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जब ऑफिस का 'शैतान सहकर्मी' मुझे सवारी समझ बैठा – और मैंने उसकी हवा निकाल दी!

एक कार्टून-3D चित्रण जिसमें एक परेशान कर्मचारी पार्किंग लॉट में एक मांग करने वाले सहकर्मी से तेजी से भाग रहा है।
यह जीवंत कार्टून-3D चित्रण उस राहत के क्षण को दर्शाता है जब मैं अपने चिड़चिड़े सहकर्मी से भागा, जो बिना सम्मान के सवारी मांगने की सोचता था। कार्यस्थल की गतिशीलता पर एक मजेदार दृष्टिकोण!

ऑफिस में काम करना वैसे ही कभी-कभी माथापच्ची जैसा लगता है, लेकिन अगर वहाँ कोई ऐसा सहकर्मी हो, जो हर जगह बवाल मचाए, महिलाओं को तंग करे और अपने आपको कंपनी का राजा समझे, तो सोचिए कितना मुश्किल हो जाता है! आज की कहानी बिलकुल ऐसे ही एक 'कलेक्टर साहब' की है, जिसने ऑफिस के माहौल को नर्क बना रखा था – लेकिन अंत में उसे ऐसी पटखनी मिली कि सबकी बांछें खिल गईं।

ऑफिस का रावण: जब बदतमीज़ी बन जाए आदत

अब देखिए, हर दफ्तर में कुछ लोग होते हैं, जिनका काम बस दूसरों को परेशान करना होता है। हमारे नायक के ऑफिस में भी एक ऐसा ही बंदा था – नाम तो नहीं बताएँगे, लेकिन काम-कारनामे सुनकर आप खुद ही पहचान लेंगे! भाईसाहब 27 साल के 'बच्चे' थे, लेकिन घमंड आसमान पर। महिलाओं को 'गर्ल' कहकर बुलाना, उनसे अपने छोटे-बड़े काम करवाना, और जब कोई मना कर दे तो सड़कछाप भाषा में गालियाँ देना – यही इनकी दिनचर्या थी।

कमाल की बात, मैनेजमेंट भी जैसे कान में तेल डालकर बैठा था। ना कोई डांट, ना कोई नोटिस – जैसे 'बड़े साहब' का खास आदमी हो! एक कमेंट करनेवाले ने बड़ी सटीक बात कही – “ऐसी जगह छोड़ देनी चाहिए, जहाँ कर्मचारियों की सुरक्षा से ज़्यादा बदतमीज़ों की सुविधा मायने रखती हो।” सच है, हमारे यहाँ भी ये खूब देखने को मिलता है कि 'जुगाड़ू' लोग मैनेजमेंट की आँखों में धूल झोंक कर सालों टिके रहते हैं, चाहे उनका काम जीरो हो।

'मुफ्त की सवारी' की जिद और डरावना मोड़

अब असली किस्सा सुनिए – एक रात, जब ऑफिस लगभग खाली हो गया, ये जनाब हमारे नायक के पीछे पड़ गए कि घर छोड़ दो। नायक ने साफ़ मना किया, लेकिन साहब कहाँ मानने वाले! गाड़ी तक पीछा किया, और तो और, शीशे पर हाथ पटक-पटक कर धमकी देने लगे – “तू मुझे छोड़ने जाएगा ही!”

सोचिए, आधी रात, सुनसान पार्किंग, कोई सुरक्षा नहीं – ऐसे में किसी का गुस्से में आकर गाड़ी छीन लेना या हमला कर देना, हमारे यहाँ भी 'क्राइम पेट्रोल' में रोज़ दिखता है! नायक ने समझदारी दिखाई – गाड़ी लॉक की, रिवर्स मारी, और हवा में उड़ते-उड़ते निकल लिए। साहब को वहीं छूट जाना पड़ा, क्योंकि न तो कोई बस थी, न ऑटो, और न ही कोई 'ओला-उबर' जैसा जुगाड़! भाई, 27 साल के हो, अपनी जिम्मेदारी खुद समझो – ये तो हर भारतीय माँ भी सिखाती है!

बदला, वायरल वीडियो और आखिरकार न्याय

अब आप सोच रहे होंगे, ऐसे लोगों का क्या होता है? जनाब, कर्मा नाम की चीज़ तो होती ही है! कुछ महीने बाद, इनका एक वीडियो वायरल हो गया – सड़क पर किसी से भिड़ गए, मार-पीट कर दी, और सैकड़ों गाड़ियाँ बच-बच कर निकल रही थीं। वीडियो में इनकी पहचान साफ थी, नाम तक कमेंट सेक्शन में घूम रहा था।

पर हैरानी की बात – कंपनी ने तब भी इन्हें नहीं निकाला! आखिरकार, जब इन्होंने जनरल मैनेजर (जो एक महिला थीं) के सामने भी बदतमीज़ी की, तो उन्होंने वही किया जिसका सब इंतज़ार कर रहे थे – “अब निकल ले, तुझे यहाँ नहीं चाहिए!” जिस दिन ये निकाले गए, ऑफिस में जश्न सा माहौल था – जैसे किसी ने गाजर का हलवा बाँट दिया हो!

इसी पर एक पाठक ने मज़ेदार कमेंट किया – "जब मेरे ऑफिस से ऐसा बदमाश निकला, तो मैंने अगले दिन सबके लिए मिठाई लाई थी!" वाह, भाई, यही तो है असली सेलिब्रेशन!

ऑफिस की सच्चाई – और हम सबके लिए सबक

सोचिए, ऑफिस में ऐसे लोग क्यों टिके रहते हैं? एक कमेंट में किसी ने लिखा – "लगता है जैसे ये बॉस के कोई रिश्तेदार हैं, वरना इतना सिर चढ़कर कौन बैठता है?" और यह बात हमारे यहाँ भी कितनी आम है – कभी-कभी तो लगता है, जुगाड़ और चमचागिरी, टैलेंट से बड़ा हुनर है!

लेकिन ऐसे लोगों से निपटने का तरीका क्या है? जैसा हमारे नायक ने किया – न ज्यादा लड़ाई, न झगड़ा, बस सधे हुए अंदाज़ में अपनी सीमाएँ तय कर लो। 'ना' कहना भी एक कला है, और कई बार यह सामनेवाले को ज़िंदगी भर का सबक सिखा देता है।

एक और पाठक ने कहा – "अगर कोई 'ना' पर गुस्सा हो जाए, तो 'हाँ' कहना सिर्फ अगली मुसीबत को न्योता देना है।" कितना सही कहा!

निष्कर्ष: आप क्या करते ऐसी स्थिति में?

कहानी से यही सिखने को मिलता है कि ऑफिस हो या ज़िंदगी – अपनी सीमाएँ तय करना और खुद के लिए खड़ा होना बहुत ज़रूरी है। ऐसे 'रावण' हर जगह मिलेंगे, लेकिन जब आप डटकर खड़े हो जाएँगे, तो उनका घमंड खुद ही चूर-चूर हो जाएगा।

अब आप बताइए – क्या कभी आपके ऑफिस में भी ऐसा कोई शख्स आया जिसने सबका जीना हराम कर दिया हो? या आपने भी कभी किसी को पेटी रिवेंज दी हो? अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें – और हाँ, अगर कहानी पसंद आई हो तो शेयर करना मत भूलिए!


मूल रेडिट पोस्ट: Coworker from hell tried to get me to give him a ride so I blew out of the parking lot without him