जब ऑफिस का बाथरूम बना जंग का मैदान: एक छोटी सी बदले की कहानी
ऑफिस में चाय की चर्चा, गपशप और बॉस की डांट तो आम बात है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बाथरूम भी दो कंपनियों के बीच जंग का मैदान बन सकता है? जी हां, यह कहानी है एक आईटी कंपनी के ऑफिस की, जहाँ नीचे वाली कंपनी की बुरी आदतों ने ऊपर वालों के सब्र का बांध तोड़ दिया।
अब सोचिए, जरा-सा टॉयलेट पेपर क्या कम पड़ जाए, पूरा ऑफिस हलचल में आ जाता है! तो चलिए, जानते हैं कैसे एक छोटी सी "प्यारी" बदलेबाज़ी ने सबको चौंका दिया और क्या-क्या नए जुगाड़ सामने आए।
ऑफिस का बाथरूम: जंग का नया मैदान
यह किस्सा है मेरे एक दोस्त के ऑफिस का। उनका खुद का टेक्नोलॉजी स्टार्टअप है और वे एक ऐसे बिल्डिंग में स्पेस किराए पर लेते हैं, जहाँ और भी कंपनियाँ हैं। अब नीचे वाली कंपनी के बाथरूम की हालत ऐसी थी कि कोई गलती से भी वहाँ घुसना न चाहे—गंदगी, अजीब-सी बदबू और सफाई का नामोनिशान नहीं।
ऊपर वाली कंपनी ने सफाईवाले भी रखे हुए हैं, ताकि बाथरूम चमचमाता रहे। लेकिन नीचे वाले भाईसाहब बड़ी बेशर्मी के साथ ऊपर आकर साफ़ बाथरूम का मज़ा ले जाते। न खुद साफ़ करते, न टॉयलेट पेपर की फिक्र, उल्टा इतना टॉयलेट पेपर उड़ा देते कि ऑफिस वाले हैरान रह जाएं।
एक दिन तो सारी लिमिट ही पार हो गई—सारा टॉयलेट पेपर गायब! ऊपर वाले ऑफिस के एक कर्मचारी ने, जो पहले ही इस आदत से परेशान था, अपने साथ लाया नीला टॉयलेट पेपर भी नीचे वालों ने चुरा लिया। अब तो बस, बदले की आग धधक उठी!
जुगाड़ और बदला: ताले का तड़का
अब असली मज़ा यहीं से शुरू होता है। जिस कर्मचारी का नीला टॉयलेट पेपर चोरी हुआ था, वह सीधा नीचे वालों के बाथरूम में गया और वहाँ जितना भी टॉयलेट पेपर था, सब का सब उठा लाया। फिर क्या था, ऊपर और नीचे दोनों ही कंपनियों के बाथरूम पर शानदार ताले जड़ दिए।
सोचिए, सोमवार की सुबह जब नीचे वाले ऑफिस के लोग बाथरूम का दरवाजा खोलने की कोशिश करेंगे और सामने ताला मिलेगा, तो उनके चेहरे पर कैसी हवाइयाँ उड़ेंगी! जैसे किसी ने खाने की प्लेट सामने से खींच ली हो।
यहाँ Reddit पर एक कमेंट ने तो कमाल ही कर दिया—"भैया, बाथरूम में डिजिटल लॉक लगा दो, कोड सिर्फ अपने स्टाफ को दो!" किसी ने और आगे बढ़ते हुए लिखा, "अगर लॉक में अलार्म भी जोड़ दो, जैसे कोई बच्चा बाथरूम में घुसा और जोर से 'बेबी शार्क को पॉटी आई है' वाला गाना बज जाए तो मज़ा आ जाए!"
ऑफिस की राजनीति और जुगाड़ू आइडियाज
भारत में दफ्तरों में ऐसे जुगाड़ और राजनीति आम है। चाहे बाथरूम में मग्गा छुपाना हो या चाय के बिस्कुट पर कब्जा, अपने-अपने तरीके सबके पास होते हैं। Reddit के एक यूज़र ने लिखा, "हमारे यहाँ तो सबको चाबी ही दे दी थी, कोई चाहकर भी बिना चाबी के बाथरूम नहीं खोल सकता।"
कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि कोड वाला लॉक ज्यादा सही है, क्योंकि चाबी तो खो भी सकती है—जैसे कि हमारी दादी की चूड़ियों के साथ अक्सर होता है! एक और यूज़र ने मजाकिया अंदाज में कहा, "अगर बाथरूम में कोई फंस जाए तो बाहर आने के लिए प्रीमियम रेट वाले फोन नंबर पर कॉल करना पड़े, सोचो क्या माहौल बनेगा!"
रंग-बिरंगा टॉयलेट पेपर और बचपन की यादें
अब जरा सोचिए, टॉयलेट पेपर भी रंग-बिरंगा हो सकता है? एक कमेंट में किसी ने कहा, "तीस साल बाद रंगीन टॉयलेट पेपर देखा है, बचपन की यादें ताजा हो गईं।" दूसरे ने हँसते हुए कहा, "अब तो ऑनलाइन ब्लैक टॉयलेट पेपर भी मिल जाता है, अपने मूड के हिसाब से रंग बदल लो!"
यहाँ भारत में भले लोग ज्यादातर पानी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन दफ्तरों में टॉयलेट पेपर की भी अपनी राजनीति है। कोई सस्ता वाला लाता है, कोई महंगा, और कोई तो घर से ही अपना खास टॉयलेट पेपर छुपाकर लाता है।
निष्कर्ष: ऑफिस में बाथरूम की जंग और आपकी राय
कहानी का मज़ा तो तब आएगा जब असली अपडेट आएगा कि सोमवार को नीचे वालों का क्या हाल हुआ! Reddit पर सब लोग बेसब्री से पूछ रहे थे—"भैया, अपडेट दो! क्या हुआ ताले के बाद?" असली मजेदार बात ये है कि छोटी-छोटी बातें भी ऑफिस की राजनीति में कितनी बड़ी हो जाती हैं।
तो अगली बार अगर आपके ऑफिस में भी कोई बाथरूम या कैंटीन में ऐसा जुगाड़ चल रहा हो, तो जरूर बताइएगा। क्या आपने कभी ऐसी प्यारी बदलेबाज़ी देखी है? नीचे कमेंट में साझा करें!
और हाँ, टॉयलेट पेपर चाहे किसी भी रंग का हो, साफ-सफाई में कभी समझौता मत कीजिए। कहते हैं न—"साफ बाथरूम, खुशहाल ऑफिस!"
मूल रेडिट पोस्ट: Downstairs company using our bathrooms.