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केविना और बिल्ली की गुनगुनाहट: जब मासूमियत ने हंसी बिखेरी

चश्मा खोजती एक महिला का भावुक क्षण, जो भूली हुई यादों और पारिवारिक कहानियों का प्रतीक है।
इस फोटो यथार्थवादी छवि में, हम सिर के ठीक ऊपर कुछ खोजने के मजेदार संघर्ष को दर्शाते हैं। यह मेरी माँ द्वारा अपनी दोस्त केविना के बारे में सुनाई गई प्यारी कहानियों की याद दिलाता है, यादों की चंचलता को दर्शाते हुए।

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप आधा घंटा चश्मा ढूंढते रहे और बाद में पता चला कि वो तो आपकी नाक पर ही रखा था? हम भारतीयों के घरों में तो अक्सर ऐसी छोटी-मोटी भूलें होती रहती हैं। लेकिन आज की कहानी की केविना ने तो मासूमियत में ऐसी गलती कर दी कि हर किसी की हंसी छूट गई।

केविना की मासूमियत: जब बिल्ली की आवाज़ बनी पहेली

केविना, जो हमारे यहां की 'गुप्ता आंटी' जैसी मस्तमौला महिला थी, एक दिन अपने दोस्त के घर उसकी बिल्ली की देखभाल करने पहुंची। अब केविना को बिल्लियों के बारे में कुछ खास पता नहीं था—बस इतना कि उन्हें दूध पसंद होता है और उनकी मूंछें बड़ी प्यारी लगती हैं!

एक दिन, बिल्ली केविना के पास आई और एक अजीब-सी आवाज़ निकालने लगी। केविना घबरा गई—'अरे बाप रे! बिल्ली को क्या हो गया?' सोचते-सोचते केविना ने फटाफट बिल्ली को उठाया और सीधा डॉक्टर के पास पहुंच गई। डॉक्टर ने बिल्ली को अच्छे से देखा, पर उसे कुछ भी गड़बड़ नज़र नहीं आया।

आखिरकार, एक अनुभवी डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए समझाया, "मैडम, ये जो आवाज़ है ना, इसे 'purring' कहते हैं। जब बिल्ली खुश होती है, तो ऐसे गुनगुनाती है। आपकी देखभाल से ये बहुत खुश है।"

'प्योरिंग' का रहस्य: भारतीय संदर्भ में

अब सोचिए, हमारे यहां तो बिल्लियों की 'म्याऊं' और कुत्तों की 'भौं-भौं' ही काफी थी। 'प्योरिंग' जैसी कोई चीज़ तो गांव-मोहल्ले में सुनी भी नहीं! एक मज़ेदार कमेंट में किसी ने लिखा, "अगर बिल्लियों के साथ मैन्युअल आता, तो लिखा होता—'इसमें इंजन है, खुश होने पर हल्की गुनगुनाहट आएगी। कुछ मॉडल धूप में चार्ज भी होते हैं।'"

इसी कमेंट का जवाब देते हुए एक और पाठक ने लिखा, "हमारी बिल्ली जब खुश होती है, मैं कहता हूं—'लो, इसका इंजन चल गया!' सच में, जानवर भी कभी-कभी गाड़ियों से कम नहीं होते।"

मासूमियत या जिम्मेदारी? एक नई नजर

कई लोगों ने केविना की चिंता की तारीफ भी की। एक पाठक ने लिखा, "कम से कम उसने बिल्ली को डॉक्टर के पास तो ले गई, वरना कई लोग तो ध्यान भी नहीं देते।" दूसरी ओर, कुछ ने हल्की-फुल्की नाराज़गी भी जताई कि 'मालिक को बेवजह पैसे देने पड़े होंगे।'

हमारे यहां भी ऐसा होता है—घर का कोई मेहमान अगर बच्चा या बुज़ुर्ग का ध्यान रखे, और जरूरत से ज्यादा सतर्क हो जाए, तो कभी-कभी छोटी-छोटी बातें बड़ी बन जाती हैं। लेकिन दिल साफ हो, तो गलती भी मीठी लगती है।

और भी कहानियां: जानवरों के साथ अनजानी मुश्किलें

ऐसी मासूम गलतियां केवल केविना तक ही सीमित नहीं हैं। एक पाठक ने अपनी पड़ोसन का किस्सा सुनाया—"हमारी पड़ोसन ने एक बार हमारे कुत्ते को इसलिए बाहर भगाने की कोशिश की क्योंकि उसके निप्पल थे। उन्हें लगा, ये तो लड़की है, और हमारा कुत्ता लड़का था! उनके पति ने समझाया कि सभी नर जानवरों के भी निप्पल होते हैं, जैसे इंसानों के।"

दूसरे ने बताया, "मैंने पहली बार जब बिल्ली को देखा और उसने हल्का सा काटा, तो डर गया। बाद में पता चला, ये तो उसका प्यार जताने का तरीका था!"

निष्कर्ष: मासूमियत में छुपी हंसी

कहानी से एक बात तो साफ है—केविना जैसी मासूमियत में भी बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है। जानवरों के साथ हमारा रिश्ता उतना ही खास है जितना हमारे परिवार के बाकी सदस्यों के साथ। कभी-कभी हमारी समझ की कमी हमें हंसी का पात्र बना देती है, तो कभी कोई नई सीख दे जाती है।

तो अगली बार अगर आपके घर कोई बिल्ली 'गुनगुनाए', तो डरे नहीं—समझ जाइए, वो खुश है! और हां, ऐसी मज़ेदार कहानियां आपके पास भी हों तो नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें। कौन जाने, अगली बार आपकी कहानी यहां छप जाए!


आपको यह किस्सा कैसा लगा? क्या आपके साथ भी कभी ऐसी कोई मासूमियत भरी गलती हुई है? अपनी राय और अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें!


मूल रेडिट पोस्ट: My mom’s friend Kevina