जब ऑफिस के 'आईटी एक्सपर्ट' की पोल खुल गई: टेक सपोर्ट का मजेदार किस्सा

प्रिंटर और समस्याओं से निपटने के लिए तकनीकी सहायता कॉल का कार्टून 3D चित्रण।
इस मजेदार कार्टून-3D दृश्य में, हम तकनीकी सहायता की हास्यपूर्ण दुनिया में प्रवेश करते हैं, जहाँ एक आत्मविश्वासी IT पेशेवर प्रिंटर की समस्याओं का समाधान कर रहा है।

ऑफिस में 'आईटी पर्सन' होना अपने आप में एक बड़ा रुतबा है। चाय की चुस्कियों के बीच, हर दूसरा शख्स किसी न किसी तकनीकी मुश्किल का समाधान ढूंढ़ रहा होता है। ऐसे में अगर कोई खुद को 'सब कुछ जानने वाला' बताने लगे, तो मजा ही कुछ और है! लेकिन क्या हो जब उनकी असलियत खुल जाए? आज हम आपके लिए लाए हैं एक ऐसी ही मजेदार कहानी, जिसमें एक साहब ने खुद को आईटी महारथी समझ लिया... और फिर खुद ही फंस गए!

कहानी की शुरुआत होती है एक आम से दिन, जब टेक सपोर्ट वाले भैया (या दीदी) ने फोन पर कहा, "चलिए, एक टेस्ट प्रिंट निकालते हैं, देखें सब सही हुआ या नहीं। आपको टेस्ट प्रिंट निकालना आता है न?"

सामने से जवाब आया—"अरे, मुझे इन प्रिंटरों की A से Z तक सारी जानकारी है! चाहूँ तो खोलकर जोड़ भी सकता हूँ, बस वही आपका काम है। मैं ही तो यहाँ का आईटी पर्सन हूँ!"

(अब यहाँ ज़रा 'नरेटर' वाली आवाज़ सोचिए—"असल में वो आईटी पर्सन नहीं थे।")

पाँच मिनट बाद...

कॉलर: "हो गया, मैंने टेस्ट प्रिंट निकाल लिया!"

टेक सपोर्ट: "ये टेस्ट प्रिंट आपने कंप्यूटर से निकाला या सीधे प्रिंटर से?"

कॉलर: "मुझे प्रिंटर से डायरेक्ट टेस्ट प्रिंट निकालना नहीं आता।"

टेक सपोर्ट (मन ही मन): "वाह, मियां! अभी तो कह रहे थे कि प्रिंटर खोलकर जोड़ सकते हो..."

इसके बाद, टेक सपोर्ट को मजबूरन 'मिस्टर एक्सपर्ट' को स्टेप बाय स्टेप समझाना पड़ा कि प्रिंटर से डायरेक्ट टेस्ट प्रिंट कैसे निकालते हैं। सोचिए, कितनी बार आपने भी ऐसे किसी 'सब कुछ जानने वाले' को देखा है, जो चाय की टपरी से लेकर बोर्डरूम तक, हर जगह अपनी तकनीकी समझ बघारते हैं—लेकिन असलियत में, काम की बारी आते ही फीके पड़ जाते हैं!

यह कहानी सुनकर मुझे अपने ऑफिस की याद आ गई, जहाँ हमारे 'आईटी भाई साहब' हर छोटी-बड़ी तकनीकी दिक्कत में खुद को माहिर बताते हैं। लेकिन जैसे ही प्रिंटर या कंप्यूटर में थोड़ी सी भी गड़बड़ हो, सीधे 'टेक सपोर्ट' को फोन लगाते हैं—और बाद में चुपचाप चाय पीते हुए बताने लगते हैं, "अरे, मैंने ही तो ठीक कराया था!"

अब जरा Reddit कम्युनिटी के चर्चित कमेंट्स पर भी नज़र डालें। एक कमेंट में लिखा था— "आज के ज़माने में 'आईटी पर्सन' का मतलब आईटी प्रोफेशनल नहीं होता। बस जो बाकी लोगों से थोड़ा ज्यादा कंप्यूटर चला ले, वही बना दिया जाता है आईटी पर्सन!" सच है, हमारे यहाँ भी किसी को 'कंप्यूटर वाला लड़का' या 'लड़की' बना देना आम बात है। कई बार तो मशीन की भाषा समझने वालों को ही चपरासी से लेकर मैनेजर तक, हर कोई आईटी मास्टर मान लेता है!

एक और कमेंट में किसी ने लिखा— "हमारे यहाँ स्कूल में सिर्फ फ्लॉपी डिस्क फॉर्मेट करना आ गया, तो बना दिया आईटी कोऑर्डिनेटर!" सोचिए, 30 साल पहले की बात है, लेकिन आज भी कई जगह यही हाल है। कभी-कभी तो बॉस के भतीजे-भतीजियों को भी 'आईटी' का टैग दे दिया जाता है, ताकि सम्मान बना रहे!

कुछ लोग तो अपनी काबिलियत का इतना बखान करते हैं कि टेक्निकल मदद मांगते वक्त भी धमकी देने लगते हैं—"हम खुद सब कर सकते हैं, आपको हटाने की सोच रहे हैं!" लेकिन हकीकत ये है कि अगर सारी जिम्मेदारी इन्हीं 'ऑफिस के कंप्यूटर एक्सपर्ट्स' पर छोड़ दी जाए, तो प्रिंटर से लेकर ईमेल तक, सब ठप हो जाए!

एक मजेदार कमेंट में किसी ने लिखा—"मुझे कंप्यूटर चलाने का बहुत अनुभव है—ईमेल भेजना, रिसीव करना, डिलीट करना, माउस चलाना, क्लिक करना, डबल क्लिक करना... और नीचे रखा CPU भी पहचानता हूँ!" ऐसे 'जानकारों' को देख कर हँसी छूटना लाज़मी है। हमारे देश में भी ऐसे कई 'चाचा-चाची' मिल जाते हैं, जो मोबाइल के फॉन्ट साइज बढ़ाने तक को 'हैकिंग' समझ लेते हैं!

इस पूरी कहानी का सबसे बड़ा सबक यही है—खुद को एक्सपर्ट बताना आसान है, लेकिन असली ज्ञान संकट के समय ही सामने आता है। टेक सपोर्ट वाले अक्सर ऐसे 'महाज्ञानी' लोगों से दो-चार होते रहते हैं। उनकी सबसे बड़ी क्वालिटी यही है—चुपचाप मुस्कुराकर, धैर्य के साथ सब समझा देना। आखिर, "सर्विस वाला भाई" होना भी कोई कम जिम्मेदारी नहीं!

तो अगली बार जब आपके ऑफिस में कोई 'आईटी पर्सन' बड़ी-बड़ी बातें करें, तो जरा उनसे प्रिंटर से डायरेक्ट टेस्ट प्रिंट निकालने के लिए ज़रूर पूछिए। हो सकता है, असली मजा वहीं से शुरू हो!

अगर आपके साथ भी ऐसा कोई मजेदार टेक सपोर्ट या ऑफिस का किस्सा हुआ हो, तो नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें। आपकी कहानी पढ़कर और भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी!


मूल रेडिट पोस्ट: Just another day in tech support