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जब 'एल्विश' भाषा ने पूरे क्लास को चौंका दिया: एक नन्ही सी बदला-गाथा

क्या कभी आपने स्कूल के दिनों में किसी को अपनी शरारत या होशियारी से चौंका दिया है? आज की यह कहानी है दो ऐसे गीकों की, जिनके पास न तो मसल्स थे, न ही क्रिकेटर बनने का सपना, लेकिन दिमाग ऐसा कि बड़े-बड़ों की छुट्टी कर दें। और जब बात अपने सीक्रेट नोट्स की आई, तो इन्होंने ऐसा दांव खेला कि टीचर भी चौंक गए!

पढ़ाकू गीक और उनका अनोखा रोमांस

हमारे नायक-नायिका, दोनों ही पढ़ाकू, चश्मिश और थियेटर में रुचि रखने वाले थे। स्कूल में अक्सर ऐसे बच्चों को "गबरू" लड़के छेड़ते हैं, लेकिन ये दोनों थोड़ा हटके थे। दोनों को किताबों और फैंटेसी की दुनिया से इतना लगाव था कि जे.आर.आर. टॉल्किन और जूल्स वर्न की किताबें उनकी जान थीं। ऐसे में दोनों के बीच दोस्ती होना तो तय था, और धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई।

हालांकि, स्कूल का माहौल वही पुराना—क्लास में नोट पास करना, गुपचुप बातें करना। उस जमाने में व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम तो थे नहीं, तो अपने मन की बात लिखकर ही बतानी पड़ती थी। लेकिन मुश्किल ये थी कि उनके मन की बातें कब टीचर के हत्थे चढ़ जाएं, कोई भरोसा नहीं!

टीचर की चालाकी और गीकों का मास्टरस्ट्रोक

इनकी साइकोलॉजी क्लास के टीचर किसी CID अफसर से कम नहीं थे। क्लास में अगर कोई नोट पास करता दिख जाए, तो तुरंत पकड़ लेते और पूरी क्लास के सामने पढ़कर सबको शर्मिंदा कर देते। उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ। फिल्म चल रही थी, अंधेरा था, दोनों ने अपनी सीक्रेट डायरी में कुछ लिखा। लेकिन किस्मत ने दगा दिया, और टीचर ने डायरी पकड़ ली।

अब क्लास में सबकी निगाहें इन दोनों पर थीं—"अब आएगा मज़ा, अब होगा तमाशा!" लेकिन जैसे ही टीचर ने डायरी खोली, उनके चेहरे के भाव देखते ही बनते थे। पहले तो जीत की खुशी, फिर माथापच्ची, और आखिर में हार मानने वाली मुस्कान। दरअसल, डायरी में जो लिखा था, वो टॉल्किन की 'एल्विश' भाषा (Elvish) में था! यानी, पूरी क्लास तो छोड़िए, टीचर भी एक शब्द नहीं समझ पाए। मास्टरस्ट्रोक!

जब सोशल मीडिया की दुनिया ने ढेरों किस्से जोड़े

रेडिट पर इस कहानी को पढ़कर कई लोग हंसी से लोटपोट हो गए। एक यूज़र ने मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा—"मैंने भी अपने धर्म की क्लास में ये ट्रिक आज़माई थी, लेकिन मेरा टीचर मुझसे भी बड़ा टॉल्किन फैन निकला, उसने मेरे कंधे के ऊपर से ही ट्रांसलेट करना शुरू कर दिया!" अब सोचिए, भारत में अगर कोई संस्कृत या उर्दू में नोट लिख दे, और टीचर खुद पंडित या उर्दू के शायर हो तो क्या हाल होगा?

एक और कमेंट ने दिलचस्पी जोड़ दी—"ये तो चेकमेट है! ऐसा लग रहा है जैसे शतरंज में सीधा मात दे दी हो।" वहीं, एक यूज़र ने हल्के फुल्के अंदाज़ में लिखा—"आपकी कहानी लंबी तो थी, लेकिन पैराग्राफ्स का इस्तेमाल किया, इसलिए पढ़ने में मज़ा आया।"

हिंदी पाठकों के लिए सीख और मनोरंजन

इस कहानी में भारतीय स्कूलों की भी झलक दिखती है—जहाँ नोट पास करने से लेकर, टीचर की चालाकी और छात्रों की जुगाड़बाज़ी तक, सब कुछ मिलता है। यहाँ भी कई बार बच्चे अपनी बातें छुपाने के लिए कोड वर्ड्स, या अपनी ही बनाई भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो दोस्ती की डायरी में शेरो-शायरी, अंग्रेज़ी मुहावरे, या मैथ्स के फॉर्मूले लिख दिए जाते हैं ताकि कोई समझ न पाए।

कहानी का सबसे बड़ा सबक यही—दिमाग, मस्ती और थोड़ा सा 'नर्ड पावर' हो, तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है। और हाँ, अपनी अलग पहचान बनाने के लिए कभी-कभी थोड़ा हटके सोचना भी जरूरी है।

क्या आपके साथ भी हुआ है ऐसा?

तो दोस्तो, क्या आपने भी कभी स्कूल या कॉलेज में ऐसी कोई ट्रिक आज़माई है? या कोई ऐसी शरारत की है जिससे टीचर या दोस्तों की बोलती बंद हो गई हो? अपनी मजेदार यादें और किस्से कमेंट में जरूर शेयर करें। आखिरकार, हर किसी के पास ऐसी कोई छोटी सी बदला-गाथा जरूर होती है!

अब अगली बार जब आप अपनी डायरी या सीक्रेट नोट लिखें, तो सोचिए—क्या आपके पास भी कोई 'एल्विश' जैसी गुप्त भाषा है? या फिर आप भी बस हिंदी में 'प्यारे दोस्त' को 'पीडी' लिखकर बच जाते हैं?

जुड़िए, हंसिए, और अपने 'नर्ड' दोस्तों को सलाम कीजिए—क्योंकि असली जीत दिमाग की ही होती है!


मूल रेडिट पोस्ट: Petty, eclectic, adolescent revenge (long)