जब अफसर ने कहा 'नाले में फेंक दो' – और कर्मचारी ने सच में फेंक दिया!
कार्यालयों में कभी-कभी ऐसे हालात बन जाते हैं कि हँसी रोकना मुश्किल हो जाता है। हर किसी के दफ्तर में एक ना एक "साहब" तो होता ही है, जो हमेशा व्यस्त रहता है, हर किसी को आदेश देता है पर खुद भी नहीं जानता कि क्या चाहिए। आज मैं आपको ऐसी ही एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो Reddit पर खूब वायरल हुई – पर इसका मज़ा तो अपनी हिंदी में ही है!
"अरे, नाले में फेंक दो!": अंग्रेज़ी ऑफिस की देसी कहानी
यह कहानी एक युवक के पिता की है जो कई साल पहले एक कंपनी में काम करते थे। उनका काम था ट्रकों से सामान उतारना – हमारे यहाँ की मंडी या गोदाम की तरह समझ लीजिए। वहाँ एक बड़ी-सी डिलीवरी बय (जहाँ ट्रक रुकते हैं) थी और उसके बगल में एक छोटा-सा नाला बहता था। अब साहब थे कि हमेशा तनाव में रहते, कभी भी सीधे जवाब नहीं देते कि आखिर उन्हें माल कहाँ रखना है।
एक दिन फिर वही अफरा-तफरी, ट्रकों की लाइन लगी थी। युवक के पिता ने बड़े अदब से पूछा, "साहब, ये पैलेट कहाँ रख दूँ?" अब साहब वैसे ही झुँझलाए बैठे थे, बोले – "अरे, बस नाले में फेंक दो!"
आदेश का अक्षरशः पालन – 'समझदारी' या 'शरारत'?
अब सोचिए, हमारे यहाँ तो कर्मचारी अक्सर खुद ही समझदारी दिखा लेते हैं – पर जनाब, कभी-कभी शरारत भी ज़रूरी है! साहब ने जब आदेश दे ही दिया तो युवक के पिता ने भी सोच लिया, "सुनो सबका, करो मन का!" उन्होंने पूरा पैलेट उठा कर धड़ाम से नाले में डाल दिया।
जब साहब ने देखा कि सचमुच सामान नाले में जा चुका है, तो उनके चेहरे का रंग उड़ गया। Reddit पर इस कहानी को पढ़कर लोग ठहाके लगा रहे हैं। एक यूज़र ने मज़ाक में लिखा – "ये कहानी तो गले उतर ही जाती है!" (असल में अंग्रेज़ी में pallet और palatable का खेल था, पर अपनी हिंदी में तो यही मज़ा है!)
क्या नुकसान हुआ? और साहब ने फिर क्या सीखा
अब सवाल उठता है – जो सामान नाले में गया, वो बचा या नहीं? एक कमेंट करने वाले ने पूछा, "क्या वो सामान बाद में काम आया?" भाई, सच पूछिए तो हमारे यहाँ भी अगर चावल-आटा पानी में गिर जाए तो माँ डांट तो देती है, पर बाद में सूखाकर इस्तेमाल कर ही लेते हैं! Reddit पर भी लोग यही सोच रहे थे – "क्या पैलेट में पतवार थे?" या "साहब अब खुद नाले में उतर कर निकालेंगे?"
एक और मज़ेदार कमेंट था – "अब तो साहब खुद ही नाले में फँस गए!" यानी, अपने ही आदेश में खुद उलझ गए। इस घटना के बाद साहब ने कभी दोबारा ऐसा उलझन भरा जवाब नहीं दिया। अब जब भी कोई आदेश देते, दो बार सोचते और साफ बताते कि सामान कहाँ रखना है।
भारतीय दफ्तरों की हकीकत – आदेश की उलझन
हमारे यहाँ भी दफ्तरों में अक्सर ऐसे ही हालात होते हैं। कोई साहब कहता है – "फाइल कहीं भी रख दो!" तो जूनियर फाइल को अलमारी के ऊपर या नीचे टिका देता है, फिर साहब खुद खोजते रह जाते हैं। एक पाठक ने लिखा – "मेरे बॉस ने कभी कहा था, 'इनवॉइस को दाएं कोने में रख दो', मैंने सच में उसे कोने में फँसा दिया!"
इससे हमें यह भी सीख मिलती है कि जब आप किसी को काम बताते हैं, तो साफ और स्पष्ट निर्देश दें – वरना ऐसे ही किस्से बनते रहेंगे, जिन्हें लोग सालों बाद हँसते-हँसते सुनाते हैं।
हँसी-मज़ाक में छिपा बड़ा सबक
इस कहानी में हँसी तो है ही, साथ ही एक सीधा संदेश भी है – कभी भी बिना सोचे-समझे आदेश मत दीजिए। और कर्मचारी भाइयों के लिए – कभी-कभी बॉस के उलझन भरे आदेश का जैसा का तैसा पालन करने में भी बड़ा मज़ा है!
तो अगली बार जब आपके अफसर कहें, "कुछ भी कर लो", तो सोच लीजिए – कहीं वो भी Reddit की किसी कहानी के हीरो न बन जाएँ!
आपके ऑफिस में ऐसा कुछ हुआ है?
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई मज़ेदार किस्सा हुआ है? नीचे कमेंट में ज़रूर सुनाइए। और अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो तो दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूलिए – क्या पता, उनके बॉस भी कभी 'नाले में फेंक दो' टाइप के आदेश दे चुके हों!
मूल रेडिट पोस्ट: As you want.