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जब 'कचरे' पर मचा बवाल: एक कलाकार, एक करेन और एक अकेला स्केट

थ्रिफ्ट शॉप के बाहर डंपस्टर डाइविंग का दृश्य, कलात्मक परियोजनाओं के लिए पुनः प्राप्त सामग्री प्रदर्शित करता है।
इस सिनेमाई झलक में, थ्रिफ्ट शॉप के बाहर छिपे खजानों की खोज करते हुए डंपस्टर डाइविंग की कला का अनुभव करें। एक उत्साही कलाकार के रूप में, मैं पुनः प्राप्त सामग्री को अनोखी रचनाओं में बदलता हूँ, और साथ ही पर्यावरण को साफ रखने का ध्यान रखता हूँ। इस रचनात्मकता और स्थिरता की यात्रा में मेरे साथ चलें!

कहते हैं, “एक का कचरा, दूसरे का खज़ाना!” हमारी गलियों में तो अक्सर कबाड़ीवाले, रद्दी वाले और जुगाड़ू कलाकार ऐसे ही खजाने की तलाश में रहते हैं। लेकिन सोचिए, अगर कोई आपको कचरे से भी रोकने लगे, वो भी बिना बात के, तो? आज की कहानी है एक ऐसे कलाकार की, जो अपने जुगाड़ से कला बनाता है, लेकिन एक ‘करेन’ (मतलब वो महिला जो हर चीज़ में टांग अड़ाती है) ने उसकी नाक में दम कर दिया।

‘कचरे’ का जुगाड़: एक कलाकार की नज़र से

हमारे देश में भी बहुत लोग कबाड़ से कमाल की चीज़ें बना लेते हैं—पुराने टायर से झूला, बोतलों से लाइट्स, या फटे हुए कपड़ों से बैग। Reddit के इस किस्से में, कलाकार भी कुछ ऐसा ही कर रहा था: पुराने कचरे, कबाड़ और फेंकी गई चीज़ों को एकठ्ठा कर उनसे कला रचता है। और, मज़े की बात ये कि वह जब भी किसी जगह जाता है, वहां की सफाई कर जाता है—यानि “स्वच्छता ही सेवा” वाला काम!

अब ये कलाकार अमरीका के एक थ्रिफ्ट शॉप (यानि सस्ती पुरानी चीज़ें मिलने वाली दुकान) के बाहर खुले कूड़ेदान में सामान देख रहा था, तभी दुकान के तीन कर्मचारी आए, हंसी-मज़ाक किया और मदद भी की—एक ने तो बाकायदा डिब्बा दिया सामान रखने के लिए! सोचिए, कितना सहयोगी माहौल था।

करेन का ‘कचरा प्रेम’ और झगड़ा

लेकिन हर कहानी में एक खलनायक तो होता ही है! जैसे हमारे यहां मोहल्ले की कोई बुआ या आंटी हर बात पर टोका-टाकी करती हैं, वैसे ही वहां ‘करेन’ नाम की महिला आई और बोली—“तुम कूड़े में सामान नहीं डाल सकते!” कलाकार ने शांति से बताया, “मैं तो डाल नहीं रहा, उल्टा उठा रहा हूं।”

लेकिन करेन तो ठहरी करेन! उसने देखा कि कलाकार के पास एक स्केट (जैसे हमारे यहां एक जूता या चप्पल मिलती है जो जोड़ी में नहीं होती) पड़ा है। बस, आरोप लगा दिया—“ये तो हमारे बेचने वाले स्केट हैं, चोरी कर रहे हो!” कलाकार ने समझाया कि ये स्केट तो पड़ोस के किसी और कूड़ेदान से लाया हूं, मेरा सारा सामान इधर-उधर के कचरे से है। लेकिन जनाब, करेन को मानना कहां था! उसने दुकान की ‘प्राइवेट प्रॉपर्टी’ का हवाला दिया, जबकि कूड़ेदान असल में सार्वजनिक जगह पर था।

करेन गुस्से में वापस दुकान में चली गई, और कलाकार ने फिर वही किया जो वो हमेशा करता है—जगह को साफ-सुथरा छोड़ दिया। मगर जाते-जाते उसने वो अकेला स्केट कूड़ेदान के ठीक सामने ऐसे रखा जैसे कोई कलाकृति हो! वाह, क्या ‘पेटी रिवेंज’ थी—छोटी सी, मगर तगड़ी चुटकी!

Reddit की जनता का रिएक्शन: ठहाके, तंज और अपने-अपने अनुभव

इस किस्से पर Reddit की जनता के मज़ेदार कमेंट्स भी कम नहीं थे। एक यूज़र ने तो फिल्मी अंदाज़ में कहा—“करेन को तो बस जलन है, जाओ स्केटर बॉय बनो!” (यानि, ‘ये लड़की है दीवानी, है दीवानी…’ वाला मूड)। खुद कलाकार ने बताया कि वो अपने लंबे स्केटबोर्ड पर ये जुगाड़ू सामान लेकर जा रहा था—सोचिए, गली-गली घूमते हमारे कबाड़ीभैया की तरह, बस फर्क इतना कि यहां स्केटबोर्ड पर सवारी हो रही थी!

एक और कमेंट था, “क्या कूड़ेदान चलाने के लिए लाइसेंस चाहिए?”—यानि, मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा गया कि जैसे गाड़ी चलाने के लिए लाइसेंस चाहिए, वैसे कूड़े में झांकने के लिए भी परमिट चाहिए क्या!

किसी ने कलाकार की सफाई की तारीफ की—“अच्छा किया, जगह साफ छोड़ना चाहिए, वरना दुकानदार परेशान हो जाते हैं।” ये बात हमारे यहां भी कितनी सच है—कई बार लोग अच्छे मकसद से भी आते हैं, लेकिन गंदगी छोड़ जाते हैं, फिर दुकानवालों की मुसीबत बढ़ जाती है। खुद कलाकार ने भी माना कि “मैं हमेशा सफाई का ध्यान रखता हूं, ताकि दूसरों को दिक्कत न हो।”

कचरे की ‘मालिकियत’ और समाज का नजरिया

इस किस्से से एक और दिलचस्प बात सामने आई—कचरे की असली मालिकियत किसकी? एक यूज़र ने लिखा, “जब तक कूड़े में फेंक दिया, वो किसी का नहीं रहा—पुलिस भी तो सबूत ढूंढने के लिए कचरा देखती है!” दूसरी ओर, कुछ ने कहा कि चाहे कूड़ेदान सड़क पर हो, मगर दुकान की ज़मीन निजी है, और मालिक को अधिकार है रोकने का। लेकिन फिर भी, जो लोग दूसरों के लिए ‘कचरा’ छोड़ देते हैं, असल में वही असली कचरा हैं! (क्या गजब लाइन है ना?)

निष्कर्ष: जुगाड़, जिद और जलेबी जैसी जिंदगी

इस कहानी में कलाकार की जुगाड़, करेन की जिद और Reddit की जनता के ठहाके—तीनों का तड़का है। कचरे से कला बनाना भी एक हुनर है, और हर जगह हमारे समाज में ऐसे लोग हैं जो पुराने में नया ढूंढ लेते हैं। लेकिन, साथ ही ऐसे ‘करेन’ भी हैं जो बिना बात के टांग अड़ाने में ही अपना सम्मान समझते हैं।

तो अगली बार जब आप किसी कूड़ेदान के पास किसी को कुछ ढूंढते, समेटते या सजाते देखें, तो उसकी नीयत और मेहनत को समझिए। क्या पता, आपका फेंका हुआ एक स्केट, किसी कलाकार की अगली महान कलाकृति बन जाए!

आपको इस किस्से में सबसे ज्यादा मजेदार क्या लगा? आपके मोहल्ले में भी कभी ‘करेन’ टाइप कोई किस्सा हुआ हो, तो नीचे कमेंट में जरूर बताएं!


मूल रेडिट पोस्ट: That's not even your trash, Karen