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कस्टमर केयर वालों से बदतमीज़ी? होशियार! उनके पास भी 'स्क्रू यू' बटन है

एक आधुनिक कार्यालय में एक ग्राहक सेवा प्रतिनिधि, एक निराश कॉलर की मदद कर रहा है।
एक यथार्थवादी चित्रण, जिसमें एक ग्राहक सहायता प्रतिनिधि की चुनौतीपूर्ण नौकरी को दर्शाया गया है, जो तकनीकी सहायता में दया और समझ के महत्व को दर्शाता है।

सोचिए, आपने कहीं फोन किया – शायद आपका डीटीएच या इंटरनेट नहीं चल रहा, और गुस्से में आगबबूला हो कर कस्टमर केयर वाले को अच्छे से सुना डाला! क्या कभी सोचा है, दूसरी तरफ बैठा वो इंसान क्या महसूस करता है? क्या उसके पास भी कोई तरीका है ऐसे बदतमीज़ ग्राहकों से निपटने का?

आज की कहानी एक ऐसे ही कस्टमर सर्विस एजेंट की है, जिसने 'नम्रता का जवाब नम्रता से' देने के बजाए थोड़ा सा 'मसालेदार' रास्ता चुना। और यकीन मानिए, ये कहानी सिर्फ हंसाने वाली नहीं, सोचने पर भी मजबूर कर देती है!

जब कस्टमर का गुस्सा, एजेंट के सिर फूटे

भारत में, चाहे वो बैंक हो, मोबाइल कंपनी हो या फिर गैस एजेंसी – कस्टमर केयर को कॉल करना एक आम बात है। और मान लीजिए, खराब सर्विस के कारण ग्राहक को गुस्सा आना भी स्वाभाविक है। लेकिन कई बार ग्राहक इतनी बदतमीज़ी पर उतर आते हैं कि जैसे सामने वाला इंसान नहीं, कोई रोबोट बैठा हो!

रेडिट पर u/unknowable_stRanger नाम के एक यूज़र ने अपनी कहानी शेयर की: वे अमेरिका की एक बड़ी सैटेलाइट कंपनी में कॉल सेंटर पर काम करते थे। रोज़ाना अजीबोगरीब सवाल, गुस्सैल और घमंडी ग्राहक – जैसे कि "तुम्हारी वजह से मेरी टीवी नहीं चल रही, और तुम्हारा वजूद ही बकवास है!"

अब कोई भी इंसान रोज़-रोज़ ये सब सुनेगा तो उसके भी धैर्य की सीमा टूट जाएगी। लेकिन असली ट्विस्ट तो तब आया जब हमारे एजेंट को अपने कंप्यूटर में एक "मायाजाल बटन" मिल गया – एक ऐसा बटन जो बदतमीज़ ग्राहक को दोबारा कॉल क्यू में भेज देता था! यानी, "थोड़ा होल्ड कीजिए..." और ग्राहक फिर से लंबी कतार में!

'स्क्रू यू' बटन: कस्टमर सर्विस का सीक्रेट बदला

हमारे यहां कहावत है – "जैसी करनी वैसी भरनी!" यही बात इस कहानी में भी लागू होती है। एजेंट ने जब भी कोई ग्राहक जरूरत से ज्यादा घमंड या गुस्सा दिखाता, उसे दोबारा कॉल क्यू में डाल देता। सोचिए, ग्राहक को लगता – अभी मेरी बात हो रही है, और अचानक 'होल्ड' के बाद फिर वही म्यूज़िक, वही लाइन... और इंतजार!

रेडिट पर एक कमेंट में किसी ने लिखा, "मुझे कभी समझ नहीं आया लोग कस्टमर सर्विस वालों से इतनी बदतमीज़ी क्यों करते हैं? न हमने दाम तय किए, न सर्विस, न हम मालिक हैं!"

एक दूसरे यूज़र ने जोड़ा – "कई बार कंपनी की घटिया पॉलिसी के कारण ग्राहक चिढ़ जाता है, लेकिन फिर भी जो फोन पर बैठा है, वो भी तो पेट पालने आया है, भगवान के लिए इंसानियत दिखाओ!"

कस्टमर सर्विस की नौकरी: आसान नहीं, समझदारी चाहिए

भारत में भी कॉल सेंटर या कस्टमर सर्विस में काम करना आम है। कई युवा, ग्रेजुएट्स या घर चलाने वाले लोग ये काम करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है, रोज़ 100 तरह के गुस्सैल, जिद्दी, और कभी-कभी अजीब ग्राहकों से निपटना कितना मुश्किल है?

रेडिट के एक और कमेंट में किसी ने अपने अनुभव शेयर किए – "हम लोग अपने दफ्तर में गेम खेलते थे: जैसे ही कोई बदनाम ग्राहक कॉल करता, हम 'नॉट रेडी' बटन दबा देते – ताकि कॉल अगले एजेंट के पास चली जाए। सब एक-दूसरे से बचते रहते, जैसे क्रिकेट में कैच छोड़ते हैं!"

दूसरे यूज़र ने लिखा, "मैंने एक बार कॉलर को उसकी झूठी शिकायत पर सीधा कह दिया – हां, आप झूठ बोल रहे हैं! बॉस ने बाद में हंसते हुए कहा, अगली बार बस गाली न खाओ!"

ये सब सुनकर लगता है कि ग्राहक हमेशा सही नहीं होता – कभी-कभी ग्राहक भी गलत हो सकते हैं।

थोड़ी नम्रता, थोड़ा हास्य: यही है असली इलाज

हमारे समाज में 'अतिथि देवो भव:' जैसी परंपरा रही है। लेकिन क्या हर ग्राहक देवता है? या हर सर्विस एजेंट मशीन है?

रेडिट पर कई यूज़र्स ने कहा – "मैं जब भी कस्टमर सर्विस को कॉल करता हूं, पहले ही कह देता हूं – माफ़ कीजिए, अगर मेरी आवाज़ चिढ़ी हुई लगे, मैं आपसे नाराज़ नहीं हूं, बस समस्या से परेशान हूं।"

कोई बोला, "जब कस्टमर सर्विस वाले की भी हंसी निकल जाए, तो समझो हल्के-फुल्के अंदाज़ में काम जल्दी हो जाता है।"

यहां तक कि एक ने तो मज़ाक में कहा – "अगर मैं दुनिया का राजा बना, तो जो भी कस्टमर सर्विस वालों से बदतमीज़ी करेगा, उसे सार्वजनिक मंच पर डांट और थप्पड़ मिलेगा!"

निष्कर्ष: इंसानियत सबसे ऊपर

सोचिए, अगर हर कस्टमर सर्विस एजेंट के पास 'स्क्रू यू' बटन हो, तो कितने लोग बार-बार होल्ड पर भेजे जाएंगे! असल में, दोनों तरफ इंसान ही बैठे हैं – समस्या से परेशान ग्राहक, और काम के बोझ से परेशान एजेंट।

तो अगली बार जब आपका फोन, डीटीएच या बिजली का बिल गड़बड़ाए, कॉल करते वक्त थोड़ा धैर्य रखिए, विनम्र रहिए। हो सकता है आपके अच्छे व्यवहार से आपकी समस्या जल्दी हल हो जाए – और क्या पता, एजेंट आपको होल्ड पर ना भेजे बल्कि चाय के साथ आपकी बात भी सुलझा दे!

आपका क्या अनुभव रहा है कस्टमर सर्विस से? कमेंट में बताइए – और हां, अगली बार 'होल्ड' पर जाएं तो मुस्कुरा दीजिए, शायद लाइन के दूसरी तरफ भी कोई मुस्कुरा रहा हो!


मूल रेडिट पोस्ट: Be nice to customer and tech support people!