जब ऑफिस का 'PTO' बना सिरदर्द: छुट्टी लो, पर जैसे हम चाहें!
कई बार ऑफिस में ऐसी अजीबोगरीब स्थितियाँ बन जाती हैं, कि समझ ही नहीं आता – हँसा जाए या सिर पकड़ा जाए! सोचिए ज़रा, आप काम के इतने दीवाने हों कि छुट्टी लेना आपकी आदत में ही ना हो, मगर कंपनी वाले जबरदस्ती आपको छुट्टी लेने के लिए कहें। ऊपर से जब आप उनकी बात मानकर छुट्टी की अर्जी लगाओ, तो उसे ठुकरा भी दें! जी हाँ, आज की कहानी कुछ ऐसी ही ऑफिस राजनीति और छुट्टियों के खेल पर आधारित है, जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे – “भाई, ये तो अपने ऑफिस जैसा ही है!”
ऑफिस की छुट्टी: ना खुद चैन से, ना दूसरों को रहने दो!
कहानी के नायक हैं एक नाइट ऑडिटर (रात की शिफ्ट में काम करने वाले), जिनका खुद कहना है कि वो असली वर्कहोलिक हैं – मतलब, काम ही उनकी पूजा है। तीन साल से बिना किसी खास छुट्टी के लगातार ड्यूटी बजा रहे हैं। न त्योहार, न शादी-ब्याह, न पारिवारिक फ़ंक्शन – किसी चीज़ के लिए छुट्टी नहीं ली।
लेकिन एक दिन अचानक ऑफिस की मीटिंग में बॉस ने फरमान सुना दिया – “भैया, तुम्हारी PTO (Paid Time Off – यानी सैलरी के साथ मिलने वाली छुट्टी) बहुत ज़्यादा हो गई है, जल्दी से छुट्टी लो वरना एक्सपायर हो जाएगी!” अब सोचिए, जिनको छुट्टी में कोई दिलचस्पी ही नहीं, उनके लिए ये आदेश क्या मायने रखता होगा?
जब छुट्टी लेने की कोशिश की, तो मैनेजमेंट ने खेला खेल!
हमारे नायक ने भी सोच लिया – “चलो, बॉस की बात मान लेते हैं। एक हफ्ते की छुट्टी ले लेते हैं।” लेकिन बॉस ने कहा, “और ज़्यादा लो!” अब, जनाब ने दो हफ्ते की छुट्टी के लिए फॉर्म भर दिया। मगर अगला ट्विस्ट ये – उनके सीनियर (AGM) ने वो अर्जी ठुकरा दी! वजह? “मेरी तीन हफ्ते की छुट्टी में टकरा रही है, तुम्हारी छुट्टी नहीं हो सकती।”
फिर से कोशिश की, दिसंबर के पहले दो हफ्ते माँगे, वो भी मना! अब बेचारे नायक का दिमाग घुम गया – “अरे भाई, छुट्टी तो तुम लोग ही जबरदस्ती दे रहे थे, अब मना क्यों कर रहे हो? मैं तो पहले ही खुश था बिना छुट्टी के!”
यहाँ एक कमेंट में किसी ने बिल्कुल देसी अंदाज़ में कहा, “भाई, ये तो वही बात हो गई – न खुद चैन से रहेंगे, न दूसरों को रहने देंगे!”
ऑफिस के अजीब नियम: छुट्टी लो, लेकिन हमारे हिसाब से!
यह कहानी सिर्फ एक कर्मचारी की नहीं, बल्कि हर उस भारतीय कर्मचारी की है, जिसने कभी न कभी ऑफिस की छुट्टियों में उलझन झेली है। कई पाठकों ने अपने अनुभव साझा किए –
- एक ने लिखा, “हमारे यहाँ भी PTO बच जाए तो अकाउंट डिपार्टमेंट का बजट बिगड़ता है। छुट्टी लो, वरना मैनेजमेंट परेशान हो जाता है!”
- किसी ने सलाह दी, “हर हफ्ते एक-एक दिन की छुट्टी लेकर PTO खत्म करो, चार दिन की वर्कवीक बड़ी लाजवाब लगती है!”
- एक और ने कहा, “अगर कंपनी छुट्टी देने को तैयार नहीं, तो उसकी रकम माँग लो। वरना ये तो अपनी कमाई कंपनी को दान देने जैसा है!”
यहाँ तक कि किसी ने मज़ाक में सुझाव दिया – “अगर दिन में मीटिंग बुलाएँ तो नाइट शिफ्ट वाले कर्मचारी वहाँ तकिया ले जाएँ, और मीटिंग में ज़ोर-ज़ोर से खर्राटे मारें! अगली बार से मीटिंग का ईमेल ही आ जाएगा।”
कई जगहों पर कानून भी कहता है कि छुट्टी एक्सपायर नहीं हो सकती, या फिर कंपनी को छुट्टी की रकम देनी होगी। लेकिन अक्सर ऑफिस की राजनीति में सारा गणित उल्टा हो जाता है। ऊपर से, नाइट शिफ्ट वालों को दिन में मीटिंग के लिए बुलाना तो ऐसा है, जैसे किसी को सुबह 3 बजे शादी में बुला लिया जाए!
छुट्टी के मायने: हमारे ऑफिस और हमारी संस्कृति
हम भारतीयों के लिए छुट्टी का मतलब अक्सर अपने-अपने तरीके से होता है – कोई त्योहारों में गाँव जाता है, तो कोई बच्चों की छुट्टियों में घूमने; लेकिन ऑफिस की छुट्टी के इतने चक्कर, इतनी राजनीति, और इतनी खींचतान – कभी-कभी लगता है, छुट्टी मांगना सबसे बड़ा अपराध है!
इस कहानी में भी यही हुआ – नायक ने छुट्टी माँगी, मैनेजमेंट ने उसे नखरे दिखाए। अंत में नायक ने भी सोच लिया, “रहने दो, एक्सपायर हो जाने दो, मुझे फर्क नहीं पड़ता!” मगर कई कमेंट्स में लोगों ने समझाया – “भाई, ये तो आपकी कमाई है, इसे एक्सपायर मत होने दो। ये तो वही बात हुई कि आप कंपनी को अपनी जेब से पैसे देकर काम कर रहे हैं!”
एक पाठक ने यहाँ तक सलाह दी – “हर छुट्टी एक-एक करके अलग-अलग दिन लगाओ, मैनेजमेंट को भी गिनती करनी पड़ जाएगी कि कितने दिन बचे हैं!”
निष्कर्ष: ऑफिस की छुट्टी – बोले तो 'करेला, वो भी नीम चढ़ा!'
आखिर में, ये कहानी सिर्फ एक कर्मचारी की नहीं, हमारी ऑफिस संस्कृति की कटु सच्चाई है। छुट्टी मांगो तो मैनेजमेंट परेशान, ना मांगो तो भी परेशान! ऊपर से हर दफ्तर के अपने-अपने नियम, अपने-अपने बहाने।
तो अगली बार जब आपके ऑफिस में छुट्टी को लेकर ऐसी कोई जंग छिड़े, तो इस कहानी को याद करें – थोड़ा हँस लें, थोड़ा सोच लें, और हक की छुट्टी जरूर लें। आखिर, ये आपकी मेहनत की कमाई है, और इसे एक्सपायर होने देना तो बिलकुल भी समझदारी नहीं!
आपका क्या अनुभव है ऑफिस की छुट्टियों को लेकर? क्या आपके ऑफिस में भी ऐसे अजीबोगरीब नियम चलते हैं? कमेंट में ज़रूर बताइए, और ये कहानी अपने उन दोस्तों के साथ शेयर कीजिए, जो कभी छुट्टी की अर्जी लेकर HR के चक्कर काट चुके हैं!
मूल रेडिट पोस्ट: PTO