर' टंगा है। ऐसे में कोई भी कहेगा—"भैया, नेटवर्क वालों को बुलाओ!" आज की हमारी कहानी भी कुछ ऐसी ही है, बस फर्क इतना कि इसमें ट्विस्ट, सस्पेंस और थोड़ी हिम्मत भी है।
नेटवर्क का खेल और स्विच की नटखटपंती
यह किस्सा एक बड़े क्लिनिक का है, जहाँ एक दिन अचानक आधे कर्मचारियों के फोन और कंप्यूटर बंद हो गए। क्लिनिक में हर कंप्यूटर VDI (Virtual Desktop Infrastructure) से चलता था—यानि असली कंप्यूटर तो दूर डाटा सेंटर में था, यहाँ बस छोटे 'टर्मिनल' थे, जिनसे वे कनेक्ट होते थे। साथ में PoE (Power-over-Ethernet) फोन, और नेटवर्क प्रिंटर।
समस्या ये कि आधे टर्मिनल 'नेटवर्क एरर' दिखा रहे थे। पहली नजर में लगा—शायद कोई केबल कट गई होगी, या कोई ठेकेदार ने गड़बड़ कर दी। पर जब हमारे तकनीकी नायक ने लॉग्स चेक किए, तो पता चला कि एक खास स्विच (Switch) की आधी इंटरफेस डाउन हैं—और मजा ये कि बाकी सब कुछ सही है।
यहाँ से शुरू हुआ असली खोजी काम—जैसे CID (Crime Investigation Department) में ACP प्रद्युम्न केस खोलते हैं! स्विच की लॉग्स में दिखा: '%ILPOWER-3-CONTROLLER_PORT_ERR: Power Controller reports power Tstart error detected.' मतलब PoE पावर सप्लाई में ही दिक्कत।
टेक्निकल मैनेजमेंट का भारतीय जुगाड़
अब दिक्कत थी—टीम को CLI (Command Line Interface) एक्सेस नहीं थी, बस वेब टूल था। ऊपर से नेटवर्क इंजीनियर लोग बिजी थे, कोई जवाब नहीं दे रहा था। हमारी संस्कृति में अक्सर जिम्मेदारी ऊपर-नीचे टाली जाती है, लेकिन यहाँ वक्त की पाबंदी थी—हर 30 मिनट में स्टेटस मेल भेजना जरूरी था।
"क्या करूँ, क्या न करूँ, यही मुश्किल है!"—ऐसा सोचते हुए हमारे नायक के पास दो विकल्प थे:
1. खुद रिस्क लेकर स्विच को रीबूट करें—शायद चल जाए, वरना और गड़बड़ हो सकती है।
2. इंतजार करें, मैनेजर या नेटवर्क इंजीनियर के जवाब का—पर तब तक क्लिनिक के मरीज और परेशान।
इसी मोड़ पर एक कमेंटकर्ता NotYourNanny ने सही कहा—"सीखा यही कि दो मैनेजर एक साथ अनुपलब्ध न हों!" सच में, हमारी दफ्तरों में भी अक्सर ऐसा होता है—सारे बड़े साहब मीटिंग में, नीचे वाले परेशान।
दिल बड़ा, फैसला बड़ा: स्विच रीबूट का रोमांच
आखिरकार, तकनीक के इस 'युद्ध' में हमारे हीरो ने रिस्क लेने का फैसला किया—स्विच को रीबूट करने का! फोन पर क्लिनिक मैनेजर को गाइड किया, स्विच का प्लग निकालो और दोबारा लगाओ। जैसे ही स्विच डाउन हुआ, मॉनिटरिंग टूल ने मैनेजर को अलर्ट भेजा—"क्या कर दिया?"
5 मिनट बाद भी स्विच ऑनलाइन नहीं आया। अब तो पसीना छूटने लगा—क्लिनिक मैनेजर कॉल पर, "अब तो कंप्यूटर भी नहीं चल रहा!" दरअसल, जो कुछ वर्कस्टेशन पहले सीधे स्विच से जुड़े थे, वे भी अब डाउन हो गए।
यहाँ पर हमारे नायक ने हार नहीं मानी। क्लिनिक मैनेजर को फोन पर समझाया, "ब्लू केबल को फॉलो कीजिए, दीवार पर नंबर देखिए, मुझे बताइए।" और कमाल, मैनेजर ने खुद केबल्स री-प्लग कीं और 10 मिनट में तीन डेस्क वापस ऑनलाइन!
एक कमेंटकर्ता Gambatte ने इसे बढ़िया प्लानिंग और सही डाक्यूमेंटेशन बताया—"ये किस्मत नहीं, ये अच्छी तकनीकी मैनेजमेंट की निशानी है।" सच बात है, डॉक्यूमेंटेशन रखना और फोटो खींचना भारतीय IT में भी बहुत मददगार साबित होता है, खासकर जब ऑनसाइट कोई तकनीशियन नहीं हो।
गड़बड़ी से सीख: तकनीकी काम में धैर्य और जिम्मेदारी
आखिरकार, स्विच को रिप्लेस किया गया, PoE फिर से काम करने लगा, और क्लिनिक मैनेजर ने तारीफ भी दी। हमारे हीरो के मैनेजर ने पहले डांटा—"तुमने क्या कर दिया!"—फिर समझाया, "तुमने जिम्मेदारी ली, आगे भी ध्यान रखना।"
इस घटना के बाद कंपनी में एक अहम बदलाव हुआ—अब कभी भी सारे मैनेजर एक साथ अनुपलब्ध नहीं रहेंगे, और नेटवर्क इमरजेंसी की प्रक्रिया भी लिखित में आ गई।
एक और कमेंट UnfeignedShip ने लिखा—"तुम पागल हो, लेकिन शानदार हो! बेहतरीन खोजबीन!"—ऐसा जज्बा ही असली IT सपोर्ट को खास बनाता है।
निष्कर्ष: तकनीक, हिम्मत और टीम वर्क का मेल
कहानी से यही सीख मिलती है कि तकनीकी समस्याओं में रिस्क लेना, टीम वर्क और सही डॉक्यूमेंटेशन ही असली हथियार हैं। कभी-कभी किस्मत भी साथ देती है, लेकिन तैयारी और जिम्मेदारी सबसे ज़रूरी है। और हाँ, कभी-कभी 'रीबूट' ही आख़िरी उम्मीद होती है—जैसे भारत में अक्सर कहते हैं—"टीवी बंद करो, फिर चालू करो, सब सेट हो जाएगा!"
आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा वाकया हुआ है? टेक्निकल सपोर्ट में कौन सी घटना आपको सबसे ज़्यादा याद है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, और कहानी पसंद आई हो तो शेयर करें—शायद किसी का स्विच रीबूट हो जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: The Switch Needed a Reboot