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जब इंटरनेट के शैतान को झांसे में लेकर बनवाया 'नकली कोकीन' – एक देसी अंदाज में बदला

दो दोस्तों का एक सिनेमा जैसा दृश्य, जो इंटरनेट के नापाक व्यक्ति पर प्रैंक करने की योजना बना रहे हैं, बेकिंग सोडा के साथ।
इस नाटकीय क्षण में, हमारे दो दोस्त एक चालाक योजना बनाते हैं ताकि वे इंटरनेट के नापाक व्यक्ति को मात दे सकें। आइए, मिलकर उस मजेदार और अप्रत्याशित कहानी को सुनें, जिसमें बदला और हंसी का तड़का है, और बेकिंग सोडा का एक छींटा भी!

क्या आपको याद है वो समय जब इंटरनेट नया-नया आया था, और चैट रूम्स में अपनी पहचान छुपाकर लोग जो मन चाहे वो कर सकते थे? व्हाट्सएप, फेसबुक तो दूर-दूर तक नहीं थे, बस एक नाम डालिए और पहुंच जाइए 'द अटिक' जैसे किसी चैट रूम में। लेकिन जहां आज की पीढ़ी को हर जगह 'रिपोर्ट' और 'ब्लॉक' का बटन मिलता है, तब अपने आपको और दूसरों को बचाना पूरी तरह खुद की जिम्मेदारी थी।

इंटरनेट का 'जंगल राज': जब चैट रूम थे असली अखाड़ा

90 के दशक के आखिर में इंटरनेट की दुनिया किसी देसी हाट-बाजार जैसी थी—हर कोई आज़ाद, कोई नियम नहीं, और कोई भी नाम लेकर घुस जाओ। इन चैट रूम्स में 'व्हिस्पर' नाम की सुविधा थी, कुछ-कुछ वैसी ही जैसे आजकल के डीएम, लेकिन फर्क ये कि सब कुछ अनमॉडरेटेड और बिना किसी अकाउंट के!

यहां अक्सर लड़कियों और कम उम्र की लड़कों को शरारती, गंदे और अजीब लोग (आज जिन्हें हम 'क्रीप' कहते हैं) परेशान करने लगते थे। चूंकि कोई फोटो या वीडियो नहीं भेज सकता था, सब कुछ ईमेल और कम शब्दों में होता था – और वहीँ से शुरू होती थी असली परेशानी।

इसीलिए, जैसे मोहल्ले की गलियों में अपने पड़ोसी खुद चौकीदारी करते हैं, वैसे ही इन चैट्स के लोग खुद ही अपनी सुरक्षा का जुगाड़ करते थे। 'द अटिक' नामक चैट रूम की कम्युनिटी इतनी मजबूत थी कि हर सदस्य को बाकी लोग पहचानते थे, और नए-नए तरीके ढूंढते रहते थे कि कैसे बदमाशों से निपटा जाए।

असली खिलाड़ी: जब 'फार्मर बॉब' फंसा देसी चाल में

अब कहानी के असली हीरो-हीरोइन की बात करें—एक नौजवान और उसकी गर्लफ्रेंड, जो खुद चैट रूम की 'शेरनी' मानी जाती थी। उनकी शरारती बुद्धि और साहस देखकर हर कोई कहता था, "ये तो शैतान की नानी है!"

इस बार पंगा था 'फार्मर बॉब' नाम के एक अजीब सदस्य से, जिसने बड़ी चालाकी से सबको धोखा देकर कम्युनिटी में जगह बना ली थी। उसकी हरकतें धीरे-धीरे सबके सामने आने लगीं, और कई कम उम्र के सदस्य ईमेल के जरिए परेशान होने लगे। तब दोनों ने तय किया कि अब इस क्रीप को सबक सिखाया जाएगा!

शुरुआत हुई एक मासूम सी नौसिखिया बनकर उससे बात करने से। जैसे ही 'फार्मर बॉब' फंसा, उसने अपने बारे में डींगे हांकनी शुरू कर दी—गांव में बड़ा किसान, पैसे वाला, लकड़ी की चप्पल पहनकर लड़कियों को इम्प्रेस करता है! इधर हमारी जोड़ी ने भी सोच लिया, "अब इसे ऐसी पटखनी देंगे कि जिंदगी भर याद रखेगा।"

नकली 'कोकीन' का जाल और स्पैंकिंग वीडियो का कमाल

अब आई मास्टरस्ट्रोक की बारी—गर्लफ्रेंड ने उससे कहा, "अगर तुम असली मर्द हो, तो कोकीन ला सकते हो? वैसे, एक देसी जुगाड़ है—तीन हिस्से बेकिंग सोडा और एक हिस्सा वेनिला शुगर मिलाओ, और वही नशा आ जाएगा!"

सोचा था, अब तो ये समझ जाएगा कि मखौल उड़ाया जा रहा है। पर 'फार्मर बॉब' तो एकदम सीरियस निकला—बोला, "अरे हाँ, ये ट्रिक तो मैं भूल ही गया था!" और वादा किया कि आज ही ट्राय करेगा।

कुछ दिन बाद, एक गुस्से से भरा ईमेल आया—"तुमने मेरी नाक से खून निकलवा दिया! क्लिनिक जाना पड़ा!" अब यहां से तो खेल और मजेदार हो गया। दोनों ने उल्टा उसे ही समझा दिया कि शायद उसने मिक्स गलत कर लिया, और हद तो तब हुई जब गर्लफ्रेंड ने कहा कि वो तो जर्मन स्पैंकिंग पोर्न बनाती है और यही 'नकली कोकीन' उसमें यूज़ करती है।

इस स्टोरी की सबसे मजेदार बात ये थी कि 'फार्मर बॉब' ने वो बेकार सा, घर में बनाया गया फेक 'स्पैंकिंग वीडियो' भी असली मान लिया और खरीदने की गुहार लगाने लगा! शर्त रख दी—पहले दोबारा 'DIY कोकीन' ट्राय करो! इसके बाद वो शख्स हमेशा के लिए गायब हो गया।

कम्युनिटी की बुद्धिमानी और देसी तड़का

रेडिट पर इस कहानी ने धूम मचा दी। एक यूज़र ने लिखा, "भैया, ये तो 4D शतरंज का गेम खेल दिया!" कोई बोला, "आज के ज़माने में भी क्रीप को ऐसे चकमा दे पाना मुश्किल है, सलाम है!" एक और ने याद किया कि 90s के 'A/S/L?' वाले दिन आज भी याद आते हैं, जब हर कोई अपना उम्र, जेंडर और लोकेशन पूछता था—कुछ-कुछ हमारे देसी 'कहाँ से हो?' जैसा।

कुछ ने कहा कि पहले के चैट रूम्स में खुद की सुरक्षा करना जरूरी था, जैसे गली-मोहल्ले में खुद ही गश्त लगानी पड़ती है। 'Ctrl+V' से चैट स्पैम करना भी एक देसी जुगाड़ जैसा था—एक कमेंट ने लिखा, "क्रीप को तंग करने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता!"

और सबसे बढ़िया बात, खुद कहानीकार ने बताया कि उन दिनों में बड़े लोग बच्चों जैसे नाबालिग मेंबर्स को भाई-बहन, मामा-चाचा की तरह समझकर उनकी रक्षा करते थे। आज शायद ये अजीब लगे, लेकिन तब यही इंटरनेट का अपनापन था।

निष्कर्ष: इंटरनेट का असली बदला—जुगाड़ और हंसी का तड़का

इस पूरी कहानी में मज़ा भी है, सीख भी। जब सिस्टम में कोई नियम ही न हो, तब देसी जुगाड़, आपसी समझदारी और थोड़ी-सी शरारत से भी बड़ी-बड़ी मुश्किलें हल हो सकती हैं।

सोचिए, अगर अगली बार आपको कोई ऑनलाइन क्रीप परेशान करे, तो क्या आप भी कोई ऐसा देसी जुगाड़ अपनाएंगे? या कोई फनी अनुभव आपके भी पास है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, और अगर कहानी पसंद आई हो तो शेयर करना न भूलें—क्योंकि 'हंसना मना नहीं है!'


मूल रेडिट पोस्ट: The story when me and my (ex-gf) tricked an internet creep into snorting baking soda