जब ऑफिस में आई पुलिस: आईटी वाले की सुबह की एक थ्रिलर कहानी
सोचिए, आप अपने ऑफिस में बड़े ही आराम से चाय की चुस्की ले रहे हैं, दिन की शुरुआत करने ही वाले हैं, और तभी अचानक आपकी टेबल पर आकर कोई कहता है – “भाई, ज़रा मेरा अकाउंट अनलॉक कर दो, सैल्फ-सर्विस पोर्टल काम नहीं कर रहा।” आपको शायद लगे, रोज़ का मामला है, कोई पासवर्ड भूल गया होगा। लेकिन जब कहानी में पुलिस, डेटा चोरी और ऑफिस की राजनीति जुड़ जाए – तब?
आज की कहानी है एक ऐसे आईटी कर्मचारी की, जिसकी सुबह एक आम टिकट से शुरू होकर, पुलिस की छापेमारी, ऑफिस के गुप्त कमरों और डेटा सुरक्षा जैसे मसलों में उलझ गई। तो, चलिए जानते हैं कि कैसे एक छोटा सा लॉग चेक करना, पूरे ऑफिस की फिजा बदल सकता है!
आईटी वाले की आम सुबह और एक अजीब अनुरोध
हमारे नायक (आईटी डेस्क पर तैनात), एक मेडिकल कंपनी में काम करते हैं – वो भी ऐसी कंपनी जो मरीजों का डेटा, उनकी दवाइयाँ, और हॉस्पिटल स्टाफ की जानकारी संभालती है। ऐसे ऑफिसों में डेटा की सुरक्षा भगवान की पूजा जितनी सख्त होती है!
सुबह-सुबह, User1 के मैनेजर का फोन आता है – “User1 की एक्सेस ब्लॉक कर दो और उनकी छुट्टी के दौरान उन्होंने क्या-क्या देखा, उसका लॉग चाहिए।”
आईटी वाले भाई साहब को ये काम कुछ नया नहीं। तुंरत User1 का अकाउंट डिसेबल किया, Entra, Intune, Teams, CRM – हर जगह से लॉग निकाले, सबको आम भाषा में समझ आने लायक रिपोर्ट बनाई और मैनेजर को दे दी।
सच्चाई की परतें खुलती हैं: जब User1 की घबराहट बढ़ी
अब, 30 मिनट भी नहीं बीते कि User1 खुद आ धमके – “मेरा अकाउंट लॉक हो गया है, खोल दो यार!”
आईटी वाला: “भाई, अपने मैनेजर से बात कर लो।”
User1 – “काम करना है, खोल दो...”
आईटी वाला अब थोड़ा सख्त होकर – “जैसा कहा, अपने मैनेजर से बात करो।”
इतना सुनते ही User1 का चेहरा सफेद पड़ गया – मानो किसी ने उनकी चोरी पकड़ ली हो!
इसी समय, मैनेजर आते हैं, User1 को मीटिंग रूम में ले जाते हैं – लैपटॉप आईटी वाले के पास छोड़ने को कहते हैं। पर्दे गिर जाते हैं, माहौल में सस्पेंस छा जाता है।
पुलिस की एंट्री और असली खेल की शुरुआत
करीब 20 मिनट बाद, दो अनजान लोग लिफ्ट से निकलकर आईटी वाले के पास आते हैं –
“भाई, आप ही आईटी वाले हैं?”
पहचान पत्र मांगने पर दोनों पुलिस अधिकारी निकलते हैं – बिना कोई हाई-विज़ जैकेट पहने, किसी बॉलीवुड थ्रिलर की तरह।
“User1 का लैपटॉप चाहिए।”
लैपटॉप सबूत के थैले में बंद होता है, पुलिस अधिकारी अपना कार्ड देकर कहते हैं – “सारे लॉग्स इस ईमेल पर भेज देना, सबकुछ चाहिए।”
आईटी वाला (मन ही मन – आज तो Law & Order वाली सीरियल का असली मज़ा आ गया!) – “सबकुछ भेज दूँगा, कुछ खास चाहिए क्या?”
पुलिस: “सबकुछ, अगर और कुछ लगेगा तो बताएंगे।”
इसके बाद दोनों ऑफिसर मीटिंग रूम में जाते हैं। बाहर से आवाज़ें आती हैं, पर असली वार्तालाप अंदर ही रह जाता है। थोड़ी देर बाद, User1 को हथकड़ी में बाहर ले जाया जाता है।
ऑफिस राजनीति, डेटा चोरी और कम्युनिटी के मज़ेदार अनुभव
इस पूरे हंगामे के बाद मैनेजर मुस्कुराते हुए आईटी वाले से कहते हैं – “धन्यवाद! हम चाहते थे कि User1 अपना लैपटॉप खुद तुम्हारे पास छोड़कर जाए, ताकि सबूत हाथ से न निकले।”
आईटी वाला भी मुस्कुरा कर – “कोई बात नहीं, वैसे अगर बाद में बताओ कि असल में क्या हुआ, तो मज़ा आ जाएगा!”
लंच ब्रेक में पता चलता है – User1 ने कंपनी की जानकारी बेचने की कोशिश की थी! लेकिन असली खरीददार कोई हैकर नहीं, बल्कि एक सिक्योरिटी कंपनी थी, जो डार्कनेट पर ऐसे सौदों पर नजर रखती है। User1 ने जो डेटा भेजा, वो CRM के ऐसे फाइल्स थे, जिन्हें कंपनी के बाहर पढ़ा ही नहीं जा सकता। और मज़े की बात, फाइल में डाउनलोड करने वाले का नाम भी दर्ज रहता है – सीधा सबूत!
समुदाय के कई सदस्य ऐसी घटनाओं से जुड़े अपने अनुभव शेयर करते हैं –
एक कमेंट में किसी ने लिखा, “मेरे ऑफिस में भी मैनेजर ने चुपचाप आकर कहा था, फेवरेट को तुरंत ERP से हटा दो!” पता चला, वह ऑफिस की चीजें खरीदकर चुपके से बेच रहा था।
दूसरे ने बताया – “मुझे एक बार सुबह-सुबह सीधे रूम में बुलाया गया, दो अजनबी और वरिष्ठ HR साथ थे। फिर मुझे अपने साथियों के अकाउंट बंद करने पड़े – वो दिन आज भी याद है।”
किसी ने तो मज़ाक में लिखा – “काश, रियल लाइफ में भी Law & Order वाला ‘डन-डन’ साउंड हर सीन में बजता!” सोचिए, पर्दे गिरते, पुलिस आती, और साउंड इफेक्ट – डन-डन!
टेक्नॉलजी की चालाकी और सुरक्षा की सीख
कई पाठकों ने कमेंट में चर्चा की कि सिक्योरिटी कंपनी CRM फाइल्स को कैसे पढ़ पाई?
OP ने बताया – उन्हें खास सॉफ्टवेयर का ‘कट-डाउन’ वर्शन मिला था, जिससे सिर्फ मेटाडेटा देखा जा सकता था, असली मरीजों का डेटा फिर भी सुरक्षित रहा।
एक अनुभवी ने समझाया – “यह कोई कमजोर एन्क्रिप्शन नहीं, बल्कि लेयर्ड सिक्योरिटी है – सिर्फ जरूरी जानकारी, जैसे किसने एक्सपोर्ट किया, कब किया, दिखती है। असली डेटा और भी ज्यादा सुरक्षित रहता है।”
निष्कर्ष: हर आईटी वाले की थ्रिलर कहानी
तो दोस्तों, ऑफिस की आईटी डेस्क पर बैठा इंसान बाहर से जितना शांत दिखता है, उसके ऑफिस लाइफ में भी कभी-कभी CID या क्राइम पेट्रोल जैसी ट्विस्टेड कहानियां चलती रहती हैं।
कभी चोरी, कभी ऑफिस की राजनीति, तो कभी पुलिस की एंट्री – आईटी वालों की जिंदगी में असली ‘ड्रामे’ की कमी नहीं!
आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा कोई सस्पेंस या थ्रिलर हुआ है? या फिर आपके आईटी डिपार्टमेंट ने किसी दिन पूरे ऑफिस का मूड बदल दिया हो? अपनी कहानी कमेंट में जरूर शेयर करें!
और हाँ, अगली बार जब भी आईटी वाले से पासवर्ड रिसेट करवाने जाएं, तो थोड़ा ध्यान रखें – क्या पता, अगले सीन में पर्दे गिर जाएं!
मूल रेडिट पोस्ट: Interesting audit log check request to start the day.