जब ऑफिस वाली कॉफी बनी बीफ ग्रेवी: छोटी सी बदला कहानी, बड़ा मज़ा!
क्या कभी आपने ऑफिस में किसी ऐसे इंसान के साथ काम किया है, जिसे देखते ही सिर दुखने लगता हो? वो जो हर बात में टांग अड़ाए, हर काम में कमियां निकाले, और ऊपर से मीठा बोलकर चुटकी भी ले ले? आज ऐसी ही एक कहानी है, जिसमें एक परेशान सहकर्मी ने अपने 'खास' साथी को कॉफी की जगह बीफ ग्रेवी पिलाकर बड़ा ही मज़ेदार बदला लिया। दोस्ती-यारी और खट्टी-मीठी तकरार से भरे भारतीय ऑफिसों में ऐसी घटनाएँ कम नहीं होतीं, लेकिन यह कहानी तो कुछ अलग ही है!
सोचिए, लंबे-लंबे 13 घंटे की शिफ्ट, ऊपर से वही घिसी-पिटी कॉफी का सहारा और बीच में कोई ऐसा जो हर घूँट में कड़वाहट घोल दे – ऐसे माहौल में छोटी-छोटी खुशियाँ भी बड़ी लगती हैं। आइए जानते हैं, किस तरह एक आम-सी ऑफिस दुश्मनी ने 'कड़वी' कॉफी को 'मज़ेदार' बना दिया!
जब कॉफी का स्वाद बदल गया: बदले की अनोखी तरकीब
इस कहानी के नायक Reddit यूज़र u/mob_dob हैं, जो अपने एक तुनकमिज़ाज और तानों से भरे सहकर्मी से परेशान हो चुके थे। हर रोज़, वही लोग, वही काम, वही कॉफी... पर ये सहकर्मी कुछ अलग ही मसालेदार थे – हर किसी को ताने मारना, हर काम में नुक्ताचीनी, और ऐसा व्यवहार जैसे ऑफिस उनका ही हो।
यहाँ भारतीय दफ्तरों का वह माहौल याद आ जाता है, जहाँ चाय-कॉफी के प्याले के साथ हर कोई अपने-अपने गिले-शिकवे शेयर करता है। लेकिन यहाँ तो हाल कुछ और था – हर कोई उस एक इंसान से चिढ़ चुका था। Reddit पर एक कमेंट में किसी ने लिखा – "ऐसे लोग हर ऑफिस में मिल जाते हैं, जिनका काम ही दूसरों का मूड खराब करना होता है!"
'कड़वा बदला' – कॉफी के बहाने
अब आते हैं असली मसले पर। u/mob_dob ने जब नौकरी छोड़ने का मन बना लिया, तो सोचा – जाते-जाते थोड़ा मीठा (या कहें, नमकीन!) बदला तो बनता है! ऑफिस में सबका एकमात्र सहारा – कॉफी। और उस खास सहकर्मी की पसंद – Barista स्टाइल Nescafe Azera पाउडर।
अब यहाँ उन्होंने चालाकी दिखाई। अपने आखिरी दिन, वो अपने साथ लाए Bisto Best बीफ ग्रेवी का डिब्बा – जो दिखने में और टेक्सचर में काफी हद तक कॉफी जैसी ही है। आधा कॉफी पाउडर निकालकर, उसमें ग्रेवी पाउडर मिला दिया और अच्छे से हिला दिया। खास बात – ये डिब्बा सिर्फ उसी सहकर्मी का था, कोई और उसका इस्तेमाल नहीं करता था (जैसा कि OP ने एक कमेंट में साफ किया)।
अब सोचिए, जब अगली सुबह वो सहकर्मी अपनी पसंदीदा कॉफी बनाकर पीने लगे, तो कैसा चौंक गए होंगे! एक Reddit कमेंट के मुताबिक – "स्टाफ रूम से एक ज़ोरदार आवाज़ आई – 'अरे बाप रे, ये तो ग्रेवी है!'"
भारतीय नजरिए से – ये तो 'बदला' नहीं, 'सुकून' है!
हमारे यहाँ तो कहावत है – 'जैसा करोगे, वैसा भरोगे!' कभी-कभी छोटी-छोटी शरारतें भी दिल को बड़ी राहत देती हैं, खासकर जब सामने वाला हमेशा तंग करता हो। Reddit कमेंट्स में भी लोगों ने खूब मज़े लिए। एक यूज़र ने चुटकी ली – "अरे, हमारे यहाँ तो अगर कोई तेज़ बदला लेना हो तो कॉफी में नमक डाल दो, पर ये ग्रेवी तो कमाल है!"
एक और कमेंट में लिखा – "सच्चा बदला तो तब होता जब डिब्बे में डिकैफ (बिना कैफीन वाली कॉफी) भर देते, तब असली आफत आती!"
तो वहीं किसी ने तो Fiber One ब्राउनी का किस्सा सुनाया – "बेटा, जब मेरे बेटे ने मेरी ब्राउनी चट कर डाली, तो अगले कुछ घंटे वो बस बाथरूम के चक्कर काटता रहा!"
इन सब कमेंट्स ने इस घटना को और भी मज़ेदार बना दिया।
ऑफ़िस की तकरार और छोटी-छोटी खुशियाँ
ऐसे छोटे-मोटे झगड़े हर ऑफिस में होते हैं। कभी कोई सहकर्मी आपकी कुर्सी छीन ले, कभी कोई आपकी टिफिन पर नजर गड़ा दे, या कभी चाय बनाने की बारी आने पर गायब हो जाए – हर जगह अपने-अपने किस्से हैं। लेकिन इस कहानी ने ये साबित कर दिया कि कभी-कभी हल्की-फुल्की शरारतें भी ऑफिस लाइफ को रंगीन बना देती हैं।
Reddit के एक कमेंट में किसी ने लिखा – "ऐसी जीत भले ही बड़ी ना लगे, पर दिल को जो तसल्ली मिलती है, वो सालों याद रहती है!" और यही तो जिंदगी है – छोटी-छोटी खुशियों में बड़ी राहत ढूँढ लेना।
क्या आपने कभी ऐसा किया?
तो दोस्तों, आपके ऑफिस में भी कोई 'मसालेदार' सहकर्मी है? या कभी आपने भी ऐसा कोई छोटा बदला लिया है? कमेंट में ज़रूर बताइए। आखिरकार, ऑफिस में सबसे बड़ी पूंजी – यादें और हंसी ही तो होती है!
जाते-जाते बस यही कहूंगा – अगली बार जब आप कॉफी पीएँ, ज़रा सूँघ लीजिए... कहीं उसमें 'सुप' की खुशबू तो नहीं!
मूल रेडिट पोस्ट: I hope you enjoy your 'coffee'