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जब कंटेंट फिल्टर ने धोखा दिया: ऑफिस की एक मजेदार टेक्निकल कहानी

घर से काम करते हुए सामग्री फ़िल्टर तैनाती में संघर्ष कर रही आईटी टीम का कार्टून-3डी चित्रण।
यह जीवंत कार्टून-3डी चित्रण महामारी के दौरान दूरस्थ रूप से सामग्री फ़िल्टर तैनात करते समय आईटी टीमों के सामने आई चुनौतियों को दर्शाता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके ऑफिस का इंटरनेट कितना सुरक्षित है? या फिर, कभी गलती से ऐसे वेबसाइट खुल गई हो कि आपको अपना ब्राउज़र इतिहास तुरंत साफ करना पड़े? आज हम आपको एक ऐसी टेक्निकल कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसमें कंटेंट फिल्टर ने सबको चौंका दिया और ऑफिस में सबकी हँसी छूट गई।

कोविड के बाद जब सब घर से काम करने लगे, तो आईटी टीम की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी। अब सिर्फ ऑफिस का फायरवॉल नहीं, बल्कि हर लैपटॉप पर अलग-अलग कंटेंट फिल्टर लगाने थे। सबको लगा कि काम हो गया... पर असली कहानी तो बाद में शुरू हुई।

गलती से खुल गया गलत वेबसाइट!

कई हफ्ते बाद एक सहकर्मी ने मुझे मैसेज किया, "भाई, वेबसाइट पर कोई दिक्कत है।" वैसे तो मैं वेब टीम में नहीं था, लेकिन वो हमेशा अच्छे और इज्जतदार टिकट भेजता था, तो मैंने तय किया कि मदद करूँगा। हम दोनों स्क्रीन शेयरिंग पर आ गए और वेब टीम के लिए शिकायत तैयार करने लगे।

तभी उसने कहा, "ये फीचर तो product.com पर है," और सीधा product.com खोल दिया। लेकिन जैसे ही वेबसाइट खुली, वहाँ 'product' के नाम पर कुछ और ही चल रहा था – वो दृश्य देखकर हम दोनों के चेहरे लाल! तुरंत टैब बंद, और मैंने उसे ब्राउज़र हिस्ट्री साफ करने की ट्रिक भी सिखा दी। असल में, प्रोडक्ट की सही वेबसाइट थी companyproduct.com – एक छोटी सी गलती और इतनी बड़ी गड़बड़!

कंटेंट फिल्टर की पोल खुली

टिकट तो बन गया, लेकिन अब दिमाग में शक बैठ गया। मैंने तुरंत डिवाइस का कंटेंट फिल्टर चेक किया, तो पता चला कि हमने तो सिर्फ एक्सेप्शन ही एक्सेप्शन डाल रखे थे, लेकिन ब्लॉक करने के लिए कोई कैटेगरी चुनी ही नहीं थी। मतलब, एक्सेप्शन किस बात के? ये तो ऐसे हुआ जैसे दरवाजे पर ताला लगाकर चाबी उसी में छोड़ दो!

मैंने जब सहकर्मी को इसका स्क्रीनशॉट भेजा, तो उसने चुटकी ली, "अगर मुझे पहले पता होता तो मैं ऑफिस के कंप्यूटर से क्या-क्या नहीं देख लेता!"

कम्युनिटी की और भी मजेदार कहानियाँ

इस पोस्ट पर तो Reddit की पूरी टेक्निकल बिरादरी जाग उठी। एक यूज़र ने लिखा, "हमने तो एक दिन दफ्तर में मेल फिल्टर टेस्ट करने के नाम पर एक-दूसरे को गालियाँ भेजी थीं, सबका मन हल्का हो गया!" किसी और ने बताया कि उनके कंटेंट फिल्टर ने 'specialist' शब्द को ब्लॉक कर दिया क्योंकि उसमें 'cialis' छिपा था – अंग्रेजी की माया बड़ी विचित्र!

एक सज्जन ने बताया, "हमारे स्कूल में सबसे ज्यादा हिट hotmale dot com पर आती थी।" अब सोचिए, एक छोटी स्पेलिंग मिसटेक और कहानी का रुख ही बदल गया।

किसी ने तो अपने बचपन की यादें ताज़ा कीं, "पहली बार कंप्यूटर लैब में गए और टीचर ने .org की जगह .com खोलने को कह दिया – बस फिर क्या, पूरी क्लास में अफरा-तफरी मच गई!"

एक और कमेंट ने तो जैसे हर आईटी बंदे का दर्द बयां कर दिया: "नेटवर्क एडमिन्स का हल – 83% इंटरनेट को ब्लॉक कर दो, ताकि किसी को भी कुछ न मिले!"

भारतीय दफ्तरों में ऐसे हादसे क्यों आम हैं?

हमारे यहाँ अक्सर आईटी डिपार्टमेंट को बस जल्दी-जल्दी काम निपटाने की आदत होती है। कोई ठीक से चेक नहीं करता कि फिल्टर असल में चल भी रहे हैं या नहीं। ऊपर से, ज्यादातर लोग टेक्नोलॉजी को सिर्फ 'समस्या' मानते हैं, 'सॉल्यूशन' नहीं।

कई बार ऐसे हादसे हँसी का कारण बन जाते हैं, लेकिन कभी-कभी बड़ी मुसीबत भी आ सकती है। जैसे, अगर किसी स्कूल में बच्चे गलत साइट पर पहुँच जाएँ या ऑफिस में गोपनीय डेटा किसी गलत वेबसाइट से लीक हो जाए – तब क्या होगा?

सीख – फिल्टर सिर्फ हवा के नहीं, इंटरनेट के भी चेक करो!

जैसे हम अपने घर की एसी या कार के फिल्टर बदलते हैं, वैसे ही कंप्यूटर के कंटेंट फिल्टर भी समय-समय पर चेक करना चाहिए। हर बार भरोसा मत करो कि सिस्टम खुद-ब-खुद सब संभाल लेगा।

और हाँ, अगली बार जब कोई वेबसाइट खोलो, तो एड्रेस बार को ध्यान से देखना – कहीं product.com की जगह कुछ और न खुल जाए!

निष्कर्ष: आपकी कोई मजेदार टेक्निकल गलती?

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कुछ हुआ है? या ऑफिस में किसी ने टेक्नोलॉजी की वजह से गड़बड़ कर दी हो? कमेंट में जरूर बताइए, कौन जाने आपकी कहानी अगली बार हमारे ब्लॉग में छप जाए!

इंटरनेट की दुनिया में सावधानी ही सबसे बड़ा फिल्टर है – याद रखिएगा!


मूल रेडिट पोस्ट: How I found out we hadn't finished deploying the content filter