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जब कठोर HR मैडम को मिला उन्हीं के अंदाज़ में जवाब: ऑफिस में बदले की दिलचस्प कहानी

एक गंभीर मानव संसाधन प्रबंधक, कार्यालय में कर्मचारियों की निगरानी करते हुए, कॉर्पोरेट संस्कृति और कार्यस्थल की गतिशीलता को दर्शाते हुए।
इस फोटो यथार्थवादी चित्रण में, पहले मिलनसार मानव संसाधन प्रबंधक कॉर्पोरेट संस्कृति में बदलाव को दर्शाती हैं, जैसे ही वह अपनी विदाई की तैयारी कर रही हैं, जो कार्यस्थल की गतिशीलता और नए मानव संसाधन निदेशक के अप्रत्याशित उदय की एक रोमांचक कहानी का मंच तैयार करती हैं।

ऑफिस की दुनिया में कभी-कभी ऐसे लोग मिल जाते हैं, जिनका काम मुश्किल नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगी मुश्किल करना होता है। ऐसा ही कुछ हुआ एक बड़ी कंपनी में, जहाँ एक नई HR मैडम ने आते ही अपने सख्त और अजीब नियमों से सबका जीना हराम कर दिया। पर कहते हैं न, "जैसी करनी, वैसी भरनी!" इस कहानी में भी अंत में सबकुछ बदल गया।

HR का असली काम: पुलिस बनना या परिवार बनना?

हमारे यहाँ अक्सर HR (Human Resources) का नाम सुनते ही दिमाग में दो ही तस्वीरें आती हैं – या तो वो जो हर छोटी बात पर नोटिस पकड़ा देती हैं, या वो जो कर्मचारियों के सुख-दुख में साथ होती हैं। Reddit यूज़र u/TokyoGirl888 ने अपनी कहानी में बताया कि वे खुद जब HR मैनेजर थीं, तो कोशिश करती थीं कि ऑफिस के लोग खुश रहें, छोटे-छोटे त्योहार और मौके सेलिब्रेट हों, जैसे कि थैंक्सगिविंग पर सबको टर्की और बोनस मिलता था (आप इसे हमारे यहाँ दीवाली बोनस या मिठाई मान सकते हैं)। सेक्रेटरीज़ डे (जिसे अब एडमिनिस्टेटिव प्रोफेशनल्स डे कहते हैं) पर मैनेजर अपने सहायकों के प्रति आभार जताते, कभी फूल, कभी कार्ड, कभी दोपहर का खाना।

लेकिन फिर कंपनी में आईं नई HR मैडम, और आते ही उन्होंने सबसे पहले सेक्रेटरीज़ डे मनाने पर बैन लगा दिया। उनकी दलील थी – "अगर कोई बॉस भूल गया तो किसी को बुरा लग सकता है, फिर कानूनी पचड़ा हो सकता है!" अब बताइए, ऐसा तो जैसे कोई हमारे यहाँ होली पर रंग खेलने से मना कर दे, "क्योंकि अगर किसी को रंग अच्छा न लगे तो केस हो सकता है!" एक कमेंट में किसी ने मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा, "लगता है उनका पसंदीदा नारा था – 'मार खाओगे, तभी मनोबल बढ़ेगा!'" (जैसे पुराने ज़माने के स्कूल मास्टर!)

ऑफिस का माहौल: छाँव से धूप तक

नई HR मैडम के आने के बाद ऑफिस का माहौल धीरे-धीरे बदलने लगा। पुराने रिवाज़, छोटे-छोटे जश्न – सब बंद। कर्मचारियों को अब अपने काम से ज़्यादा डर सताने लगा। एक घटना तो ऐसी हुई कि "ब्रिंग योर किड्स टू वर्क डे" पर एक महिला को अचानक बच्चों के सामने ही निकाल दिया गया। न ही कोई नोटिस, न समझदारी – बस मेलरूम के लड़कों से कहकर, सबको कार तक 'एस्कॉर्ट' करवा दिया। बच्चों की आँखों में आँसू, और मेलरूम वाले खुद शर्मिंदा – सोचिए, क्या गुज़री होगी!

एक टिप्पणीकार ने लिखा, "जब किसी को ऑफिस से निकालते समय लोग ताली बजाएँ, तो समझो कितना गुस्सा भरा था!" और सच में, जब एक साल के अंदर HR मैडम को निकाला गया, तो वही हुआ – सबके सामने बिना नोटिस, बिना रेफरेंस, सीधे कार तक भेज दिया गया। और कर्मचारी? ताली बजा-बजा कर खुशी मनाने लगे! "जैसे कोई राजनीति में बुरा नेता हटे तो सब जश्न मनाते हैं," किसी ने कहा।

बदले की बयार: जैसी करनी, वैसी भरनी

यह कहानी सिर्फ HR की सख्ती की नहीं, बल्कि ऑफिस की संस्कृति की भी है। एक और Reddit यूज़र ने अपनी कंपनी का अनुभव साझा किया – जहाँ HR हमेशा कर्मचारियों का ध्यान रखती थीं, त्योहारों पर तोहफे, मदद, बीमारी में छुट्टी, सब कुछ दिल से। लेकिन जब नई मैनेजमेंट आई और ये सब बंद किया, तो कंपनी की उत्पादकता गिर गई, माहौल खराब हो गया। आखिरकार, जिसने सब बिगाड़ा, उसी को विदाई देनी पड़ी, और पुराने रिवाज़ वापस आ गए।

एक और टिप्पणी में किसी ने कहा, "हमारे यहाँ तो HR का काम सहारा देना है, न कि 'पुलिस' बनकर डराना।" और यही बात इस कहानी की आत्मा है। जो लोग HR को सिर्फ पावर का जरिया समझते हैं, वो भूल जाते हैं कि असली इज़्ज़त दिल जीतने से मिलती है, डराने से नहीं।

एक मजेदार कमेंट में लिखा था, "एक बार एक HR ने 'पिंक स्लिप' की जगह 'ब्लू स्लिप' शुरू करवाई, क्योंकि गुलाबी रंग से लोग डर जाते थे। और सबसे पहले उसी HR को ब्लू स्लिप मिली!" ये भी याद दिलाता है कि दिखावे का पाखंड ज़्यादा दिन नहीं चलता।

सीख: ऑफिस भी परिवार है, डर का किला नहीं

हमारे देश में भी ऑफिस ज़्यादातर लोगों के लिए दूसरा घर जैसा है। छोटे-छोटे जश्न, आपसी सहयोग, त्योहारों पर मिठाई बांटना – ये सब मिलकर माहौल को खुशनुमा बनाते हैं। अगर कोई अधिकारी सिर्फ़ डर और नियमों से सबको दबाने लगे, तो एक दिन वही लोग उसकी विदाई पर ताली बजाते हैं। Reddit की इस कहानी ने यही दिखा दिया – चाहे अमेरिका हो या इंडिया, इंसानियत हर जगह सबसे ऊपर है।

अंत में, चलिए आप बताइए – क्या आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा 'खडूस' अधिकारी आया था? या कोई दिल जीतने वाला HR? अपने अनुभव नीचे कमेंट में बाँटिए, और अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर कीजिए।

धन्यवाद, और याद रखिए – "जैसी करनी, वैसी भरनी!"


मूल रेडिट पोस्ट: Mean HR lady’s comeuppance