केविन और उसका पूल: जब जुगाड़बाज़ी हद से आगे निकल गई
हमारे देश में अक्सर लोग कहते हैं, "जो काम खुद कर सकते हो, उसके लिए कारीगर क्यों बुलाना?" लेकिन कभी-कभी ये जुगाड़बाज़ी ऐसी गड़बड़ करवा देती है कि न घर का रहता है, न घाट का। आज आपको मिलवाते हैं केविन से, जिसके कारनामे सुनकर लगता है कि पश्चिमी देशों में भी 'जुगाड़' का जलवा है!
केविन की जिद और उसका जुगाड़ू सपना
केविन, एक आम आदमी—या कहें, कुछ ज्यादा ही आम! अपने पिता के घर को विरासत में पाकर, उसने सोचा कि घर की मरम्मत खुद ही कर लेगा। हमारे यहां जैसे लोग पुरानी छत गिरा कर नया टीन डाल देते हैं, वैसे ही केविन ने खुद के औजार खरीदे, दीवारें तोड़ीं, और जहां-तहां मरम्मत शुरू कर दी। लेकिन नतीजा? जितनी टूट-फूट हुई, उससे दुगने पैसे में कारीगर बुलाकर सब ठीक करवाना पड़ा। कर्ज में डूबा, फिर जैसे-तैसे उबरा। सबक मिला? बिलकुल नहीं! इस बार उसने ठान लिया—अबकी बार खुद ही घर में 'स्विमिंग पूल' बनाएगा।
खुदाई, मिट्टी और कुत्तों का मायाजाल
केविन ने फावड़ा उठाया और शुरू हो गया—घर के आंगन में लगभग 2 मीटर गहरा और लंबा गड्ढा खोद डाला। सोचिए, हमारे यहां जैसे लोग कुआं खोदते हैं, वैसा हाल! लेकिन गड्ढा तो खोद लिया, अब उस मिट्टी का क्या करे? महीनों तक मिट्टी वहीं ढेर रही, बिल्कुल वैसे जैसे गांव में कोई नया निर्माण होता है तो ईंट, बालू सब रास्ते पर पड़ा रहता है। जब बेटे ने पूछा, "पापा, इस मिट्टी का क्या करोगे?" तो तपाक से बोले, "बागवानी करूंगा, मिट्टी वहीं काम आ जाएगी।" लेकिन बागवानी शुरू होते-होते ही केविना (पत्नी) ने एक और कुत्ता पाल लिया। अब घर में तीन कुत्ते और जल्दी ही, उनमें से एक के बच्चों की भी लाइन लग गई।
इसी दौरान एक पिल्ले का पंजा टेढ़ा निकल आया। सबको लगा गड्ढे में गिरकर पैर टूट गया होगा, लेकिन असल में वह जन्मजात समस्या थी। जब बेटा पिल्ले को डॉक्टर के पास ले गया, डॉक्टर ने ताज्जुब से पूछा, "कुत्ते के पैर में चोट है, और आप सब इतने दिन बाद आए हैं?" खैर, पिल्ला अच्छे हाथों में चला गया और उसके इलाज का खर्चा भी उठाने वाले मिल गए।
जब गोल पूल ने बनाया पूरे मोहल्ले को हंसने वाला
गड्ढा खुद गया, मिट्टी निपट गई, पिल्ले सुरक्षित, अब सिर्फ पूल खरीदना बाकी था। केविन ने बड़ी शान से पूल खरीदा और लाकर रखा। लेकिन यहां खेल हो गया—पूल गोल था, और गड्ढा तो पूरा चौकोर! जैसे हमारे यहां लोग गोल ताले में चौकोर चाबी घुसाने की कोशिश करते हैं, वैसे ही यह पूल उस गड्ढे में फिट ही नहीं हुआ! मोहल्ले में हंसी के फव्वारे छूट पड़े, लोग मजाक उड़ाने लगे—"केविन भाई, चौकोर गड्ढे में गोल पूल?"
एक टिप्पणीकार ने लिखा, "भाई, ये तो वही हो गया जैसे चौकोर खांचे में गोल खूंटी ठूंसने की कोशिश!" वहीं किसी और ने कहा, "कम से कम पिल्ला तो बच गया, वरना तो केविन के हाथों सब गड़बड़ हो जाती।"
केविन के बेटे ने भी खुद स्वीकारा कि शायद वह पापा के साथ थोड़ी सख्ती से पेश आया, लेकिन जब पापा ने बिजली खुद ठीक करने की कोशिश की और झटका खाया, तब जाकर कारीगर बुलाया। ये बात सुनकर लगता है कि चाहे पूर्व-पश्चिम कहीं भी हों, 'जिनकी लाठी उसके भैंस' जैसा आत्मविश्वास हर जगह पाया जाता है।
केविनिज्म: एक बीमारी या प्रतिभा?
रेडिट के एक पाठक ने मजाकिया अंदाज में लिखा, "मुझे तो लगता है, केविन के ऊपर 'केविनिज्म' नाम से किताब लिखनी चाहिए!" सच कहें तो, केविन जैसे लोग हर गली-मोहल्ले में मिल जाएंगे—जो सब जानते हैं, लेकिन असल में कुछ नहीं जानते। खुद को हीरो समझकर हर काम खुद करने निकल पड़ते हैं, और जब गड़बड़ हो जाए तो कोई न कोई जुगाड़ ढूंढ़ ही लेते हैं।
केविन की शादी की कहानी भी किसी बॉलीवुड कॉमेडी से कम नहीं। शादी के दिन दूल्हा-दुल्हन ही लेट पहुंचे, नाम की स्पेलिंग फॉर्म में गलत लिखी, खाना चार घंटे बाद आया, और मेहमानों को जबरदस्ती टोस्ट देने के लिए पकड़ा गया। केविन की बीवी सबको पूछती फिर रही थी—"मैंने सही किया न?" और खुद केविन सबको बार-बार रोककर कह रहा था, "मेरी नस्ल में कोई बेवकूफ नहीं होता!"
रेडिट पर एक यूज़र ने लिखा, "ऐसे लोग हर घर में होते हैं जो बार-बार वही गलती करते हैं, और सबकी चेतावनी अनसुनी करके फिर मुसीबत मोल लेते हैं।"
अंत में: 'जुगाड़' या 'जवानी की भूल'?
कहानी का सार यही है—अगर आपके घर में भी कोई केविन टाइप सदस्य है, तो प्यार से समझाइए, वरना गोल पूल चौकोर गड्ढे में फिट करने की नौबत आ सकती है! और हां, अगर घर में खुदाई हो रही हो, तो ध्यान रखिए—मिट्टी कहां जाएगी, कुत्ते कहां जाएंगे, और सबसे जरूरी, पूल की शेप क्या होगी!
आपके घर में भी ऐसे 'केविन' हैं? या खुद कभी ऐसी जुगाड़बाज़ी की है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए—क्योंकि हंसने-हंसाने के लिए तो अपने ही किस्से सबसे मजेदार होते हैं!
मूल रेडिट पोस्ट: Kevin and the pool