जब एक 'केविना' ने टॉफी की पसंद से तय की इंसान की पहचान!
ज़िन्दगी में ऐसे लोग अक्सर मिल जाते हैं जो छोटी-छोटी चीज़ों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें बना देते हैं। कभी-कभी तो उनकी बातें सुनकर हंसी रोकना मुश्किल हो जाता है। आज मैं आपको एक ऐसी ही मज़ेदार घटना सुनाने वाला हूँ, जिसमें चॉकलेट्स और टॉफियों की पसंद नापसंद से इंसान की पहचान तय करने की कोशिश की गई – और वो भी पूरी गंभीरता के साथ!
टॉफी से पहचान का गणित – केविना का अनोखा लॉजिक
हमारे समाज में वैसे तो पहचान के न जाने कितने पैमाने गढ़े गए हैं – जात, धर्म, भाषा, क्षेत्र, और न जाने क्या-क्या! लेकिन अब तो टॉफियों की पसंद भी पहचान का जरिया बनने लगी है, ऐसा मैंने पहली बार सुना।
यह कहानी है मेरे एक दोस्त की एक्स-गर्लफ्रेंड की, जिसे हम प्यार से 'केविना' कह सकते हैं। जब हम तीनों पहली बार मिले थे, तो दोनों लड़कों को उसमें थोड़ी बहुत दिलचस्पी हो गई थी, लेकिन किस्मत से वह मेरे दोस्त के साथ रिलेशनशिप में आ गई। जल्द ही पता चला कि उसका नेचर थोड़ा 'फिल्मी विलेन' टाइप है – मतलब हर बात में नखरे और तर्क-वितर्क। खैर, बात करते हैं उस ऐतिहासिक दिन की जब उसकी 'लॉजिक' ने हमें हैरान कर दिया।
M&Ms और Skittles की लड़ाई – कौन है 'होंठों' वाला और कौन 'इंद्रधनुष' वाला?
एक दिन हम सब बाहर घूम रहे थे और सामने वेंडिंग मशीन दिखी। मैंने मस्ती-मजाक में M&Ms की पैकेट ले ली। बस, केविना का चेहरा देखने लायक था! उसने एकदम गंभीरता से पूछा – "तुम्हें M&Ms क्यों पसंद हैं? ये तो बहुत 'हौमो' हैं।"
अब आप सोच रहे होंगे, 'हौमो' से उसका क्या मतलब था? क्या चॉकलेट खाने से भी इंसान की पहचान तय होती है? मेरा दोस्त भी यही सोचकर मुस्कुरा रहा था। उसने केविना से पूछा, "तो फिर कौन सी टॉफी 'हौमो' नहीं है?" जवाब आया – "Skittles!"
अब आप ज़रा सोचिए – Skittles का नारा क्या है? "Taste the rainbow!" यानी 'इंद्रधनुष का स्वाद चखो!' अब भारत में भी इंद्रधनुष का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, लेकिन पश्चिमी देशों में 'इंद्रधनुष' एलजीबीटीक्यू+ समुदाय का प्रतीक भी है। यानी केविना ने अपने ही लॉजिक में खुद को फंसा लिया – M&Ms को 'हौमो' बोलकर Skittles को सीधा 'इंद्रधनुष' से जोड़ दिया!
यह बात सुनकर हम दोनों दोस्त अपनी हँसी रोक ही नहीं पाए। केविना को शायद Skittles के नारे की असली 'फीलिंग' ही नहीं पता थी।
क्या टॉफी भी 'संस्कृति' से जुड़ी हो सकती है?
Reddit पर इस कहानी को पढ़कर कई लोगों ने तो केविना की मासूमियत पर मज़ेदार कमेंट्स किए। एक कमेंट था, "शायद उसे 'हौमो' का मतलब ही नहीं पता।" अब भारत में भी कई बार लोग आधा-अधूरा अंग्रेज़ी शब्द इस्तेमाल करते हैं, बिना उसकी गहराई समझे। जैसे 'हौमो' सुनकर कोई दूध के 'होमोजेनाइज़्ड' वर्शन तक पहुँच जाए, वैसे ही वहाँ भी हुआ!
एक और यूज़र ने चुटकी ली, "अगर टॉफियों की भी पहचान होती, तो Skittles ही सबसे ज्यादा रंगीन और 'हौमो' होती!" क्या बात है! भारत में अगर टॉफियों की पहचान होती तो शायद 'पाँच रंग की पाचक गोलियाँ' सबसे ज्यादा 'फैशनेबल' मानी जातीं।
यहाँ तक कि एक मज़ेदार कमेंट में किसी ने कहा – "M&M's इसलिए 'हौमो' हैं क्योंकि चॉकलेट भूरी होती है, और भूरा रंग... (आगे आप खुद समझ लें!)" इस पर किसी और ने भी जोड़ लिया – "और आजकल तो सबके लिए 'बट स्टफ' आम हो गया है!"
कुल मिलाकर, Reddit की जनता ने इस पूरी बहस को एकदम मस्त अंदाज़ में लिया।
भारत के नजरिए से – 'स्वाद' में कोई भेदभाव नहीं!
अब सोचिए, अगर भारत में किसी ने ये लॉजिक लगाया कि कौन-सी मिठाई खाने से क्या पहचान बनती है, तो क्या होता? क्या रसगुल्ला खाने वाले को 'बंगाली' और लड्डू खाने वाले को 'उत्तर भारतीय' कह देंगे? या फिर काजू कतली खाने वाले को 'स्टाइलिश' और इमरती खाने वाले को 'देसी' मानेंगे?
दरअसल, स्वाद का कोई धर्म, जात-पात, या पहचान नहीं होती। जैसे हमारे देश में 'खिचड़ी' सबके लिए है, वैसे ही टॉफियाँ भी सबकी हैं।
इसीलिए, केविना की इस मासूम (या कहें मासूमियत से दूर) सोच को सुनकर यही कहना ठीक रहेगा – ज़िंदगी में कभी-कभी हँसी उड़ाने के लिए ऐसे तर्क-वितर्क भी जरूरी हैं। आखिरकार, हँसी-मज़ाक में ही तो दोस्ती और रिश्तों का असली स्वाद छुपा है!
निष्कर्ष – टॉफी खाओ, चुटकुले सुनाओ!
तो अगली बार जब आप अपने दोस्तों के साथ टॉफी या चॉकलेट खा रहे हों, तो याद रखिए – आपकी पसंद सिर्फ आपके स्वाद की पहचान है, आपकी 'पहचान' की नहीं!
आपको ये किस्सा कैसा लगा? क्या आपके साथ भी कभी किसी ने ऐसी अजीब तर्क-बातें की हैं? कमेंट में जरूर बताइए! और हाँ, अगली बार Skittles खाते वक्त "Taste the rainbow" का मतलब याद रखिएगा – कहीं कोई केविना आपके आसपास न हो!
मूल रेडिट पोस्ट: 'Kevin' thinks the type of candy a person likes determines their sexual orientation, is totally blind to the irony of said candy's slogan...