जब कमांडर ने सिपाही की बहन की शादी रोकनी चाही: एक बेल्जियन सेना की छोटी-सी लेकिन मज़ेदार 'पेटी रिवेंज
हमारे भारतीय समाज में शादी-ब्याह की रस्में किसी युद्ध से कम नहीं होतीं – और अगर किसी को घर की शादी में आने से रोक दिया जाए, तो समझिए मान-सम्मान पर बात आ जाती है! अब सोचिए, अगर सेना जैसी अनुशासित जगह पर किसी सिपाही को उसकी सगी बहन की शादी में छुट्टी न मिले, तो क्या हो? आज हम आपको एक ऐसी ही बेल्जियम सेना की घटना सुनाने जा रहे हैं, जिसमें 'पावर' और 'जुगाड़' दोनों का अद्भुत मेल देखने को मिला।
जब सेना का अनुशासन टकराया परिवार की भावनाओं से
बात है उस दौर की, जब बेल्जियम में सेना सेवा अनिवार्य थी – कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे भारत में पहले NCC की ट्रेनिंग का क्रेज़ था। कहानी के नायक हैं – एक जवान, जिनकी बहन की शादी तय हो जाती है। सेना के नियम भी कहते हैं – पारिवारिक शादियों में छुट्टी मिलनी ही चाहिए, हाँ आपातकाल को छोड़कर। मगर, हर जगह एक 'इतना क्यों नियमों में फंसे हो?' टाइप अधिकारी ज़रूर मिल जाता है!
इस कहानी में भी, जवान के कमांडर ने नियम-कायदे को ताक पर रखते हुए जवान को छुट्टी देने से इंकार कर दिया – "मिलिट्री एक्सरसाइज़ चल रही है, छुट्टी नहीं मिलेगी!" जवान बेचारा गुस्से में, दुखी मन से, अपने पापा को फोन करता है।
राजनीति वाला दादा: 'कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता?'
अब असली ट्विस्ट यहीं आता है! जवान के पापा कोई आम इंसान नहीं थे – वे खुद राजनीति में 'बुलडॉग' कहलाते थे, यानी एकदम अड़ियल, दबंग नेता। घर के बेटों-बेटियों के लिए जान लड़ा देने वाला दादा। उन्होंने बिना देर लगाए अपने रसूख का इस्तेमाल किया।
कुछ ही दिनों में कमांडर की टेबल पर एक चमचमाता, शिष्ट पत्र पड़ा मिलता है – सीधे रक्षा मंत्री के ऑफिस से! पत्र में पूछा गया – "कृपया स्पष्ट करें, आपने जवान को उसकी बहन की शादी में शामिल होने से क्यों रोका?" कमांडर की घिग्घी बंध गई, चेहरा उतर गया।
जब बॉस के बॉस के बॉस से आए खत का असर दिखा
कमांडर ने जवान को ऑफिस में बुलाया और बड़बड़ाते हुए बोला – "ठीक है, जाओ शादी में। लेकिन याद रखना, इसका अंजाम तुम्हें भुगतना पड़ सकता है!" जवान ने भी भारतीय अंदाज में 'मासूम' बनने का अभिनय किया – "क्या हुआ, सर? मैं तो बस अपनी बहन की शादी में जाना चाहता था!" कमांडर ने उसके बाद कभी जवान को तंग नहीं किया, न ही कोई सज़ा दी – शायद समझ गया कि भाई, यहाँ पंगा लेना महँगा पड़ सकता है।
इस किस्से पर Reddit पर एक यूज़र ने बहुत शानदार प्रतिक्रिया दी: "भई, जब किसी के पास तुम्हारे बॉस के बॉस के बॉस से भी सीधा संपर्क हो, तो और खुदाई क्यों करनी?" यही बात हमारे दफ्तरों में भी होती है – जब किसी का 'ऊपर तक जुगाड़' हो, तो बॉस भी दो बार सोचता है।
'जितनी बड़ी हड्डी, उतना बड़ा भौंकना': बेल्जियम से भारत तक सबक
एक कमेंट में किसी ने लिखा – "जब कुत्ते के दाँत गिर जाते हैं, तब उसकी भौंक और तेज़ हो जाती है!" यानी, कई बार अधिकारी अपना रौब दिखाने के लिए बेवजह धमकी देते हैं, लेकिन अंदर से डरते हैं कि कहीं खुद की कुर्सी न हिल जाए।
हमारे देश में भी ये देखा गया है – सरकारी अफसर, दफ्तर के बाबू, या फिर स्कूल का प्रिंसिपल – अगर उन्हें पता चल जाए कि सामने वाले की पहुँच ऊपर तक है, तो उनकी सख्ती झट से नरम पड़ जाती है। एक यूज़र ने तो कहा, "अगर किसी को ऊपर से खत आ जाता है, तो नीचे वाला दुश्मनी नहीं मोल लेता!"
एक और कमेंट बिलकुल देसी तड़के वाला था – "कभी-कभी ज़रूरी नहीं कि आपको सब कुछ पता हो, बस सही लोगों को जानना चाहिए!" भाई, ये लाइन तो हर शहर, हर मोहल्ले में सुनने को मिलती है – 'मेरा फूफा जी नगरपालिका में हैं', 'मामा थानेदार हैं', वगैरह-वगैरह!
क्या इसे 'प्रिविलेज' कहें या 'जुगाड़'?
कई लोगों ने इस कहानी को 'पावर' और 'प्रिविलेज' की मिसाल भी बताया – यानी, हर किसी के पास ऐसे मौके नहीं होते। लेकिन वहीं, कुछ ने कहा कि कभी-कभी सिस्टम को सही ट्रैक पर लाने के लिए 'जुगाड़' ज़रूरी है। वरना अफसरशाही बिना वजह लोगों को परेशान करती रहती है।
जैसा कि एक कमेंट में लिखा गया – "सेना हो या दफ्तर, कभी ऐसी लड़ाई मत छेड़ो जिसे तुम जीत नहीं सकते।" और ये बात सोलह आने सच है – चाहे बेल्जियम हो या भारत, किसी 'पावरफुल' इंसान से पंगा लेना भारी पड़ सकता है।
निष्कर्ष: आपकी क्या राय है?
तो दोस्तों, इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
- नियम सबके लिए एक जैसे हैं, पर 'जुगाड़' या 'कॉन्टैक्ट' हमेशा काम आते हैं
- अफसरशाही के आगे कभी-कभी दबाव बनाना भी जरूरी है
- और सबसे जरूरी – अपनी बहन की शादी मिस करने का दुःख कभी न सहें!
क्या आपके साथ या आपके जान-पहचान में भी कभी ऐसा कुछ हुआ है, जब किसी रसूखदार रिश्तेदार ने मुश्किल आसान कर दी हो? या आप मानते हैं कि ये 'प्रिविलेज' गलत है?
अपने विचार, किस्से और तजुर्बे कमेंट में जरूर शेयर करें – कौन जाने, आपकी कहानी अगली बार इस ब्लॉग पर दिखे!
मूल रेडिट पोस्ट: Refuse to let my dad go to his sister's wedding? I hope you like tough questions.