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चाचा की जिद – “मुझे Outlook वैसा ही चाहिए जैसा था!” : एक देसी टेक सपोर्ट की कहानी

एक तकनीकी विशेषज्ञ एक बुजुर्ग उपयोगकर्ता के लिए Windows 10 पर Outlook 2007 की समस्या सुलझा रहा है।
एक जीवंत दृश्य में एक तकनीकी माहिर, Outlook 2007 को Windows 10 डिवाइस पर ठीक करते हुए, एक बुजुर्ग मित्र को उनके ईमेल तक पहुंचने में मदद कर रहा है।

हमारे मोहल्ले में अगर किसी का कंप्यूटर या मोबाइल दिमाग खराब करने लगे, तो लोग सबसे पहले “इलाके के टेक एक्सपर्ट” को ही बुलाते हैं। अब ये एक्सपर्ट कोई आईटी इंजीनियर नहीं, बस वही लड़का-लड़की जो वाई-फाई रीस्टार्ट करना, प्रिंटर के ड्राइवर इंस्टॉल करना या WhatsApp की D.P. बदलना जानता हो।

ऐसी ही एक शाम मेरे पास कॉल आई – “बेटा, Outlook नहीं खुल रहा, आकर देख ले।” बुलावा था 80 साल के शर्मा चाचा का, जो कंप्यूटर और ईमेल को लेकर बड़े जिद्दी हैं। पुराने जमाने के सरकारी अफसर रहे हैं, तो आदत से मजबूर, सब कुछ “वैसा का वैसा” चाहिए।

“मुझे Outlook वही चाहिए, जो पहले था!”

मैं पहुंचा, तो चाचा जी ने तुरंत कंप्यूटर ऑन करवाया। Outlook 2007 का आइकन दबाते ही error आ गया। मैंने सोचा, चलो ब्राउज़र से मेल खोलकर दिखा दूं, लेकिन चाचा बोले, “मुझे वही Outlook चाहिए, वही पुराना वाला! ब्राउज़र-व्राउज़र मुझे मत दिखा।”

अब बताइए, 15-20 साल पुराना सॉफ्टवेयर, नया Windows 10, और ऊपर से Outlook के पुराने वर्ज़न की नखरेबाज़ी – ये तो वही बात हो गई, जैसे कोई आज भी Doordarshan के ब्लैक-व्हाइट टीवी पर IPL देखना चाहे!

तकनीकी झमेला, ChatGPT और मोहल्ले की सलाह

मैंने फटाफट Google और ChatGPT दोनों की मदद ली। ChatGPT ने बोला – “पुराना Office और नया Windows एक-दूसरे से ठीक से बात नहीं कर पाते, इसलिए Restore नहीं हो रहा।”

मगर Reddit पर एक मजेदार कमेंट था – “ChatGPT तो बस शब्दों की खिचड़ी बनाता है, सच्चाई की कोई गारंटी नहीं!” एक और भाई साहब ने कहा, “अगर Resident Tech Guy बनना है तो ChatGPT के भरोसे मत रहो, वरना तुम्हारी टेक डिग्री को सूरज में फेंक देना चाहिए।”

सच कहूं, मोहल्ले के लोग भी ऐसे ही राय देते – “बेटा, गूगल पर देख ले, बाकी अगर न चले तो शर्मा जी के भांजे को बुला ले, वो दिल्ली में आईटी में है!”

पुरानी आदतें और देसी ग्राहक की जिद

चाचा की जिद्द देखकर लगा, जैसे वो चाहते हैं – “कोका कोला लाओ, पर उसमें स्वाद पुरानी ठंडी वाली बोतल जैसा चाहिए!”

कमेंट्स में किसी ने लिखा, “बुजुर्गों को बस वही चाहिए, जैसा पहले था, उन्हें नए फीचर्स, सिक्योरिटी अपडेट्स या ब्राउज़र मेल से मतलब नहीं।” खुद OP (Original Poster) ने भी बताया – “चाचा जैसे लोग हर स्टेप पर पूछते हैं – ये क्यों कर रहे हो? POP3 क्या होता है? IMAP क्यों बेहतर है?” अगर जवाब न मिला तो बेचैन हो जाते हैं।

हमारे यहां भी यही हाल है – अगर काम करते करते आप रूखें, तो सवालों की बौछार शुरू: “बिटिया, ये क्यों हो रहा है? सिस्टम हैंग क्यों करता है? Outlook का रंग बदल गया क्या?”

असली समाधान और देसी टेक सपोर्ट की सीख

आखिरकार, OP ने लिखा कि एक महीना बाद असली आईटी वाला आया, उसने Outlook 2007 को पेन ड्राइव से फिर से इंस्टॉल कर दिया – सब ठीक!

सबक क्या मिला? पुरानी आदतें आसानी से नहीं जातीं, और टेक सपोर्ट में धैर्य सबसे बड़ी कुंजी है। साथ ही, ChatGPT या AI की सलाह पर आंख मूंदकर भरोसा करना सही नहीं। एक Reddit यूज़र ने सही कहा – “AI अगर गलत सलाह दे दे, तो आपकी मेहनत पर पानी फिर सकता है।”

एक और कमेंटर ने Outlook के IMAP और POP3 का फर्क बहुत देसी अंदाज़ में समझाया – “IMAP सर्वर पर मेल की कॉपी रखता है, POP3 मेल को डाउनलोड करके सर्वर से हटा देता है। यानी, एक में फाइल घर पर भी रहेगी और बैंक में भी, दूसरे में बैंक से पैसा निकालते ही बैंक खाली!”

अंत में – टेक सपोर्ट का देसी सच

शर्मा चाचा खुश, Outlook फिर से वैसे ही चल रहा है जैसे 2009 में था। लेकिन इस पूरे किस्से ने एक बात फिर से साबित कर दी – हमारे देश में टेक्नोलॉजी से ज़्यादा जज्बात चलते हैं। लोग बदलाव से डरते हैं, पुराने सिस्टम से मोहब्बत रखते हैं, और “जैसा था, वैसा ही चाहिए” की जिद लेकर बैठे रहते हैं।

अगर कभी आपके मोहल्ले में भी कोई ऐसा Outlook वाला मामला आए, तो याद रखिए – धैर्य, देसी जुगाड़ और हल्की-फुल्की हंसी, यही है असली देसी टेक सपोर्ट का मंत्र!

क्या आपके साथ भी ऐसी कोई हास्यास्पद या दिलचस्प टेक सपोर्ट की कहानी हुई है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए – आपकी कहानी अगले ब्लॉग में जगह पा सकती है!


मूल रेडिट पोस्ट: 'I want outlook the way it was'