क्रिसमस के दिन होटल में ड्यूटी: मेहमान बोले – 'ये तो नाइंसाफ़ी है, आपको घर पर होना चाहिए!

क्रिसमस सुबह व्यस्त होटल लॉबी में मेहमान कॉफी और गर्म चॉकलेट का आनंद ले रहे हैं, त्यौहार की भावना को दर्शाते हुए।
इस सिनेमाई दृश्य में, हमारी व्यस्त होटल लॉबी में त्यौहार की गर्माहट भर जाती है, जहाँ मेहमान क्रिसमस सुबह की कॉफी और गर्म चॉकलेट के लिए एकत्र होते हैं। आइए हम अपनी उत्सव की खुशियों के पलों को साझा करें!

हर साल दिसंबर आते ही बाजारों में रौनक छा जाती है, गली-मोहल्लों में लाइटें टंग जाती हैं, और लोग छुट्टियों की प्लानिंग में लग जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप परिवार के साथ छुट्टियां मना रहे होते हैं, उसी वक्त होटल, अस्पताल, रेलवे और तमाम जगहों पर कितने लोग ड्यूटी कर रहे होते हैं? ठीक ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा सामने आया है, जिसमें एक होटल के रिसेप्शन पर क्रिसमस के दिन हुई बातचीत ने सबका दिल जीत लिया।

तो हुआ यूं कि क्रिसमस की सुबह होटल के रिसेप्शन पर खूब चहल-पहल थी। मेहमानों को कॉफी और हॉट चॉकलेट चाहिए थी, बच्चे लॉबी में इधर-उधर दौड़ रहे थे और स्टाफ मुस्कुराते हुए सबका स्वागत कर रहा था। ऐसे में एक महिला मेहमान आईं, और थोड़ी भावुक होकर बोलीं – "अरे, ये तो नाइंसाफ़ी है! आपको क्रिसमस पर घर पर होना चाहिए, परिवार के साथ!"

अब रिसेप्शन पर खड़े मैनेजर साहब (जिन्हें अंग्रेज़ी में FOM यानी Front Office Manager कहते हैं) के मन में तो हल्की सी मुस्कान आ गई। मन ही मन तो सोचा – "अरे बहनजी, आप भी तो होटल में ठहरी हैं, वरना हम यहां क्यों होते!" मगर ज़ुबान पर आया बस एक विनम्र सा जवाब – "कोई बात नहीं, हमें अच्छा लगता है आप लोगों के साथ समय बिताना।"

इस पर मेहमान मुस्कुरा कर धन्यवाद कहती चली गईं, लेकिन मैनेजर साहब के लिए ये बात मज़ेदार बन गई। सोचिए, अगर होटल वाले छुट्टी पर चले जाएं तो मेहमान कहां जाएंगे? होटल में तो मेहमानों की देखभाल करने वाला भी चाहिए, वरना "अनाथ" मेहमान होटल में अकेले क्या-क्या गुल खिलाएँगे, कौन जाने!

एक और मज़ेदार कमेंट इस किस्से पर आया – "अगर स्टाफ न हो, तो मेहमान तो बचे हुए केक से ताश खेलेंगे और लॉबी में कंचे फेंकेंगे!" अब ये तो हर कोई जानता है, भारतीय शादियों में भी अगर बड़ा-बुज़ुर्ग न हो, तो बच्चे दीवारों पर चढ़ जाते हैं!

दूसरी तरफ़, कई लोगों ने साझा किया कि ऐसे मौके पर ड्यूटी करना कोई सज़ा नहीं, बल्कि कई बार फायदे का सौदा भी बन जाता है। होटल इंडस्ट्री में काम करने वाले एक और कर्मचारी ने बताया – "मुझे क्रिसमस पर डबल सैलरी मिलती है, ऊपर से टिप भी बढ़िया मिलती है, और होटल इतना खाली रहता है कि आराम से गेम खेलने का मौका भी मिल जाता है!" सोचिए, भारत में भी बहुत से लोग त्योहारों पर एक्स्ट्रा ओवरटाइम या बोनस के लिए खुशी-खुशी ड्यूटी कर लेते हैं – आखिर, "मौका भी है, दस्तूर भी!"

कुछ लोगों ने ये भी कहा कि हर कोई क्रिसमस या त्योहार नहीं मनाता, कई लोग ऐसे होते हैं जिनका परिवार दूर रहता है, या वे अन्य धर्म के होते हैं। ऐसे लोगों के लिए काम पर रहना उतना बुरा नहीं, जितना दूसरों को लगता है। एक अनुभवी कर्मचारी ने लिखा – "मैं तो अपने घर से दूर रहता हूँ, इसलिए काम पर रहने में कोई दिक्कत नहीं। बल्कि, छुट्टी को अगले हफ्ते जोड़कर लंबा वीकेंड मना लेता हूँ!"

हमारे यहाँ भी, जैसे दिवाली पर अस्पताल, रेलवे, पुलिस या होटल स्टाफ को छुट्टी नहीं मिलती, वैसे ही विदेशों में क्रिसमस पर लोग काम करते हैं। एक बार किसी ने पूछा कि "त्योहार के दिन काम कर रहे हो, बुरा नहीं लगता?" तो जवाब मिला, "जिनके लिए हम काम कर रहे हैं, वे भी तो बाहर निकले हैं – अगर सब घर बैठ जाएं, तो सेवा कौन देगा?" यह बात बहुत सही बैठती है – "सेवा देने वाला भी तो चाहिए!"

ऐसे में कुछ मेहमानों की भावनाएँ थोड़ी उलझी हुई भी होती हैं। एक कमेंट में किसी ने लिखा – "कई बार हम कह तो देते हैं कि आपको छुट्टी मिलनी चाहिए, पर सच तो ये है कि हम खुद भी खुश हैं कि होटल खुला है, वरना हमारा क्या होता?" यही बात हमारे देश में भी अक्सर सुनने को मिलती है – "अरे, दुकान बंद क्यों है, त्योहार है तो क्या हुआ, हमें तो सामान चाहिए!"

कुछ लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने खुद भी रिटेल, अस्पताल या होटल में त्योहारों पर ड्यूटी दी है। किसी ने लिखा – "जब मैं जवान था, तो त्योहारों पर ड्यूटी करना अच्छा लगता था – न घरवालों की चिक-चिक, न रिश्तेदारों के सवाल, और साथ में बोनस भी!" दूसरे ने लिखा – "कई बार नई-नई नौकरी करने वाले सोचते हैं कि होटल में मस्त लाइफ होगी, पर असली धंधा तो छुट्टियों में ही चलता है!"

इस पूरे अनुभव में एक बात खास रही – मेहमानों की कृतज्ञता भले ही कभी-कभी अजीब शब्दों में निकलती है, पर भावनाएँ सच्ची होती हैं। होटल, अस्पताल, पुलिस, बिजली विभाग – सब जगह ऐसे लोग हैं जो त्योहारों पर भी ड्यूटी देते हैं, ताकि बाकी लोग चैन से त्योहार मना सकें। आखिर, "संसार चलता ही है सेवा और सहयोग से!"

आखिर में, अगर आप कभी होटल, अस्पताल या किसी सेवा क्षेत्र में त्योहार के दिन जाएं, तो एक मुस्कान और दिल से 'शुक्रिया' कहना न भूलें – यही असली इंसानियत है!

तो आप क्या सोचते हैं – क्या त्योहारों पर काम करना वाकई सज़ा है या कभी-कभी फायदे का सौदा भी हो सकता है? अपने अनुभव या विचार कमेंट में जरूर साझा करें। और हाँ, अगली बार किसी सेवा कर्मचारी को 'छुट्टी पर होना चाहिए' कहने से पहले सोचिएगा – आप वहाँ क्यों हैं?


मूल रेडिट पोस्ट: 'It's not fair, you shouldn't be here on Christmas' -guest staying at the hotel on Christmas