जब किराएदार रोज़ फॉब भूल गया और पड़ोसी ने कर दिया दरवाज़ा बंद!
क्या आपने कभी अपने अपार्टमेंट के सिक्योरिटी गेट के बाहर किसी को फंसा देखा है? और वो कोई अजनबी नहीं, बल्कि आपका ही पड़ोसी हो, जो रोज़-रोज़ अपना फॉब (इलेक्ट्रॉनिक चाबी) घर पर भूल जाता है! सोचिए, आप बाहर जाने के लिए तैयार हों और कोई पीछे-पीछे चलकर आपसे उम्मीद लगाए बैठा हो कि आप उसे अंदर आने देंगे। ऐसा ही एक किस्सा सामने आया है, जिसमें एक युवती ने अपने नियमों की वजह से अपने ही बिल्डिंग के किराएदार के लिए दरवाज़ा बंद कर दिया। अब आगे जो हुआ, वो जानना तो बनता है!
अपार्टमेंट की सुरक्षा: नियम तोड़ो तो भुगतो!
भारत में भी आजकल कई बड़े शहरों में अपार्टमेंट बिल्डिंग्स में सिक्योरिटी सिस्टम बहुत सख्त हो गए हैं। यहां भी गार्ड, सीसीटीवी, और इलेक्ट्रॉनिक एंट्री सिस्टम आम हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में तो ये नियम इतने सख्त हैं कि अगर आप बिना फॉब के किसी को अंदर आने देते हैं, तो खुद आपकी छुट्टी हो सकती है!
इस कहानी में एक 21 वर्षीय युवती (मान लीजिए उसका नाम साक्षी है) एक ऐसी ही अपार्टमेंट बिल्डिंग में रहती है, जहां नियम है—"कोई भी, चाहे किराएदार ही क्यों न हो, बिना फॉब के अंदर नहीं आ सकता।" अब परेशानी ये थी कि एक युवक (उम्र 18-20 के बीच) रोज़ अपना फॉब भूल जाता था और दूसरों के भरोसे अंदर आता था।
एक दिन जब सिक्योरिटी और स्टाफ दोनों ही मौजूद नहीं थे, साक्षी बाहर जाने लगी तो वो युवक भी पीछे-पीछे गया, वापस आने पर उसने साक्षी से सिगरेट मांगी, साक्षी ने मना कर दिया। जब वो लड़की अंदर जाने लगी, तो उस लड़के ने भी घुसने की कोशिश की, लेकिन साक्षी ने फिल्मी अंदाज़ में उसके मुंह के सामने दरवाज़ा बंद कर दिया!
किराएदार की शिक़ायत और समाज का रिएक्शन
सुबह जब स्टाफ आया, तो साहब ने ज़ोर-ज़ोर से शिकायत कर डाली—“उसने मुझे अंदर क्यों नहीं आने दिया!”
साक्षी मुस्कराते हुए बोली, "आपको पहले ही कहा गया था कि फॉब याद रखें।"
अब ये सुनकर इंटरनेट की ‘जंता’ दो हिस्सों में बंट गई—कुछ बोले, "अरे, इतनी सख्ती क्यों? बेचारे को अंदर आने देती!"
लेकिन ज़्यादातर लोगों ने साक्षी की तारीफ की और कहा, "नियम तो नियम है, और सुरक्षा सबसे ज़रूरी!"
एक कमेंट में किसी ने लिखा, "अगर वो हर बार फॉब भूल जाता है, तो शायद उसके पास है ही नहीं, या वो असली किराएदार ही नहीं है!"
दूसरे ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "अगर वो अपनी वॉलेट रोज़ भूलता, तो क्या हर बार दुकानदार से उधार मांगता?"
एक महिला पाठक ने लिखा, "आजकल सिक्योरिटी सबसे ज़रूरी है, खासकर जब आप अकेली महिला हों। किसी को यूं ही अंदर आने देना खतरे से खाली नहीं।"
'छोटे बदले' की बड़ी सीख: सुरक्षा पहले!
पश्चिमी देशों में इसे 'Petty Revenge' यानी 'छोटा सा बदला' कहा जाता है, लेकिन असल में ये बदला कम, समझदारी ज़्यादा है। कई पाठकों ने अपने अनुभव भी शेयर किए—
एक ने लिखा, "मेरे यहाँ लिफ्ट भी फॉब से ही चलती है। कई बार लोग अंदर फंस जाते हैं और दूसरों से उम्मीद करते हैं कि कोई मदद करेगा।"
दूसरे ने बताया, "मेरे पास एक बार एक अजनबी आया और बोला कि मुझे अंदर जाने दो। मैंने सीधा कह दिया, 'भाई, मैं तुम्हें जानता नहीं!' और दरवाज़ा बंद कर दिया।"
कुछ लोगों ने कहा कि कई बार लोग जानबूझकर फॉब नहीं लेते क्योंकि नया बनवाने में पैसे लगते हैं, या वो किराएदार ही नहीं होते।
भारतीय संदर्भ में सोचें, तो ये वैसा ही है जैसे कोई बार-बार अपनी सोसाइटी की आईडी कार्ड भूल जाए और हर बार गार्ड से कहे—"भैया, रहने दो, मैं यहीं रहता हूँ।"
अब हर किसी की जिम्मेदारी है कि वो नियमों का पालन करे, क्योंकि एक छोटी सी चूक पूरी बिल्डिंग के लिए खतरा बन सकती है।
क्या ये सचमुच बदला था या ज़िम्मेदारी?
कुछ पाठकों ने पूछा—"ये बदला कहाँ है? इसमें तो बस नियम निभाया गया है!"
साक्षी ने भी जवाब में लिखा, "अगर मैंने उसे अंदर आने दिया, तो खुद मेरी रिहाइश पर बन आएगी। कोई ये रिस्क क्यों ले?"
सच कहें तो, ये कहानी हमें बताती है कि कई बार 'ना' कहना भी ज़रूरी है, चाहे सामने वाला कितना भी नाराज़ हो जाए।
जैसे हमारे बॉलीवुड में कई बार दिखाया जाता है—"सुरक्षा में ही समझदारी है।"
अगर आप अपनी और अपने आस-पास के लोगों की सुरक्षा चाहते हैं, तो नियमों को हल्के में मत लीजिए।
कई बार लोगों की नाराज़गी छोटी होती है, लेकिन किसी बड़ी मुसीबत से बचा सकती है।
आपके अनुभव क्या कहते हैं?
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको किसी को नियमों के चलते मना करना पड़ा हो? क्या आपने कभी सोसाइटी में किसी अजनबी को देखकर गार्ड को सतर्क किया है?
अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें! और हाँ, अगली बार फॉब या चाबी घर पर न भूलें—वरना कहीं आपके पड़ोसी भी दरवाज़ा आपके मुंह पर बंद न कर दें!
मूल रेडिट पोस्ट: Tenant in the apartment building i live in forgets fob daily and i shut them out