जब एक मेहमान ने नोटों को तौलिया समझ लिया: होटल की रिसेप्शन पर घटी अजीब घटना
होटल की रिसेप्शन पर काम करना हर दिन नया अनुभव लेकर आता है। ग्राहक आते हैं, जाते हैं, और कभी-कभी ऐसी हरकतें कर जाते हैं कि आप सोच में पड़ जाएँ – "ये असल में हुआ या सपना देख रहा हूँ?" आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ एक ऐसी ही घटना, जो किसी बॉलीवुड कॉमेडी से कम नहीं है, बस फर्क इतना कि इसमें कोई शाहरुख़ खान नहीं, बल्कि एक अजीबो-गरीब मेहमान है, और उसकी जेब में कुछ नोट!
अजीब शुरुआत: जब ट्रेन ने रास्ता रोका, और नोटों ने सबका ध्यान खींचा
सोचिए, आप थक-हार कर होटल की नाइट शिफ्ट पूरी कर चुके हैं और घर जाने की तैयारी कर रहे हैं। तभी बाहर रेलवे ट्रैक पर ट्रेन रुक जाती है – न आगे जा सकते हैं, न पीछे। ऐसे में रिसेप्शन डेस्क के उस पार खड़े होकर अपने सहकर्मी से गप्पे मारना ही एकमात्र उपाय है। होटल में सुबह-सुबह कुछ मेहमान बैठे हैं, क्योंकि शहर में मैराथन चल रही है। माहौल शांत है, लेकिन तभी एक दृश्य नज़र आता है जो पूरे दिन की थकान उतार देता है... या कहें, दिमाग घुमा देता है!
लॉबी के कोने में बैठा एक सज्जन, अपनी जेब से नोटों का बंडल निकालता है। पहले एक बार गिनता है, फिर दूसरी बार, फिर तीसरी बार... जैसे शादी में रिश्तेदार लड्डू गिनते हैं कि सबको बराबर मिले या नहीं। इसके बाद, वो नोटों को हाथ में पंखे की तरह फैलाता है, फिर चेहरे पर ऐसे झलता है जैसे मई की दोपहर में बिजली चली गई हो। लेकिन असली तमाशा तो इसके बाद शुरू होता है!
नोटों से स्नान: अंधविश्वास, आदत या कोई जादू?
अब वो महाशय उन नोटों को सूंघने लगते हैं, जैसे उनमें गुलाबजल की खुशबू हो। फिर क्या – वो पूरे इत्मीनान से नोटों को अपने चेहरे पर रगड़ने लगते हैं, मानो कोई चेहरा धोने का तौलिया हो! और वो भी सिर्फ एक-दो सेकंड नहीं, पूरे 30-45 सेकंड तक। फिर बड़े ठाठ से नोट जेब में डालते हैं और ऐसे निकल जाते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
अब यहाँ सवाल यह उठता है – आखिर कोई ऐसा क्यों करता है? क्या ये कोई तांत्रिक क्रिया है, या फिर किसी फिल्म से प्रभावित होकर आया है?
रेडिट पर लोगों ने इस घटना पर खूब चटकारे लगाए। एक सदस्य ने लिखा – "कुछ संस्कृतियों में लोग मानते हैं कि पैसे को चेहरे पर रगड़ने से धन आकर्षित होता है।" यानी अपने यहाँ की तरह, जहाँ कुछ लोग नींबू-मिर्च लटकाते हैं, वैसे ही विदेशों में पैसे से मोहब्बत का यह तरीका अपनाया जाता है। लेकिन वहीं, दूसरे ने कहा – "भाई, ये तो गंदी आदत है! पैसे पर कितनी गंदगी होती है, कौन जानता है वो कहाँ-कहाँ घूमे हैं!" किसी और ने मज़ाक में जोड़ा, "सोचो, वो नोट किसी डांसर के कपड़ों से निकले हों!"
पैसे की गंदगी: शौक़, सनक या खतरा?
यहाँ सोचने वाली बात यह भी है कि पैसा, चाहे कितना भी कीमती क्यों न हो, सफाई की दृष्टि से सबसे गंदा होता है। एक सदस्य ने बैंक में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया – "कई बार जेल से नोट आते थे, जो पता नहीं कहाँ-कहाँ से निकले होते थे!" सोचिए, ऐसे नोटों को चेहरे पर रगड़ना तो दूर, छूना भी किसी सजा से कम नहीं।
हमारे यहाँ भी अक्सर सुनने को मिलता है – "पैसा हाथ से छूते ही साबुन से हाथ धो लो", लेकिन इस सज्जन ने तो सारी हदें पार कर दीं। खुद पोस्ट लिखने वाले ने भी मज़ाक में कहा, "मैं तो घर जाकर दो बार चेहरा धोया!"
अजीब लोग, अजीब ज़माना
किसी ने ठीक ही कहा है – "दुनिया रंग-बिरंगी है, और लोग उससे भी ज़्यादा!" होटल, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड – हर जगह आपको ऐसे लोग मिलेंगे, जिनकी हरकतें आपको हैरान कर दें। कभी-कभी ये हरकतें अंधविश्वास से जुड़ी होती हैं, कभी बस आदत या मज़ाक में, और कभी-कभी यह मानसिक स्वास्थ्य का मामला भी हो सकता है।
रेडिट पर एक सदस्य ने लिखा – "ऐसी हरकतें देख कर लगता है, मानसिक बीमारी आसपास ही है, बस आईना देख लो।" यानी, हम सब में कभी-कभी अजीबपना झलक ही जाता है।
निष्कर्ष: आप क्या सोचते हैं?
इस कहानी को पढ़कर आप क्या सोच रहे हैं? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई अजीब वाकया हुआ है, या आपने किसी को पैसों के साथ अजीब हरकत करते देखा है? क्या यह अंधविश्वास है, मानसिक स्थिति या सिर्फ शौक़?
अपने अनुभव और राय नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें। आखिरकार, "इस दुनिया में सब चलता है" – बस ज़रा सा अजीब होता है!
मूल रेडिट पोस्ट: Some Guests Are Weird