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जनाब, पुरानी बुकिंग से होटल का कमरा नहीं मिलता – होटल रिसेप्शनिस्ट की मज़ेदार आपबीती!

रात के समय होटल रिसेप्शनिस्ट एक अनपेक्षित मेहमान का सामना कर रहा है।
रात के सन्नाटे में, एक होटल रिसेप्शनिस्ट अचानक आए मेहमान का सामना करती है, जो मेह hospitality की अनोखी चुनौतियों को उजागर करता है। यह दृश्य होटल में काम करने के अनुभव और अप्रत्याशित मुसीबतों की झलक देता है।

अगर आपको लगता है कि सिर्फ भारत में ही ग्राहक अजीब-अजीब मांगें करते हैं, तो जनाब, आप गलत हैं! दुनिया के किसी भी होटल में चले जाइए, वहाँ भी लोग ऐसे-ऐसे तर्क लेकर पहुँच जाते हैं कि रिसेप्शनिस्ट को माथा पकड़ना पड़ जाए। आज की कहानी एक ऐसे ही होटल रिसेप्शनिस्ट की है, जिसने अपनी पहली नौकरी में ही मानवता की बुद्धिमता पर संदेह कर लिया!

होटल की रात और एक बेमिसाल ग्राहक

2024 की बात है, एक होटल में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी कर रहा था – काम सीधा-सादा, लेकिन शिफ्ट वही ‘तीसरी रात’ वाली। बाकी टीम में अकेला पुरुष होने के चलते, यही ड्यूटी मिल गई थी। वैसे भी, रात की शिफ्ट में होटल में अजीब किस्से अक्सर सुनने-सुनाने को मिल जाते हैं।

उस रात, मैं काउंटर साफ कर ही रहा था कि एक साहब आए – दिखने में तो एकदम शांत, जैसे कोई फिल्मी हीरो। मैंने मुस्कराते हुए पूछा, “नमस्कार सर, क्या आपने बुकिंग की है?”

साहब बोले, “हाँ, मेरे नाम से।”

मैंने झट से कंप्यूटर में नाम ढूंढा, लेकिन नतीजा – ढाक के तीन पात! कोई रिजर्वेशन नहीं मिला। मैंने सोचा, शायद और किसी नाम से बुकिंग की हो, तो विनम्रता से पूछा। अब जनाब अपने फोन में बुकिंग ढूंढ़ने लगे – और एक घंटे तक खोजते रहे! होटल में कोई मेहमान एक घंटे भी अगर अपना नाम न बता पाए, तो समझ लीजिए कुछ गड़बड़ है।

बुकिंग निकली पिछले महीने की, लेकिन साहब की जिद देखिए!

आखिरकार, उन्होंने फोन आगे बढ़ाया – उसमें बुकिंग थी, लेकिन तारीख…पिछले महीने की! मैंने हैरानी से कहा, “सर, ये बुकिंग तो पिछले महीने की है।”

अब साहब थोड़े नाराज़ होकर बोले, “तो इसमें क्या दिक्कत है?” अब आप ही बताइए, अगर कोई शादी का कार्ड लेके अगले साल मंडप में पहुंच जाए, तो क्या पंडित जी फेरे करवाएंगे?

मैंने समझाया, “सर, पुरानी बुकिंग अब मान्य नहीं है। आज के लिए नई बुकिंग करवा लीजिए।”

लेकिन जनाब तो मानो ‘असली ग्राहक भगवान होता है’ वाली सोच लेकर आए थे। बोले, “ऐसी बकवास बात मत करो, मुझे मेरा कमरा दो, मुझे बहुत थकावट है।”

मैंने फिर विनम्रता से कहा, “या तो आज के लिए बुकिंग कीजिए, या फिर आपको होटल छोड़ना पड़ेगा। मैं पुरानी बुकिंग पर कमरा नहीं दे सकता।”

गुस्से में बिफर पड़े गेस्ट, लेकिन नियम तो नियम हैं!

अब साहब का पारा सातवें आसमान पर, बोले – “तुम्हारा मैनेजर बुलाओ, वरना नौकरी से निकलवा दूँगा!”

मैंने शांति से जवाब दिया, “सर, मैनेजर सुबह 9 से शाम 6 तक रहते हैं, चाहें तो उनका नंबर ले लीजिए, शिकायत कर सकते हैं।”

गेस्ट गुस्से में होटल से निकले, जाते-जाते बोले, “अब तो तेरी नौकरी गई!” मैंने मुस्कराकर कहा, “शुभ रात्रि सर।”

होटल कर्मियों की पीड़ा – क्या ग्राहक हमेशा सही होता है?

इस किस्से के बाद Reddit कम्युनिटी में भी खूब चर्चा हुई। एक यूज़र ने बड़े मज़ेदार अंदाज़ में लिखा – “ऐसे लोगों के लिए कोई जवाब नहीं होता!” होटल इंडस्ट्री में धैर्य और सहानुभूति चाहिए, लेकिन जब ऐसे-ऐसे ग्राहक रोज़-रोज़ मिलें, तो भगवान ही मालिक है।

एक और कमेंट में किसी ने लिखा – “अगर ग्राहक सच में कमरा चाहता था, तो उसे उसी वक्त नई बुकिंग करनी चाहिए थी। लेकिन नहीं, उसे तो मुफ्त में पुरानी बुकिंग से कमरा चाहिए था!”

कुछ लोगों ने तो भारतीय अंदाज में सलाह दी – “अगर दीनदयाल जी, आप इतने गुस्से में हैं, तो पुलिस को बुलाओ या फिर होटल छोड़ दो!”

ओपी (मूल लेखक) ने भी बताया कि ऐसे बर्ताव से उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ – कई बार तो रोना आ जाता था! होटल की नौकरी बाहर से जितनी चमचमाती दिखती है, असल में उतनी ही थकाऊ और तनावपूर्ण होती है – खासकर जब ग्राहक पुरानी बुकिंग लेके, हक जताते हुए आ धमकें।

ग्राहक देवता और भारतीय होटल संस्कृति

हमारे यहाँ भी अक्सर लोग होटल में पुरानी बुकिंग या “फ्लैशबैक ऑफर” का हवाला देकर बहस करने लगते हैं – “भैया, उस दिन तो 500 रुपये था, आज 1000 कैसे हो गया?” या फिर “मैंने तो फोन पर बात की थी, आप लोग भूल गए!”

ऐसे में रिसेप्शनिस्ट की हालत वैसी ही हो जाती है, जैसे रेलवे स्टेशन पर टिकट काउंटर वाला, जब कोई यात्री महीनों पुरानी टिकट लेकर प्लेटफॉर्म पर चढ़ने की कोशिश करता है!

एक और कमेंट में मज़ेदार सुझाव था – “सर, अगर आप चाहते हैं कि पिछले महीने की बुकिंग से कमरा मिले, तो आपको हर दिन का किराया देना पड़ेगा – 30 दिन X 500 रुपये!” अब ऐसे में कोई भी ग्राहक भाग खड़ा हो!

निष्कर्ष – ग्राहक भगवान है, पर नियम भी भगवान से कम नहीं

इस कहानी से एक बात तो साफ है – होटल हो या कोई भी सेवा क्षेत्र, नियम सबके लिए बराबर हैं। ग्राहक भले ही भगवान हो, लेकिन होटल के नियम, बुकिंग की तारीख और कर्मियों की मेहनत भी किसी पूजा से कम नहीं।

तो अगली बार जब आप होटल जाएं, तो तारीख ज़रूर देख लें। वरना रिसेप्शन पर बैठे भाईसाहब या बहनजी को भी लगेगा कि “मानवता की बुद्धिमता पर संदेह करना चाहिए था!”

क्या आपके साथ भी कभी ऐसी कोई अजीब होटल बुकिंग का अनुभव हुआ है? अपनी कहानी नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें! और अगर आपको ये किस्सा पसंद आया हो, तो दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

शुभ यात्रा और नियमों का पालन करें – होटल वाले भी इंसान हैं, भगवान नहीं!


मूल रेडिट पोस्ट: No, you can't use the reservation you made a month ago.