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ग्राहक भगवान है... लेकिन कब तक? जानिए 'Karen' की कहानी जिसने छूट और फ्री शराब का खेल खेला

ऑनलाइन ऑर्डर संभालते हुए एक किराना स्टोर कर्मचारी, ग्राहक इंटरैक्शन की चुनौतियों को दर्शाते हुए।
किराना स्टोर की हलचल के बीच, हमारा नायक ऑनलाइन ऑर्डर और यादगार ग्राहकों, जैसे कि प्रसिद्ध "करन," की जटिलताओं को संभालता है। यह फोटो यथार्थवादी छवि खुदरा क्षेत्र में उन अनूठे क्षणों की आत्मा को पकड़ती है, जहां कभी-कभी चुप रहना सबसे अच्छी रणनीति होती है।

हर दुकान, ऑफिस या मोहल्ले में एक 'करन' (Karen) ज़रूर मिल जाती हैं। ये वो लोग होते हैं जो हमेशा शिकायतें करते रहते हैं, तर्क-वितर्क में माहिर, और मानो दुनिया सिर्फ़ उनकी सेवा के लिए बनी हो। आज हम आपको एक ऐसी ही 'करन' की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो अमेरिका के एक सुपरमार्केट में अपने नखरे और चालाकियों के लिए मशहूर थी।

आप सोचिए, लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में, जब सब्ज़ी, दूध और दाल के लिए लोग लाइन में लगे हों, वहाँ कोई ग्राहक बार-बार अपना ऑर्डर लौटाए, छूट का फायदा उठाए और फ्री में शराब भी ले जाए—तो कैसा लगेगा?

जब ग्राहक ही बन जाए सिरदर्द

मार्च 2020 की बात है। एक बड़े सुपरमार्केट में ऑनलाइन ऑर्डरिंग और पिकअप की जिम्मेदारी एक कर्मचारी को मिली। जॉइनिंग के पहले ही दिन बाकी कर्मचारियों ने उसे चेतावनी दी—"Karen" से बचकर रहना! अब नाम तो वही, और स्टाइल भी वही—बालों की कटिंग बिल्कुल "मैं मैनेजर से बात करना चाहती हूं" टाइप।

Karen की शिकायतों की लिस्ट कभी खत्म ही नहीं होती थी। कभी फल ताज़ा नहीं, तो कभी डिब्बे में हल्की सी डेंट, कभी ऑर्डर अधूरा—समझिए कि हर बार कोई न कोई बहाना। यहाँ तक कि हर बार उसे मामूली पैसे का रिफंड भी देना पड़ता। कर्मचारी सोचते, "ग्राहक भगवान है", लेकिन भगवान भी कभी-कभी परीक्षा ले लेते हैं!

मुफ्त की शराब और छूट का खेल

अब असली खेल शुरू हुआ। कर्मचारी ने गौर किया कि Karen को हर बार शराब भी फ्री मिल जाती है! असल में, वहाँ के नियमों के मुताबिक़, शराब सुबह के एक निश्चित समय से पहले नहीं बिक सकती थी। लेकिन Karen जानबूझकर समय से पहले आ जाती और स्टाफ KPI (Key Performance Indicator) के चक्कर में जल्दी-जल्दी बिल चुका देते। शराब का बिल सिस्टम में नहीं लगता और वो फ्री में निकल जाती!

एक Reddit यूज़र ने मज़े से लिखा—"यार, ये तो जैसे अंगूर का रस समझ के ले जा रही थीं!" एक दूसरे ने चुटकी ली—"अगर ये भारत में होता, तो मोहल्ला अख़बार वाले से लेकर पान वाले तक सबको पता चल जाता!"

Karen की चाल यहीं नहीं रुकी। एक दिन, कर्मचारी को पता चला कि उसके अकाउंट पर कर्मचारी छूट (Employee Discount) भी लगी हुई है। असल में, उसका बेटा कभी वहाँ काम करता था, लेकिन उसका डिस्काउंट कोड अकाउंट से हटाया ही नहीं गया। इस छूट के कारण Karen को बोनस और कई अन्य फायदे मिल रहे थे, जो सिर्फ़ कर्मचारियों के लिए थे।

सब्र का बाँध टूटा—छूट का पटाखा फूटा!

अब कर्मचारी का सब्र जवाब दे गया। जिस दिन Karen ने 6 पैसे के डॉग फूड के डिब्बे की वापसी करवाई, उसी दिन कर्मचारी ने ठान लिया कि अब बहुत हो गया! उसने चुपचाप मैनेजमेंट से बात कर, Karen के अकाउंट से कर्मचारी छूट हटवा दी।

अगली बार Karen ने ऑर्डर किया, तो न कोई फोन, न कोई शिकायत। छह हफ्ते तक उसका कोई ऑर्डर ही नहीं आया। अब न बोनस, न छूट, न फ्री शराब—Karen को सबक मिल गया!

एक रेस्टोरेंट मैनेजर ने भी मज़ाक में बताया कि उनके यहाँ भी Karen और उसके बेटे ने कुछ ऐसा ही ड्रामा किया था। यानी, ये लोग हर जगह अपना 'करनपना' दिखा जाते थे!

ग्राहक भगवान है—पर हद से ज़्यादा नहीं!

रेडिट के कई कमेंट्स इस कहानी पर लोटपोट हो गए। किसी ने लिखा, "ऐसे लोगों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करना चाहिए!" एक यूज़र ने सही कहा—"अगर वो चुपचाप रहती, तो आज भी छूट और फ्री शराब का मज़ा ले रही होती।" एक और ने लिखा, "छोटा अपराध करते-करते बड़ा अपराध कर बैठी, और पकड़ी भी गई।"

हमारे यहाँ भी अक्सर दुकान, बैंक या हॉस्पिटल में ऐसे ग्राहक मिल जाते हैं, जो हर बात में शिकायत कर के अपने लिए extra फायदा निकालने की कोशिश करते हैं। एक कहावत है, "बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा"—पर जब कोई छींका बार-बार गिराने लगे, तो आखिरकार किसी न किसी को रोकना ही पड़ता है।

अंत में—सीख क्या है?

कहानी से साफ़ है—छोटे-छोटे फायदे के लिए सिस्टम का गलत फायदा उठाना, चाहे भारत हो या अमेरिका, कहीं भी सही नहीं है। और अगर आप बार-बार शिकायत करोगे, तो एक दिन कोई आपको पहचान ही लेगा!

तो अगली बार जब आप दुकान जाएँ, थोड़ा विनम्र रहें। कर्मचारी भी इंसान हैं, और छूट का फायदा लेने के चक्कर में खुद को शर्मिंदा न करें। और हाँ, अगर आपके पास अब भी किसी पुराने ऑफिस की छूट बची हो, तो ज़रा संभल कर... कोई 'Karen' बनना अच्छा नहीं!

आपको क्या लगता है—क्या ग्राहक का हमेशा सही होना जरूरी है? या कर्मचारियों को भी कभी-कभी 'ना' कहना चाहिए? अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें!


मूल रेडिट पोस्ट: Sometimes its better to stay quiet and go unnoticed