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जब एक छोटी सी शरारत ने सहकर्मी की हालत पतली कर दी – 40 साल पुरानी ‘पेटी’ बदला-कहानी

एक सुपरमार्केट में दो युवा पुरुष, 1980 के दशक के अंत में तनावपूर्ण क्षण साझा करते हुए, सिनेमाई शैली में कैद।
एक व्यस्त सुपरमार्केट में दो किशोर बैग बॉय का सिनेमाई चित्रण, कार्यस्थल में बनने वाले जटिल रिश्तों को दर्शाते हुए। बीते वर्षों के बावजूद, प्रतिकर्ष और तनाव की यादें बनी रहती हैं, जो युवाओं की अक्सर तुच्छ प्रकृति को उजागर करती हैं। आपकी भुला दी गई दुश्मनी की कहानी क्या है?

कहते हैं, इंसान छोटी-छोटी बातों को भुला देता है, लेकिन छोटे बदले (पेटी रिवेंज) की मिठास बरसों तक याद रह जाती है। आज हम आपको Reddit की एक ऐसी कहानी सुना रहे हैं, जिसमें न तो कोई बड़ा अपराध था, न ही कोई बड़ा बदला—बस ‘थोड़ी सी शरारत’, जिसने सालों बाद भी मुस्कान छोड़ दी।

ये किस्सा है करीब 40 साल पहले का, जब दो नौजवान लड़के एक सुपरमार्केट में ‘बैग बॉय’ की नौकरी किया करते थे। ये कहानी सुनते ही आपको अपने कॉलेज या पहले जॉब के वो दिन याद आ जाएंगे, जब छोटी-छोटी दुश्मनियाँ भी बड़ी लगती थीं।

पुरानी नौकरी, नई शरारतें: जब सहकर्मी से निभ नहीं बनी

हमारे नायक (Reddit यूज़र u/WardOnTheNightShift) बताते हैं कि उस समय उनके और एक सहकर्मी के बीच खटपट थी। वजह क्या थी, ये उन्हें खुद याद नहीं, लेकिन मनमुटाव जरूर था। भारत में भी ऑफिस या दुकान में ऐसे ‘यार-दुश्मन’ मिल ही जाते हैं—कभी कोई चाय के कप को लेकर लड़ पड़ता है, तो कभी कोई सीट के लिए।

आगे बढ़ते हैं कहानी में—उस सहकर्मी के घरवाले तम्बाकू (सिगरेट) के सख्त खिलाफ थे, और लड़का खुद भी सिगरेट से दूर रहता था। अब हमारे नायक ने अपनी तनख्वाह ली, दो पैकेट सिगरेट खरीदे (अब वो खुद भी छोड़ चुके हैं!), और सुपरमार्केट से बाहर निकलने लगे।

‘सिगरेट का उधार’ – पेटी बदले की क्लासिक चाल

इसी बीच, वो सहकर्मी अपने पिता के साथ तनख्वाह लेने लाइन में खड़ा था। हमारे नायक के दिमाग में एक शैतानी आइडिया आया—जैसे हिंदी फिल्मों में कोई हीरो चाल चलता है! उन्होंने उसके पास जाकर एक पैकेट सिगरेट उसकी ओर बढ़ा दिया और कहा—“ये रहा वो सिगरेट का पैकेट जो मैं तुम्हें देना भूल गया था।”

बस फिर क्या था! बेचारा लड़का तुरंत बोला, “अरे, आपने मुझे कुछ नहीं देना था!” लेकिन उसके पिता का चेहरा देखने लायक था—जैसे घर में गैस का सिलेंडर फट पड़ा हो! ये थी वो पल, जब छोटा सा बदला पूरे माहौल का रंग बदल देता है।

Reddit समुदाय की प्रतिक्रियाएँ: ‘धुआँधार’ बदला, हंसी के ठहाके

Reddit पर इस किस्से ने धूम मचा दी। एक यूज़र ने लिखा—“भाई, तूने तो उसे धुएं में उड़ा दिया!” (Smoked him) तो दूसरे ने कहा, “बिना फिल्टर का बदला!” (Unfiltered revenge)। ऐसा ही तो होता है हमारे यहां भी—गली-मोहल्ले में कोई हल्की शरारत कर दे, तो दोस्त ठहाके लगाते नहीं थकते।

एक कमेंट में किसी ने मजाक करते हुए लिखा, “अगर सिगरेट महंगी न होती, तो पूरा पैकेट ले लेता!” तो कोई बोला, “उस जमाने में सिगरेट 1 रुपये में मिल जाती थी, आज तो 15-20 रुपये का झटका है!” (यहां Reddit यूज़र्स ने डॉलर की जगह भारतीय मूल्य बता दिया होता तो मजा और आ जाता।)

कुछ ने गंभीर सवाल भी उठाए—क्या पता लड़के के पिता ने घर जाकर उसे डांट दिया हो। खुद कहानी लिखने वाले ने भी बाद में माना—“ये हरकत थोड़ी नीच थी, लेकिन हम दोनों ही उस उम्र में मूर्ख थे। उस वक्त दिमाग में ये बात नहीं आई कि इससे किसी को घर में परेशानी हो सकती है।”

छोटी बदला-कहानियां और भारतीय संदर्भ

हमारे देश में भी ऐसे ‘पेटी रिवेंज’ के किस्से आम हैं—कभी कोई दोस्त आपकी टिफिन चुपके से खा जाता है, तो आप भी बदले में उसकी बोतल छिपा देते हैं। मोहल्ले के क्रिकेट मैच में आउट देने पर अगले मैच में ‘बीच में से’ गेंद फेंक देना—यानी छोटी-छोटी शरारतें, जिनका असर बड़ा नहीं, पर यादें गहरी छोड़ जाती हैं।

इस Reddit पोस्ट ने एक बात तो साफ कर दी—चाहे अमेरिका हो या भारत, युवा मन की शरारतें और ‘पेटी रिवेंज’ की कहानियां हर जगह समान हैं। फर्क सिर्फ किरदारों का है।

निष्कर्ष: किस्से सुनिए, हंसिए, पर सीख भी लीजिए!

दोस्तों, ऐसी कहानियां हमें हंसाती हैं, बीते वक्त की याद दिलाती हैं, साथ ही ये भी सिखाती हैं कि कभी-कभी छोटी-सी शरारत सामने वाले के लिए बड़ी परेशानी भी बन सकती है। तो अगली बार जब आपको अपने ऑफिस या मोहल्ले में किसी पर हल्का-फुल्का बदला लेने का मन हो, तो जरा सोचिए—कहीं आपके मज़ाक से किसी की ‘घरवाली’ नाराज़ न हो जाए!

आपके पास भी ऐसी कोई मजेदार ‘पेटी रिवेंज’ की कहानी है? कॉमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें—शायद आपकी कहानी भी किसी दिन वायरल हो जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: So petty I don’t even remember the offense.