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जब ऑफिस का 'संस्कार' ड्रेस कोड बना मज़ाक — पायजामा, मूमू और डाइनासोर सूट!

एक मजेदार कार्य वातावरण में सफेद पैंट और मऊमऊ के साथ एक खुशमिज़ाज साधारण ड्रेस कोड का एनीमे चित्रण।
इस मजेदार एनीमे-प्रेरित छवि के साथ साधारण ड्रेस कोड की खुशी को अपनाएं! औपचारिक ब्लाउज़ छोड़ें और आरामदायक सफेद पैंट या जीवंत मऊमऊ में खुद को ढालें, जो एक आरामदायक कार्य वातावरण के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं।

सुनिए एक मज़ेदार दास्तान, जो हर उस इंसान के दिल को छू जाएगी जो कभी दफ्तर के ड्रेस कोड में उलझा हो। सोचिए, आप नई नौकरी में जाते हैं—मन में उत्साह, चेहरे पर मुस्कान, और अलमारी में प्रेस किए हुए फॉर्मल कपड़े। लेकिन पहले ही दिन कंपनी आपके हाथ में एक मोटा-सा दस्तावेज़ पकड़ा देती है, जिसमें लिखा है – “संस्कारित वस्त्रों” का नियम! यानी कपड़े ऐसे पहनिए कि आप ‘संस्कार’ के प्रतीक लगें, न कि प्रोफेशनल!

अब बताइए, भारत में तो ‘संस्कार’ का मतलब ही हर जगह बदल जाता है—किसी के लिए साड़ी, किसी के लिए सलवार-कुर्ता, तो किसी के लिए टोपी और दुपट्टा! लेकिन अमरीका की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में ये नियम बना, और वहां के कर्मचारियों ने इसे बनाया हंसी का कारण।

ड्रेस कोड का ‘संस्कार’: प्रोफेशनलिज़्म गया तेल लेने!

इस कहानी के नायक u/Miserable_Bat3909 (असली नाम छुपा है, चलिए इन्हें ‘बातूनी बाबू’ कहें!) ने Reddit पर अपना दुखड़ा कुछ ऐसे सुनाया—“नई नौकरी में ड्रेस कोड है, जिसमें प्रोफेशनलिज़्म से ज्यादा महत्व ‘मॉडेस्टी’ यानी ‘संस्कार’ को दिया गया। बढ़िया! अब मैं प्रोफेशनल नहीं, सिर्फ संस्कारी दिखूंगा। फॉर्मल ब्लाउज चल नहीं सकता, क्योंकि उसमें लेस और ट्रांसलूसेंट कपड़ा है। लेकिन स्वेटपैंट्स और मूमू (हवाईयन ढीले गाउन जैसे कपड़े) पूरी तरह ड्रेस कोड में फिट बैठते हैं!”

अब सोचिए, अगर भारत में किसी आईटी कंपनी में ऐसा नियम बन जाए, तो ऑफिस में सुबह-सुबह कौन-कौन से दृश्य देखने को मिलेंगे? कोई धोती-कुर्ता पहनकर आ रहा, कोई ऊनी टोपी लगा रहा, तो कोई दादी की पुरानी शॉल लपेटकर लैपटॉप चला रहा!

Reddit पर छिड़ी ‘संस्कार युद्ध’: मूमू vs. डाइनासोर सूट

‘बातूनी बाबू’ की पोस्ट पर Reddit की जनता ने जमकर ठहाके लगाए। एक यूज़र ने सुझाव दिया—“जंपसूट पहन लो, टेलेटबीज़ का कॉस्ट्यूम लगा लो, फुटी पायजामा ट्राई करो! और हां, मिस्त्री के ओवरऑल भी तो पूरे शरीर को ढकते हैं—क्या पता, यही नया फैशन बन जाए।”

दूसरे ने चुटकी ली—“अगर दो हफ्तों बाद इस्तीफा देना हो, तो हर दिन एक नया ‘संस्कार’ वाला भेष ट्राई करो—कभी पायजामा, कभी यूनिकॉर्न का ओन्सी, और आखिरी दिन डाइनासोर का सूट पहनकर बॉस को बाय-बाय बोलो!” भारत में इस तरह के मज़ाक को हम ‘बोल-बचन’ या गप्प-मार’ अंदाज़ में खूब पसंद करते हैं।

एक यूज़र ने कहा, “अगर कंपनी का माहौल ही ज़हरीला है, तो हैज़मेट सूट पहनकर पहुंच जाओ!” सोचिए, ऑफिस में कोई PPE किट पहनकर प्रेजेंटेशन दे रहा है—सचमुच, कोरोना काल की यादें ताजा हो जाएंगी!

नौकरी और ड्रेस कोड: मजबूरी का नाम महात्मा गांधी

कुछ लोगों ने गंभीर सवाल भी उठाए—“क्या सच में 2025 में भी ऐसे पुराने विचार ज़रूरी हैं?” बातूनी बाबू ने जवाब दिया, “भई, नौकरी की सख्त ज़रूरत थी, वरना कौन ऐसे अजीब नियमों को मानता? जॉइनिंग के बाद ही ये सब बताया गया, अब नई नौकरी मिलते ही इस्तीफा दूंगा।”

भारत में भी कई बार ऐसा होता है—इंटरव्यू में सब कुछ अच्छा लगता है, लेकिन जॉइनिंग के बाद HR के दस्तावेज़ देखकर माथा ठनक जाता है। यहाँ भी लोग मजबूरी में अजीबो-गरीब नियम मान लेते हैं, लेकिन दिल में बगावत का सूरज जरूर उगता है!

संस्कार या स्वांग?—हंसी, व्यंग्य और सीख

इस पूरी कहानी से एक बात तो साफ है—जहाँ नियम ज़रूरत से ज़्यादा तंग किए जाएं, वहाँ कर्मचारी अपने अंदाज़ में ‘मालिशियस कंप्लायंस’ यानी ‘आज्ञा का पक्का पालन, मगर व्यंग्य के साथ’ दिखा ही देते हैं। Reddit की जनता ने भी खूब मजा लिया—किसी ने नन का भेष सुझाया, किसी ने बुर्का, तो किसी ने ग्रैनी की साड़ी-जैसी ड्रेस।

सोचिए, अगर कोई भारतीय कंपनी भी ऐसा ड्रेस कोड लागू कर दे, तो क्या होगा? शायद ऑफिस में रामलीला का मंचन शुरू हो जाए—किसी दिन हनुमान, किसी दिन रावण, और किसी दिन डाइनासोर!

अंत में, बातूनी बाबू ने ठान लिया—जब तक नई नौकरी नहीं मिलती, तब तक पायजामा और मूमू में ही ऑफिस जाएंगे। HR ने अब तक टोका नहीं है, लेकिन जिस दिन टोकेगी, उसी दिन नया ‘संस्कार’ वाला अवतार लेकर हाजिर होंगे!

निष्कर्ष: आपके ऑफिस में भी है ऐसा कोई ‘संस्कार’?

क्या आपके ऑफिस में भी ऐसे अजब-गजब ड्रेस कोड हैं? या कभी आपने भी दोस्तों के साथ मिलकर HR के नियम का मजाक उड़ाया है? नीचे कमेंट सेक्शन में अपने अनुभव जरूर साझा करें—क्योंकि हंसी और ‘संस्कार’ दोनों बांटने से ही बढ़ते हैं!

साथ ही, अगली बार अगर कोई ऑफिस में ‘संस्कार’ की बात करे, तो याद रखिए—पायजामा और मूमू भी कभी-कभी क्रांति के हथियार बन सकते हैं!


मूल रेडिट पोस्ट: Modest dress code? You got it