क्रिसमस की ठंडी हवा में परोसा गया बदला: बुज़ुर्ग माँ और बेरहम परिवार की अनोखी दास्तान
हमारे यहाँ अक्सर कहा जाता है – “बुज़ुर्गों की सेवा ही सच्ची पूजा है।” लेकिन सोचिए, जब अपने ही परिवारवाले बुज़ुर्ग माँ-बाप को अनदेखा करें, तो दिल कैसा दुखता है! आज मैं आपको ऐसी ही एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जो न सिर्फ दिल छू लेगी, बल्कि चेहरे पर मुस्कान भी ले आएगी। यह कहानी है आस्ट्रेलिया के एक वृद्धाश्रम की, जहाँ क्रिसमस के मौके पर एक बेटे-बहू को उनकी बेरुखी का अनोखा स्वाद चखाया गया – वो भी AC की ठंडी हवा के जरिए!
वृद्धाश्रम, क्रिसमस और ‘सर्द’ परिवार
ये बात है एक रिटायरमेंट विलेज (हमारे यहाँ कहें तो ‘वरिष्ठ नागरिक निवास’) की, जहाँ एक सामूहिक डाइनिंग हॉल था। वहीं रहती थीं हमारी कहानी की नायिका – ‘सैम’ (नाम बदला गया)। सैम बहुत दयालु और मिलनसार थीं, लेकिन उनके अपने बेटे-बहू मुश्किल से 15 मिनट की दूरी पर रहते हुए भी शायद ही कभी उनसे मिलने आते। ऊपर से सैम के कपड़े, ज़रूरी सामान, यहाँ तक कि कीमती चीज़ें भी धीरे-धीरे गायब होती गईं – शक तो परिवार पर ही जाता है, लेकिन कानूनी पकड़ ढीली थी क्योंकि बेटे-बहू को वित्तीय और निजी मामलों की पूरी पावर ऑफ अटॉर्नी मिली हुई थी। कई बार तो लगता था, जैसे वे लोग बस सैम की विरासत का इंतज़ार कर रहे हैं।
अब आया क्रिसमस – वो भी ऑस्ट्रेलियन गर्मियों में, जब बाहर लू जैसी गर्मी और अंदर AC की ठंडी हवा। वृद्धाश्रम ने खास क्रिसमस लंच रखा था, जिसमें बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए साफ लिखा था – “कृपया एक स्वेटर (jumper) साथ लाएँ, AC बहुत तेज़ चलेगा।” अब आप सोचिए, भारत के किसी विवाह-समारोह में अगर ननिहाल-पक्ष बिना न्योते के आ जाए, तो क्या हाल होता है! ठीक वही हाल यहाँ हुआ – सैम का परिवार बिना बुकिंग के अचानक पधार गया, और जाहिर है, स्वेटर तो लाए ही नहीं।
AC की ठंडी चाल: जब बातों से बात न बने, तो कर्म से सिखाएँ
कहते हैं, “जैसी करनी वैसी भरनी।” सैम के बेटे-बहू को जब फटाफट बैठने की जगह दिलाई गई, तो लेखक (जो वृद्धाश्रम का कर्मचारी था) ने सैम को बड़े प्यार से गर्म कपड़े पहनाए और उन्हें उस टेबल पर बैठाया, जो सीधे मुख्य AC वेंट के नीचे थी। परिवार के लोग थोड़ा ही बैठे होंगे कि ठंड से काँपने लगे। बेटे-बहू घबरा कर लेखक के पास आए और बोले, “कृपया AC कम कर दीजिए, बहुत ठंड है।”
अब यहाँ भाषा की चालाकी देखिए – अंग्रेज़ी में ‘Turn down the AC’ का मतलब है तापमान कम करना, यानी AC और ठंडा करना! लेखक ने भी मुस्कराते हुए बोला, “कोई बात नहीं, अभी कर देता हूँ।” और AC का तापमान पहले से भी 4 डिग्री नीचे कर दिया। अब आप समझ सकते हैं, भारत में भी अगर कोई ताऊ जी शादी में खाने के बाद ‘थोड़ा और मिठाई’ माँग ले और हलवाई जानबूझकर सबसे मीठा रसगुल्ला पकड़ा दे, तो क्या हाल होता है!
समाज की प्रतिक्रिया: ठंड में छुपा गर्मजोशी का सबक
रेडिट पर इस कहानी ने खूब धूम मचाई। एक यूज़र ने लिखा, “ऐसे परिवार वालों को तो ठंड में बिठाना ही चाहिए था!” वहीं, कई लोगों ने सैम के लिए संवेदना प्रकट की और कहा, “वो औरत इतनी भली थीं कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं – जबकि उनका परिवार शायद ही उन्हें याद करे।”
एक और यूज़र ने बड़ी दिलचस्प बात कही, “बदला तो सबसे अच्छा ठंडे पकवान की तरह परोसा जाता है – और यहाँ तो क्रिसमस लंच में ही परोस दिया गया!” कुछ लोगों ने ‘jumper’ शब्द को लेकर भी मज़ाक बनाया – जैसे हमारे यहाँ ‘स्वेटर’ को कोई ‘जम्पर केबल’ समझ ले, वैसे ही वहाँ कुछ लोगों को लगा कि कहीं बुज़ुर्गों को गर्म करने के लिए कोई बिजली की केबल तो नहीं लगाई!
कुछ लोगों ने परिवार के दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाए – क्या पता बुज़ुर्ग माँ ने कभी बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार न किया हो? लेकिन ज़्यादातर लोगों ने यही कहा कि neglect (अनदेखी) भी एक किस्म की हिंसा है, और परिवार को अपनी कानूनी जिम्मेदारी निभानी ही चाहिए थी। खुद लेखक ने भी साफ लिखा, “सैम के पास अपने खर्च के पैसे थे, लेकिन परिवार ने कभी उनकी ज़रूरतें पूरी नहीं कीं – बस विरासत की चिंता करते रहे।”
ठंडी हवा, गर्म दिल: आखिर में कौन जीता?
कहानी का सबसे खूबसूरत मोड़ यही था कि सैम का परिवार ठंड से परेशान होकर सबसे पहले लंच छोड़कर चला गया – और सैम ने बाकी समय उन लोगों के साथ बिताया जो उन्हें इंसान समझते थे, बात करते थे, हँसते थे। आखिर में वही लोग सच्चे अपने निकले, जिनका न सैम से खून का रिश्ता था, न कोई लोभ-लालच।
यह किस्सा हमें यही सिखाता है कि किसी भी समाज का असली तापमान वहाँ के बुज़ुर्गों की इज़्ज़त और देखभाल से मापा जाता है। और कभी-कभी, जीवन में ‘ठंडी हवा’ भी बड़ी गर्म सीख दे जाती है!
क्या आपने भी देखा है ऐसा?
अंत में आपसे सवाल – क्या आपके आस-पास भी ऐसे उदाहरण हैं जहाँ किसी ने अपने बड़े-बुज़ुर्ग की अनदेखी की हो, या फिर किसी ने बड़े चालाकी से ऐसे लोगों को सबक सिखाया हो? कमेंट में बताइए, और इस कहानी को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ ज़रूर शेयर करें – क्या पता, किसी के दिल में सर्दी की जगह थोड़ी गर्माहट आ जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: Making them cold just seemed like the right thing to do.