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जब ऑफिस में नाम की ‘छोटी’ गलती बन गई सबसे बड़ी बदला कहानी!

एक निराश पेशेवर 3D कार्टून छवि में सहकर्मी के गलत लिखे नाम को ईमेल में सुधारते हुए।
इस मजेदार 3D कार्टून छवि में, हमारा नायक गलत लिखे नामों वाले ईमेल्स की रोज़मर्रा की चुनौती का सामना कर रहा है, जो कार्यस्थल की संचार की हास्यपूर्ण पक्ष को उजागर करता है।

ऑफिस में अगर आप काम करते हैं, तो ये बात तो पक्की है कि आपको रोज़ दर्जनों ईमेल भेजने-पढ़ने पड़ते होंगे। और अगर नाम थोड़ा भी अलग या अनोखा हो, तो लोग उसे गलत लिखने में देर नहीं लगाते। सोचिए, आपके सामने आपकी पहचान को ही बार-बार बिगाड़ दिया जाए, तो कैसा लगेगा? एक सज्जन ने इसी बात से परेशान होकर, नाम गलत लिखने वालों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने की ठान ली।

ये किस्सा है Reddit के r/PettyRevenge सबरेडिट का, जहां एक कॉरपोरेट कर्मचारी (u/Col_Atreides) ने अपना अनुभव साझा किया। उनका नाम Shaun और Sean जैसा कुछ है - मतलब बोलने में आसान, पर लिखने में थोड़ा अलग, जैसा हमारे यहां शशांक के जगह शशांक, या निखिल के जगह निकिल लिख देना। अब हाल यह था कि ऑफिस के साथी, ईमेल भेजते वक्त नाम सही टाइप करके खोजते तो हैं, पर संबोधन में नाम का सत्यानाश कर देते हैं।

नाम में क्या रखा है? भारतीय दफ्तरों में नाम की दुर्गति

हमारे यहां भी कुछ अलग नहीं है। कल्पना कीजिए, अगर आपके नाम का स्पेलिंग हर बार मेल में बिगाड़ दिया जाए – जैसे नरेंद्र को नरेंदर, रश्मि को रशमी, या अमिताभ को अमिताब। कई बार तो लोग अपने बॉस का नाम भी गलत लिख देते हैं, परंतु MD साहब का नाम कभी नहीं भूलते, क्यों? क्योंकि, जहां मतलब की बात हो, वहां गलती नहीं चलती! Reddit के एक कमेंटकर्ता ने भी यही बात कही – अगर कोई बार-बार नाम गलत लिखता है, तो समझ लीजिए, आपके प्रति उसकी दिलचस्पी कम है।

एक और सदस्य ने साझा किया, “नाम गलत लिखने पर जब तक आप उनका नाम गलत नहीं लिखेंगे, उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता।” यह तरीका भारतीय दफ्तरों के लिए भी पर्फेक्ट है – सामने वाले को उसकी गलती का स्वाद उसी की थाली में परोस दो।

छोटी-सी बदला नीति: नाम से नाम की लड़ाई

हमारे नायक ने भी यही किया। अब जब कोई Austin था, तो उसे Austen बना दिया, Don को Dan और इसी तरह। “जैसे को तैसा” – यही फार्मूला लगा दिया। चुटकी लेते हुए एक कमेंट में कहा गया, “छोटी सी हरकत है, पर बड़ा असर करती है!” असल में, जब तक बात उनकी खुद की पहचान पर ना आए, लोगों को फर्क ही नहीं पड़ता। Reddit पर एक मज़ेदार किस्सा सामने आया – एक महिला का नाम बार-बार गलत लिखा जाता था, आखिरकार उसने भी सामने वाले का नाम जानबूझकर बिगाड़ना शुरू कर दिया। नतीजा? अगले ही मेल में सबकुछ दुरुस्त!

कई कर्मचारियों ने बताया कि जब तक वह सामने वाले का नाम बिगाड़कर नहीं लिखते, तब तक गलती दोहराई जाती है। एक यूज़र ने तो यहां तक लिखा – "मेरे नाम में i नहीं है, पर सामने वाला बार-बार डाल देता था। मैंने भी उसके नाम में हर बार एक extra अक्षर जोड़ना शुरू कर दिया।" आखिर में सामने वाले ने हार मान ली और नाम सही लिखने लगा।

नाम की इज्जत: पहचान और सम्मान का सवाल

हमारे देश में नाम सिर्फ पहचान नहीं, संस्कार और सम्मान का भी प्रतीक है। बचपन से ही सिखाया जाता है – "बड़ों के नाम का मान रखो।" ऐसे में कोई बार-बार आपका नाम बिगाड़े, तो गुस्सा आना लाज़िमी है। एक कमेंट में किसी ने लिखा, “मेरे नाम में अलग टोन है, लेकिन लोग मनमर्जी से उच्चारण कर लेते हैं। मैंने भी ठान लिया, जब तक सही नहीं बोलोगे, जवाब नहीं दूंगी।” क्या आपने कभी किसी सरकारी दफ्तर में नाम की स्पेलिंग के कारण फाइल लटकते देखी है? अपना नाम सुधरवाने के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं।

एक और यूज़र ने तो हद ही कर दी - जब कोई बार-बार उसका उपनाम (surname) ही फर्स्ट नेम की तरह इस्तेमाल करता रहा, तो उसने भी उसके उपनाम से ही संबोधित करना शुरू कर दिया। आखिरकार, सामने वाला खुद ही शर्मिंदा हो गया।

ऑफिस की राजनीति में ‘नाम’ का खेल

यह पूरी कहानी कहीं न कहीं ऑफिस की उस छोटी-सी राजनीति को भी उजागर करती है, जिसे हम आमतौर पर नजरअंदाज कर देते हैं। नाम गलत लिखना सिर्फ एक छोटी गलती नहीं, बल्कि सामने वाले को हल्के में लेने का संकेत भी हो सकता है। कई बार तो यह जानबूझकर भी किया जाता है – जैसे मजाक उड़ाने के लिए, या अपनी अहमियत जताने के लिए।

एक कमेंट में लिखा गया, “ऑफिस में आपका नाम आपकी पहचान, आपकी साख है। अगर कोई बार-बार उसमें गलती करता है, तो आपको भी हक है कि आप उस गलती का जवाब उसी अंदाज़ में दें।” इसी वजह से Reddit पर यह किस्सा हजारों लोगों को पसंद आया। किसी ने लिखा, “नाम की गलती पर जब जवाब में गलती मिले, तब जाकर उसकी अहमियत समझ में आती है।”

निष्कर्ष: आपकी पहचान, आपका अधिकार

तो मित्रों, अगली बार जब कोई आपका नाम गलत लिखे, तो इसे हल्के में मत लीजिए। चाहे दफ्तर हो या दोस्ती, नाम का सम्मान सबसे जरूरी है। कभी-कभी छोटी-सी पिटाई – यानी वही ‘पेटी रिवेंज’ – बड़े सबक सिखा जाती है। और हां, जरूरत पड़े तो आप भी ‘जैसे को तैसा’ आजमा सकते हैं, मगर हमेशा विनम्रता और हास्यभाव बनाए रखें। आखिर में, नाम वही सही, जो सम्मान से लिया जाए!

आपका क्या अनुभव है? क्या कभी आपके नाम के साथ भी ऐसा हुआ है? कमेंट में जरूर बताइए, और अपने मित्रों के साथ यह मज़ेदार कहानी साझा कीजिए!


मूल रेडिट पोस्ट: I keep misspelling coworkers names