जब ऑफिस में आया 'केविन': एक अनोखे सहकर्मी की हास्यास्पद गाथा
ऑफिस की दुनिया में हर तरह के लोग मिलते हैं – कोई मेहनती, कोई चालाक, कोई आलसी, तो कोई ऐसा कि बस भगवान ही मालिक! आज की कहानी है ऐसे ही एक 'केविन' की, जिसने अपने अलग ही अंदाज से पूरे ऑफिस का सिर दर्द बढ़ा दिया। अगर आपको लगता है कि आपके ऑफिस में सबसे ज्यादा सिर घूमाने वाला इंसान है, तो जनाब, केविन की कहानी पढ़ लीजिए – शायद आपके ख्याल बदल जाएं!
केविन: ऑफिस का 'खास' सदस्य
अब आप सोच रहे होंगे, केविन कौन है? जैसे हमारे यहां ऑफिस में 'शर्मा जी का लड़का' होता है, वैसे ही वेस्टर्न ऑफिस कल्चर में 'केविन' एक टर्म बन चुका है – ऐसे बंदे के लिए जो बेवजह गड़बड़ करता है, बार-बार समझाने के बावजूद नहीं समझता, और हर बार कोई नई मुसीबत खड़ी कर देता है।
केविन का इंटरव्यू भी गजब का था। जब उससे पूछा गया कि "भाई, औजार रिपेयर करने का तजुर्बा है?" तो उसने बड़े इत्मीनान से कहा – "अरे, कुछ नहीं है, सब तो लेगो जैसा है!" ज़रा सोचिए, जैसे कोई बच्चा बोले – "मुझे मुँह दिखाई में दही-चूड़ा पसंद है, बाकी सब बाद में!" लेकिन बॉस ने सोचा, चलो स्पेयर पार्ट्स सेक्शन में लगा देते हैं, सीख जाएगा।
चिपकने का नाम नहीं लेती गलतियां
स्पेयर पार्ट्स सेक्शन में हर चीज़ की एक सही जगह होती है – जैसे घर की चाभी हमेशा एक ही की-हुक पर टांगना चाहिए, वरना ढूंढते रह जाओ। सिस्टम था – सामान स्कैन करो, बॉक्स में डालो, स्टिकर लगाओ, सही जगह रखो और सबका रिकॉर्ड रखो। लेकिन केविन साहब, पांच बार पूरी ट्रेनिंग देने के बाद भी, हर बार कुछ नया ही कारनामा करते।
एक बार उसे मोटर का सामान दिया, और समझाया – "बॉक्स में डालना है, स्टिकर लगाना है, जगह स्कैन करनी है।" केविन बड़े कॉन्फिडेंस से बोला – "हाँ, हाँ, सब पता है!" लेकिन जब सिस्टम में चेक किया गया, तो मोटर का कोई अता-पता नहीं। जब ढूंढने निकले, तो पता चला – ना स्टिकर, ना बॉक्स, सीधा प्लास्टिक की थैली में, ऐसे ही शेल्फ पर पटक आया!
ऑफिस के एक कमेंटेटर ने कमाल की बात कही – "कभी-कभी तो लगता है, ऐसे लोग सुबह खुद अपने कपड़े कैसे पहन लेते हैं!" बिल्कुल सही कहे जनाब, केविन जैसे लोगों को देखकर यही लगता है।
मोटर, बॉक्स और बॉस: आफत की तिकड़ी
बॉस और मैनेजर ने केविन के लिए प्रोसेस इतना आसान कर दिया – स्टिकर खुद प्रिंट कर दिया, बॉक्स बना-बनाया दे दिया, बस उसे रखना और जगह स्कैन करनी थी। फिर भी, जब ऑफिस खाली था और एकमात्र केविन को मोटर रखने की जिम्मेदारी मिली, उसने वही पुराना खेल खेला। मोटर को बिना टेप किए, ऊपरी शेल्फ पर पटक आया।
दो दिन बाद, बॉस खुद मोटर ढूंढ़ने निकले। जैसे ही बॉक्स उठाया, मोटर का वजन देखकर बॉक्स फट गया और बॉस के माथे पर कट लग गया। अब सोचिए, बॉस की हालत देखकर सबके चेहरों पर हवाइयां उड़ गईं – और केविन? बड़े मजे से कैंटीन की ओर बढ़ता चला गया।
जब गलती मानना भी भारी पड़ जाए
मैनेजर ने केविन को बुलाया, समझाया – "भैया, जरा फर्स्ट एड रूम में जाकर बॉस से माफी मांग आओ, कम से कम इंसानियत के नाते!" लेकिन केविन का जवाब – "हाहा, मजाक कर रहे हो? कोई जरूरत नहीं!" और मस्त होकर खाने चला गया। अब आप ही बताइए, ऐसे बंदे का क्या इलाज?
ऑफिस के एक और कमेंटेटर ने तो यहां तक कह डाला – "भाई, इंटरव्यू के लेगो वाले जवाब पर ही उसे बाहर कर देना था!" सच कहें तो, ऐसे लोगों को देखकर अक्सर लगता है कि भगवान भी कभी-कभी ज्यादा क्रिएटिव हो जाते हैं।
ऑफिस संस्कृति और 'केविन' जैसे लोग
हमारे यहां भी कई दफ्तरों में ऐसे लोग मिल जाते हैं – जो किसी सिफारिश से घुस जाते हैं, न काम आता है, न सीखने की लगन। ऊपर से गलती भी न मानें! लेकिन एक बात जरूर है – ऐसे लोगों की कहानियां ऑफिस में सालों तक हंसी-मजाक का विषय बनी रहती हैं।
केविन की कहानी से एक सबक तो जरूर मिलता है – काम छोटा हो या बड़ा, जिम्मेदारी और ईमानदारी सबसे जरूरी है। और हां, जब बॉक्स में मोटर रखो, तो टेप लगाना मत भूलना, वरना बॉस के माथे पर निशान और तुम्हारा रिज्यूमे दोनों तैयार हो जाएगा!
निष्कर्ष: क्या आपके ऑफिस में भी है कोई 'केविन'?
तो दोस्तों, केविन की ये गाथा यहीं खत्म होती है – लेकिन याद रखिए, हर ऑफिस में एक केविन कहीं ना कहीं छुपा बैठा है। अगर आपके ऑफिस में भी कोई ऐसा मजेदार किरदार है, तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। चलिए, मिलकर ऑफिस की इन छोटी-बड़ी कहानियों में थोड़ी और मिठास घोलते हैं!
आपको केविन की कहानी कैसी लगी? अपने अनुभव और राय हमारे साथ साझा करें – कौन जानता, अगली कहानी आपकी हो!
मूल रेडिट पोस्ट: A former work Kevin part 3