कंप्यूटर गुरु और प्रिंटर की जंग: जब टेक सपोर्ट ने बाज़ी मार ली
कंप्यूटर और प्रिंटर – ये दोनों का रिश्ता कुछ वैसा है जैसे भारतीय शादी में दूल्हा-दुल्हन और उनकी बुआ। सब कुछ दिखने में आसान, लेकिन असल में जितना उलझा हुआ उतना ही मनोरंजक। आज हम आपको एक ऐसी ही मज़ेदार कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसमें एक कंप्यूटर टीचर, टेक्निकल सपोर्ट और प्रिंटर – तीनों ने मिलकर ऑफिस की रौनक बढ़ा दी।
सोचिए, अगर आपके ऑफिस में नए प्रिंटर का सेटअप हो रहा हो, और IT वाला भाई/दीदी सबकुछ ‘एक झटके में’ कर दे, तो क्या हो? लेकिन ज़िंदगी, जनाब, इतनी सीधी कहाँ होती है!
प्रिंटर का ‘आसान’ सेटअप – जो कभी आसान नहीं होता
कहानी की शुरुआत होती है एक बिलकुल आम टेक सपोर्ट टिकट से – एक प्रिंटर इंस्टॉल करना था। हमारे नायक, एक अनुभवी टेक्नीशियन, बड़े आत्मविश्वास से केबल के कनेक्शन, DHCP सर्वर में जोड़ना, सब कुछ फटाफट कर देते हैं। अब प्रिंटर का कनेक्शन चेक किया तो पता चला – पैच केबल ‘सही’ नहीं, यानी ठीक से टर्मिनेट नहीं हुआ था।
यहाँ कहानी में ट्विस्ट आता है – ये प्रिंटर एक कंप्यूटर टीचर के लिए था! जब टेक्निशियन ने केबल की समस्या बताई, तो टीचर बोलीं – “अरे, ये तो पहले मेरे लिए काम कर रहा था!” अब टेक्निशियन खुद सोच रहा था, “क्या आपने सच में टेस्ट किया था या बस भगवान भरोसे छोड़ दिया था?”
आत्मविश्वास का झटका: “मुझे खुद आता है!”
इसके बाद टेक्निशियन ने पूछा – “क्या मैं आपके कंप्यूटर में प्रिंटर जोड़ दूं?” लेकिन टीचर का जवाब – “नहीं-नहीं, मुझे सब आता है!” अब IT सपोर्ट वाले तो जानते हैं, ऐसे मौके पर थोड़ा रुक कर देखने में ही असली मज़ा है।
टीचर ने खुद से प्रिंटर इंस्टॉल करना शुरू किया। ड्राइवर तक पहुँचीं, और Generic PostScript ड्राइवर चुन लिया – जो कि, अनुभवी लोगों को पता है, HP प्रिंटर के लिए सही नहीं होता। टेक्निशियन मन ही मन मुस्कुरा रहा था – ‘अब मज़ा आएगा!’
जैसे ही टेस्ट प्रिंट का बटन दबा, प्रिंटर ऐसे कागज उगलने लगा जैसे कोई गाँव का डाकिया शादी के कार्ड बाँट रहा हो – बिना रुके, बिना सोचे! पूरा ऑफिस हँसी से गूंज उठा। टेक्निशियन ने तुरंत रोककर सही ड्राइवर लगाया, और फिर सबकुछ ठीक हो गया।
प्रिंटर: IT की दुनिया का ‘भूत’
इस पोस्ट के कमेंट्स में कई लोगों ने प्रिंटर की तुलना किसी रहस्यमयी आत्मा से की – जो बिना टोटके के कभी ठीक से चलती ही नहीं। एक कमेंट था – “प्रिंटर तो ऐसे हैं, जैसे ठीक से चलाने के लिए किसी बकरे की बलि देनी पड़े!” किसी ने मजाक में लिखा, “मुझे तो लगता है, असली बलिदान टेक सपोर्ट वाले का खून है, तभी प्रिंटर चल पड़ता है।”
एक और पाठक ने उदाहरण दिया – “कंप्यूटर और प्रिंटर का रिश्ता वैसा ही है जैसे दो पड़ोसी, जो हमेशा एक-दूसरे को पहचानने से इंकार करते हैं। चाहे साथ लाओ, कोई ना कोई नखरे ज़रूर होंगे!”
“सब आता है” – लेकिन अनुभव से बड़ा कोई गुरु नहीं
कुछ लोगों ने टीचर का मज़ाक उड़ाने के बजाय कहा – “हर कोई प्रिंटर के ड्राइवर या केबल की बारीकियां नहीं जान सकता। इसमें शर्म की बात नहीं।” लेकिन असली मसला था – ओवरकॉन्फिडेंस! कई बार हम सोचते हैं, हमें सब पता है, लेकिन तकनीक कब, किसे चौंका दे, कौन जानता है?
OP यानी असली पोस्टर ने बाद में लिखा – “मुझे किसी की गलती से खुशी नहीं होती, लेकिन जब कोई बार-बार कहे कि उसे मदद नहीं चाहिए, तो कभी-कभी उसे खुद अनुभव करने देना ही सही है। बाद में दोनों ने मिलकर इसपर खूब ठहाके लगाए।”
कुछ ने ये भी कहा – “असली ज्ञान तो तब है जब हम स्वीकार करें कि हमें सबकुछ नहीं आता, और सीखने की ललक हमेशा बनी रहे।” एक पाठक ने लिखा – “कंप्यूटर साइंस पढ़ाने का मतलब ये नहीं कि आपको हर हार्डवेयर की तिकड़म पता हो – जैसे खगोलशास्त्री को टेलीस्कोप बनाना नहीं आता।”
भारतीय ऑफिसों में प्रिंटर की महिमा
अगर आप कभी सरकारी ऑफिस या किसी स्कूल-कॉलेज में गए हैं, तो प्रिंटर की खटपट, पेपर जाम, या ‘ड्राइवर नहीं मिल रहा’ जैसी शिकायतें आम हैं। कई बार तो ऐसा लगता है जैसे प्रिंटर जानबूझकर आपको परेशान करना चाहता हो!
यही वजह है कि IT सपोर्ट वाले भाई-बहन भारतीय ऑफिसों के असली ‘शक्तिमान’ हैं। वे न हों तो सरकारी फाइलें, मार्कशीट, या छुट्टी की अर्ज़ी, कभी भी समय पर न निकले!
निष्कर्ष: हँसी, सीख और टेक्नोलॉजी
इस कहानी से यही सिखने को मिलता है – टेक्नोलॉजी में ओवरकॉन्फिडेंस कभी-कभी बड़ा महंगा पड़ जाता है। चाहे आप कंप्यूटर टीचर हों या टेक्निकल सपोर्ट, सीखना और विनम्र रहना ही सबसे बड़ी बात है।
तो अगली बार जब आपका प्रिंटर जिद करे, या कोई नया IT सेटअप हो, तो थोड़ा धैर्य रखिए – और हो सके तो अपने IT वाले दोस्त या ऑफिस के ‘गुप्त’ एक्सपर्ट की मदद लेना न भूलें! कौन जाने, अगली मज़ेदार कहानी आपके ही ऑफिस से निकल आए।
आपके ऑफिस या घर में प्रिंटर से जुड़ा कोई दिलचस्प किस्सा है? नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें – हो सकता है, अगली बार हम आपके अनुभव पर हँसते-हँसते सीख भी लें!
मूल रेडिट पोस्ट: I love helping people but come on...