जब एक्स का गाड़ी उठवाया: बदला भी, मज़ा भी!
प्यार में धोखा, रिश्तों में दर्द – ये बातें भले ही बॉलीवुड की फिल्मों में आम हों, पर असली ज़िंदगी में इनका स्वाद कुछ अलग ही होता है। आज की कहानी है एक ऐसी बहादुर महिला की, जिसने अपने जहरीले (टॉक्सिक) एक्स बॉयफ्रेंड से न सिर्फ पीछा छुड़ाया, बल्कि अपने तरीके से उसे सबक भी सिखाया। और हां, इसमें कार और टो-ट्रक का तड़का भी है, जिससे कहानी और भी मज़ेदार बन जाती है!
जब प्यार में ‘लव’ की जगह ‘लोड’ हो जाए
हमारे देश में अक्सर कहा जाता है, "रिश्ते निभाने पड़ते हैं, तोलमोल के।” Reddit पर साझा की गई इस पश्चिमी कहानी में भी कुछ ऐसा ही हुआ। महिला ने छह महीने तक अपने एक्स को प्यार से, शांति से समझाने की कोशिश की कि भाई, अब घर छोड़ दो। लेकिन एक्स साहब तो जैसे आलसी, गैरजिम्मेदार और नशेड़ी की मिशाल बन गए थे। न पैसे देने, न बिल चुकाने, ऊपर से गुस्से में धमकियाँ – भारतीय परिवारों में इसे ‘घर जमाई’ के बदले ‘घर का सिरदर्द’ कहा जाता!
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस रिपोर्ट और कोर्ट के कागजात तक लाने पड़े। सोचिए, एक रिश्ता जो कभी प्यार से शुरू हुआ था, वह अब कानून और पुलिस तक पहुंच गया। एक्स को आखिरकार घर छोड़ना पड़ा, लेकिन जाते-जाते अपना बेशकीमती खजाना – अपनी कार – एक दोस्त के घर के बाहर छोड़ गया।
एक्स की छोड़ी कार: मोहब्बत का अवशेष या सिरदर्द का सबूत?
अब आप सोचिए, हमारे यहां तो लोग अपनी साइकिल तक आंखों से ओझल नहीं होने देते, कार छोड़ना तो दूर की बात! लेकिन ये जनाब अपनी गाड़ी अपने दोस्त के घर के सामने छोड़कर अपने राज्य लौट गए। महीनों बीत गए, नंबर प्लेट की वैधता भी खत्म हो गई, मगर कार वहीं की वहीं।
एक कमेंट में किसी ने बड़े सही कहा, "भई, ये तो CAR-mic जस्टिस है!" (यहां ‘karma’ और ‘car’ का मज़ेदार खेल है)। यानी जैसा किया, वैसा भोगा। एक और पाठक बोले, "ट्रैश खुद ही निकल गया, बस बाकी कचरा आपने साफ़ कर दिया।"
पश्चिमी देशों में नियम कड़े हैं – गाड़ी अगर लावारिस खड़ी मिले, नंबर प्लेट एक्सपायर हो जाए, तो तुरंत टो-ट्रक बुलाकर उठवा ली जाती है। भारत में भी कई कॉलोनियों में अब ऐसा होने लगा है। लेकिन यहां तो गाड़ी घर के बाहर खड़ी हो तो पड़ोसी ही पहले टोका-टोकी कर देते हैं!
बदले की बयार: जब सब्र का बांध टूटा
महिला को जब पता चला कि एक्स अब भी उसके बारे में झूठ फैला रहा है, तो उसके सब्र का बांध टूट गया। उसने तुरंत कार को लावारिस घोषित करवा कर उठवा दिया। यही नहीं, उस गाड़ी के साथ एक्स का आखिरी रिश्ता भी खत्म हो गया।
कमेंट्स में लोगों ने इस कदम की भरपूर सराहना की। किसी ने कहा, "बहुत खूब! अगर मैं उस दोस्त की जगह होती तो उसी रात टो-ट्रक बुलवा लेती।" एक और पाठक ने चुटकी ली, "सही किया बहन, अब वो कार-लेस भी हो गया और बेइज्जती भी हुई!"
एक पाठक ने मज़ेदार शब्दों में लिखा, "बहुत CARthartic रहा ये बदला – दिल को सुकून देने वाला।" एक अन्य ने जोड़ा, "यही होता है जब कोई CAReless हो जाता है, फिर CAR-less ही रह जाता है!"
दोस्ती का असली रंग और जिंदगी की सीख
कहानी का एक खूबसूरत मोड़ ये भी था कि महिला के ‘हमारे’ दोस्त, अब सिर्फ ‘उसके’ दोस्त बन गए। ऐसा अक्सर होता है – रिश्ते टूटते हैं, मगर सच्चे दोस्त साथ रह जाते हैं। एक पाठक ने सलाह दी, "आगे बढ़ो, और नए दोस्त बनाओ। ऐसे लोगों से दूर रहो जो तुम्हारी जिंदगी में ज़हर घोलें।"
कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि अगर पुलिस नीलामी में गाड़ी बिके तो उसे सस्ते में खरीदकर एक्स को और भी चिढ़ाया जा सकता था। हालांकि महिला ने हंसते हुए कहा, "वाह, क्या आइडिया! लेकिन उसमें और खर्चा हो जाता, मुझे तो बस पीछा छुड़ाना था।"
हमारी संस्कृति में सीख
हमारे यहां भी रिश्तों में अक्सर लोग सहनशीलता की हदें पार कर जाते हैं। कई बार परिवार, मोहल्ला या समाज के डर से लोग ऐसे रिश्तों को ढोते रहते हैं। लेकिन इस कहानी में महिला ने दिखा दिया कि खुद्दारी और आत्म-सम्मान सबसे ऊपर है।
जैसा कि एक पाठक ने कहा, "बेवकूफी की सजा महंगी और शर्मनाक होनी चाहिए।" तो दोस्तों, अगर कोई आपकी जिंदगी में बोझ बन जाए – चाहे वो इंसान हो या उसकी छोड़ी हुई चीज़ – तो समय रहते छुटकारा पा लेना ही अच्छा है।
निष्कर्ष: क्या आपने कभी ऐसा किया है?
इस कहानी ने साबित कर दिया कि बदला छोटा हो या बड़ा, अगर आत्मसम्मान के लिए लिया जाए तो उसकी मिठास अलग ही होती है। कभी-कभी ज़रूरी होता है कि हम अपने लिए खड़े हों, चाहे सामने वाला कोई भी हो।
तो बताइए, क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है? क्या आपने कभी किसी रिश्ते या पुरानी याद को इसी तरह ‘टो’ कर के बाहर फिंकवाया है? अपनी राय और मजेदार किस्से नीचे कमेंट में जरूर साझा करें!
आखिर में, याद रखिए – जिंदगी छोटी है, कचरा खुद उठाकर बाहर फेंकिए, चाहे वो इंसान हो या कार!
मूल रेडिट पोस्ट: Towed my ex’s car