चुप रहो' का आदेश और मीटिंग में हुआ तमाशा: ऑफिस राजनीति की एक मज़ेदार कहानी
ऑफिस की राजनीति हमारे देश में भी किसी टीवी सीरियल से कम रंगीन नहीं होती। कभी बॉस की तारीफ़, कभी किसी की टांग खिंचाई, और कभी-कभी वो पल जब काम करने वाला चुपचाप बैठा होता है और सारा क्रेडिट लेने वाला फंस जाता है! ऐसी ही एक कहानी Reddit पर वायरल हुई, जिसने हज़ारों लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया।
कहानी का नायक एक बड़े प्रोजेक्ट का असली हीरो था, लेकिन उसकी मैनेजर चाहती थी कि सारा क्रेडिट उसके हिस्से में आए। उसने आदेश दिया – "मीटिंग में बस बैठो, कुछ मत बोलना।" अब आगे क्या हुआ, जानकर आपके चेहरे पर भी शरारती मुस्कान आ जाएगी।
जब "चुप रहो" का आदेश बना आफत
सोचिए, आपकी मेहनत से प्रोजेक्ट चल रहा हो, लेकिन आपकी मैनेजर चाहती है कि ऊपर वाले सिर्फ उसे जानें। तो उसने हमारे नायक को मीटिंग में बैठा तो दिया, लेकिन मना कर दिया कि मुंह मत खोलना। मीटिंग जैसे ही शुरू हुई, VP (वाइस प्रेसिडेंट) ने प्रोजेक्ट की बारीकियों पर सवाल पूछने शुरू किए। लेकिन मैडम मैनेजर तो उन सवालों के जवाब दे ही नहीं पाईं, क्योंकि असल में तो उन्होंने काम में हाथ तक नहीं लगाया था!
यहाँ पर नायक ने वही किया, जो आजकल के कई ऑफिस वॉरियर्स करते हैं – बॉस के आदेश का "मालिशियस कम्प्लायंस" यानी ताने-बाने से पालन! मीटिंग में चुपचाप बैठा रहा, नोट्स बनाता रहा, और जब सवालों की बौछार आई, तो मैनेजर की बोलती बंद हो गई। VP के सामने उनकी पोल खुल गई – और फिर क्या, मैनेजर का चेहरा देखने लायक था!
ऑफिस राजनीति: "क्रेडिट की भूख" और उसका अंजाम
ऑफिस में क्रेडिट लेने की यह बीमारी कोई नई बात नहीं है। कई बार मैनेजर अपने नीचे काम करने वालों को आगे बढ़ने नहीं देते, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं उनकी कुर्सी खतरे में न पड़ जाए। Reddit के एक कमेंट में किसी ने बड़े मजेदार अंदाज़ में लिखा – "ऐसे मैनेजर अक्सर खुद ही फंस जाते हैं, क्योंकि असली काम करने वाला ही असली हीरो होता है।"
एक और यूज़र ने अपनी कहानी शेयर करते हुए लिखा, "मुझे भी एक प्रोजेक्ट में बस बैठने के लिए कहा गया था। जब मैंने एक बड़ी गलती देखी, तो किसी ने मुझे बोलने नहीं दिया। बाद में जब प्रोजेक्ट में लाखों का नुकसान हुआ, तब सबको अहसास हुआ कि असली जानकारी किसके पास थी!" इस कहानी में भी वही हुआ – मैनेजर की पोल मीटिंग में खुल गई और सबको समझ आ गया कि असली काम किसने किया है।
VP की चालाकी और टीम वर्क का असली मतलब
इस पूरी कहानी में VP की समझदारी भी काबिल-ए-तारीफ है। OP (मूल पोस्टर) ने बाद में बताया कि VP खुद भी मैनेजर की हरकतों से खुश नहीं था, इसलिए उसने जानबूझकर सवाल पूछे, ताकि पर्दा हट जाए और सही लोग सामने आ जाएं। कई बार सीनियर लीडरशिप टीम में असली टैलेंट पहचान लेती है, भले ही मैनेजर बीच में दीवार खड़ी करने की कोशिश करे।
एक कमेंट में किसी ने लिखा, "मेरे बॉस हमेशा कहते थे – टीम का नाम चमकाओ, क्योंकि अंत में वही तुम्हें आगे बढ़ाएगी।" अच्छा मैनेजर वही है, जो अपनी टीम को आगे बढ़ने दे, न कि उनकी चमक दबाए।
भारतीय संदर्भ: ऐसे किस्से हर ऑफिस में
अगर आप भी किसी भारतीय ऑफिस में काम करते हैं, तो ऐसी राजनीति से जरूर दो-चार हुए होंगे। चाहे सरकारी दफ्तर हो या प्राइवेट कंपनी – "क्रेडिट लेने" और "गेटकीपर" बनने की आदत आम है। कई बार असली काम करने वाला ही किनारे बैठा रहता है, और मीटिंग में वो लोग बोलते हैं जिन्हें प्रोजेक्ट का ABC भी नहीं पता!
लेकिन जैसे-जैसे ऑफिस कल्चर बदल रहा है, अब सच्चे टैलेंट की कद्र भी होने लगी है। ऐसे किस्से हमें सिखाते हैं कि अपनी मेहनत पर भरोसा रखो, और वक्त आने पर सच खुद-ब-खुद सामने आ जाता है।
पाठकों के लिए सवाल – क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है?
इस कहानी से हमें हंसी भी आती है और सीख भी मिलती है – जब आपसे कहा जाए, "चुप रहो", तो कभी-कभी वही सबसे बड़ा जवाब बन जाता है! क्या आपके ऑफिस में भी किसी ने आपकी मेहनत का क्रेडिट छीनने की कोशिश की है? या आपने भी कभी "मालिशियस कम्प्लायंस" का सहारा लिया?
नीचे कमेंट में अपने किस्से जरूर शेयर करें। कौन जाने, आपकी कहानी भी किसी के चेहरे पर मुस्कान ले आए!
धन्यवाद, और अगली बार मीटिंग में जाने से पहले यह कहानी जरूर याद रखिएगा – क्योंकि कभी-कभी चुप रहना भी बड़ी बात कह जाता है!
मूल रेडिट पोस्ट: Sure; I’ll keep my mouth shut